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GAZA Ceasefire: इजरायल और हमास के बीच युद्ध लगातार भयंकर रूप ले रहा है। इस महायुद्ध का सबसे बुरा असर गाजा शहर पर पड़ा है, जहां हर ओर तबाही के निशान हैं। गाजा में रहने वालों की हालत का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि उनके लिए खाने, सोने और इलाज के लाले पड़े हैं। 38 हजार से ज्यादा काल के ग्रास में समां चुके हैं। दुनियाभर के देश और संस्थाएं इजरायल से युद्धविराम की मांग कर रहे हैं लेकिन, इजरायल और हमास में अपनी शर्तों को लेकर ठनी हुई है। इस बीच संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने मुसलमानों के पवित्र महीने रमज़ान के दौरान गाजा में तत्काल संघर्ष विराम की मांग करने वाले एक प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। यह पहली बार है जब परिषद ने इज़राइल-हमास युद्ध शुरू होने के बाद लगभग पांच महीनों में ऐसा करने पर सहमति व्यक्त की है। हालांकि अमेरिका इस प्रस्ताव पर मतदान के दौरान अनुपस्थित रहा।
सोमवार को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की अहम बैठक में 15 सदस्यों में से 14 ने गाजा में युद्धविराम के प्रस्ताव के पक्ष में मतदान किया। गाजा में तत्काल संघर्ष विराम का प्रस्ताव परिषद के 10 सदस्यों ने संयुक्त रूप से प्रस्तावित किया था। इस बैठक में मतदान के दौरान अमेरिका अनुपस्थित रहा।
प्रस्ताव की शर्तें क्या हैं?
प्रस्ताव में “रमजान के महीने के लिए तत्काल संघर्ष विराम” की मांग की गई, जो 10 मार्च से शुरू हुआ है। प्रस्ताव में शर्त रखी गई कि “सभी बंधकों की तत्काल और बिना शर्त रिहाई” का भी आह्वान किया गया है।
गौरतलब है कि सोमवार को यूएन में पास हुआ यह प्रस्ताव पहली बार है जब सुरक्षा परिषद ने खुले तौर पर संघर्ष विराम का आह्वान किया है। इजरायल ने आतंकवादी समूह हमास पर पूरी ताकत से हमला तब शुरू किया था जब पिछले साल 7 अक्टूबर को हमास ने इजरायल पर आतंकी हमला किया था। इजरायली पीएम बेंजामिन नेतन्याहू ने कसम खाई है कि हमास के हर गुर्गे के खात्मे होने तक जंग जारी रहेगी।
प्रस्ताव मानेगा इजरायल?
यूएन में पास हो चुके प्रस्ताव पर क्या इजरायल अमल करेगा? यह भी बड़ा सवाल है। क्योंकि यूएन में लाए गए प्रस्ताव में हमास के आतंकी हमलों की निंदा नहीं की गई है। यह बात इजरायल को नाराज कर सकती है। उधर, प्रस्ताव पर अमेरिका ने कहा था कि यूएन में लाए जाने वाले किसी भी प्रस्ताव में उसका समर्थन हासिल करने के लिए हमास की निंदा को शामिल करना जरूरी था।
यूएन में लाए गए गाजा युद्धविराम के प्रस्ताव में हमास पर फोकस के बजाय गाजा के नागरिकों की बात की गई। प्रस्ताव स्पष्ट तौर पर यह कहा गया कि गाजा में इजरायली हमलों के बाद “नागरिकों को हिंसा का सामना करना पड़ रहा है। हम आतंकवाद के सभी कृत्यों की निंदा करते हैं। प्रस्ताव में कहा गया है कि “नागरिकों को बंधक बनाना अंतरराष्ट्रीय कानून के तहत निषिद्ध है।”