आरक्षण के लेकर शुरू हुआ विरोध प्रदर्शन ने बांग्लादेश की सत्ता ही परिवर्तित कर दी। बांग्लादेश के सेना प्रमुख जनरल वकार ने देश की कमान स्वीकार कर ली है। खुफिया एजेंसियों का कहना है कि बांग्लादेश में उथल-पुथल के पीछे पाकिस्तान और उसके सदाबहार दोस्त चीन का हाथ है। दोनों ही देश नहीं चाहते कि बांग्लादेश में ऐसी सरकार रहे जो कि भारत समर्थक हो। बांग्लादेश में अब अंतरिम सरकार की जिम्मेदारी नोबेल विजेता अर्थशास्त्री यनूस को दी जा रही है। यूके ने कहा है कि यूएन को बांग्लादेश में हुई उथल-पुथल की जांच करवानी चाहिए। दुनियाभर के लोगों के जेहन में सवाल है कि आखिर छात्रों का एक मुद्दा इतना बड़ा कैसे हो गया कि तख्तापलट हो गया और प्रधानमंत्री को रातों-रात देश छोड़कर भागना पड़ गया।
आरक्षण के खिलाफ चल रहा प्रदर्शन जब बड़ा होने लगा तो सेना और विपक्ष ने इसका फायदा उठाया। यहां तक कि सेना ने सरकार की बात मानने से ही इनकार कर दिया । सेना की तरफ से कहा गया कि वह प्रदर्शनकारियों के खिलाफ कार्रवाई नहीं करेगी। दरअसल इस प्रदर्शन में पीछे से पाकिस्तान की आईएसआई भी जोर लगा रही थी। कट्टरवादी जमात-ए-इस्लामी का स्टूडेंट विंग इस्लामी छात्र शिविर प्रदर्शन में ऐक्टिव था।
आरक्षण के खिलाफ शुरू हुआ आंदोलन कब शेख हसीना के खिलाफ हो गया, पता ही नहीं चला। पाकिस्तान और चीन लंबे समय से चाहता था कि हसीना सरकार को हटाकर ऐसी सरकार लाई जाए जो कि उनके मुताबिक काम करे। पाकिस्तान भारत के खिलाफ साजिश रचने के लिए ही आतंकी संगठनों को पनाह देता है। खुफिया एजेंसियों ने कई कई महीने पहले ही बताया था कि आईसीएस को आगे करके हसीना सरकार ेक खिलाफ साजिश की जा रही है।
एक अधिकारी के मुताबिक, आईएसआई समर्थित जमात-ए-इस्लामी को इस साल की शुरुआत में ही काफी फंडिंग मिली थी। यह फंडिंग हसीना सरकार के खिलाफ साजिश करने के लिए ही मिली थी। शेख हसीना की सरकार भारत का समर्थन करती थी। हाल ही में तीस्ता प्रोजेक्ट को लेकर भी शेख हसीना की सरकार ने भारत का पक्ष लिया और चीन को किनारे कर दिया। इन बातों से चीन भी चिढ़ा हुआ था। लंबे समय से भारत की एजेंसियां भी आईसीएस पर नजर बनाए हुए हैं। बांग्लादेश में यह छात्र संगठन भारत विरोधी और जिहादी एजेंडों में लगा रहता है। यह संगठन आईएसआई द्वारा समर्थित हरकत-उल-जिहाद-अल-इ्लामी के इशारे पर भी काम करता है। इनकी ट्रेनिंग अफगानिस्तान और पाकिस्तान में करवाई जाती है।