Friday, June 27, 2025
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क्या है 2+2 मंत्री स्तरीय वार्ता, जापान संग बैठक में किन मुद्दों पर चर्चा; हिन्द प्रशांत क्षेत्र के लिए क्यों जरूरी


भारत और जापान के बीच तीसरी टू प्लस टू मंत्री स्तरीय वार्ता नई दिल्ली में संपन्न हुई। भारत की तरफ से रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और विदेश मंत्री एस जयशंकर ने इस वार्ता में भाग लिया, जबकि जापान की तरफ से रक्षा मंत्री मिनोरू किहारा तथा विदेश मंत्री योको कामिकावा ने शिरकत की। बैठक के बाद रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने मंगलवार को कहा कि हिन्द प्रशांत क्षेत्र से भारत और जापान दोनों के हित गहरायी से जुड़े हैं और इनकी साझेदारी क्षेत्र में शांति तथा स्थिरता के लिए महत्वपूर्ण है।

उन्होंने कहा, “आज हमारी चर्चा के दौरान, हमने परस्पर हित के द्विपक्षीय और क्षेत्रीय मुद्दों के बारे में चर्चा की। हिन्द प्रशांत क्षेत्र में दो महत्वपूर्ण हितधारक होने के नाते, भारत और जापान कई मायनों में इस क्षेत्र के महत्वपूर्ण संरक्षक हैं। इसलिए यह भागीदारी हिन्द प्रशांत क्षेत्र में शांति और स्थिरता के लिए महत्वपूर्ण है। ”

विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि भारत और जापान के बीच सहयोग हिंद-प्रशांत क्षेत्र में व्यापक संदर्भ में स्थापित हैं। उन्होंने कहा कि भारत और जापान लोकतंत्र, स्वतंत्रता और कानून के शासन के साझा मूल्यों पर आधारित ‘विशेष रणनीतिक और वैश्विक साझेदारी’ करते हैं। रक्षा क्षेत्र, इस संबंध में सर्वाधिक महत्वपूर्ण स्तंभों में से एक प्रमुख स्तंभ के रूप में उभरा है। मौजूदा वैश्विक माहौल में एक स्वतंत्र, खुला, समावेशी और समृद्ध हिंद-प्रशांत क्षेत्र सुनिश्चित करने के लिए भारत-जापान रक्षा साझेदारी को सुदृढ़ करना महत्वपूर्ण है।

उन्होंने कहा कि दोनों देशों के बीच हिन्द प्रशांत क्षेत्र में शांति, सुरक्षा और स्थिरता के मुद्दों पर तालमेल और साझा नजरिया मजबूत हुआ है। भारत, आसियान और जापान सहित अन्य देशों के बीच सहयोग को आगे बढ़ाने के लिए ‘एडीएमएम प्लस’ का एक सक्रिय सदस्य है। उन्होंने कहा कि बैठक में दोनों पक्षों ने क्षेत्र में स्थिरता और सुरक्षा को बढ़ावा देने तथा सार्थक परिणामों पर पहुंचने के लिए एक-दूसरे के प्रयासों का समर्थन करने की अपनी वचनबद्धता को व्यक्त किया है।

बाद में रक्षा मंत्री सिंह ने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट में भी कहा, “अपने जापानी समकक्ष किहारा मिनोरू के साथ शानदार बैठक की। हमने भारत जापान संबंधों की विस्तार से समीक्षा की और दोनों देशों के बीच संबंधों को और प्रगाढ बनाने पर सहमति व्यक्त की। हमने परस्पर हित के क्षेत्रीय और वैश्विक मुद्दों पर भी चर्चा की।”

रक्षा मंत्री ने कहा कि यह वर्ष भारत और जापान दोनों के लिए महत्वपूर्ण है, क्योंकि हम अपनी विशेष वैश्विक सामरिक साझेदारी की स्थापना के 10 वर्ष पूरे होने का जश्न मना रहे हैं। उन्होंने दोनों देशों के बीच रक्षा क्षेत्र में सहयोग को लेकर पिछले एक दशक में हुई प्रगति पर भी प्रसन्नत व्यक्त की। उन्होंने कहा कि बैठकों के परिणाम अपेक्षाओं से भी अधिक रहे हैं। यह दोनों देशों के रक्षा मंत्रालयों के बीच बेहतरीन तालमेल के कारण ही संभव हो पाया है।

सिंह ने कहा कि वर्ष 2023 रक्षा संबंधों में एक मील के पत्थर के रूप में साबित हुआ। उन्होंने कहा, “हमारे रक्षा उपकरण और प्रौद्योगिकी सहयोग के क्षेत्र में भी उल्लेखनीय प्रगति हुई है। 2047 में जब हम स्वतंत्रता के 100 वर्ष पूरे कर रहे होंगे, उसके लिए हमने विकसित भारत का विजन रखा है। आत्मनिर्भर भारत को प्राप्त करने के लिए घरेलू रक्षा क्षमता का निर्माण इस विजन का एक अभिन्न अंग है।”

बता दें कि इससे पहले दूसरा भारत-जापान 2+2 संवाद सितंबर 2022 में जापान में आयोजित किया गया था। पहली भारत-जापान 2+2 मंत्रिस्तरीय वार्ता नवंबर 2019 में नई दिल्ली में आयोजित की गई थी

क्या है 2+2 मंत्रिस्तरीय वार्ता

भारत संयुक्त राज्य अमेरिका, रूस, जापान, ऑस्ट्रेलिया और ब्राजील के साथ 2+2 मंत्रीस्तरीय वार्ता आयोजित करता है। फिलहाल भारत की सिर्फ ब्राज़ील के साथ केवल सचिव-स्तरीय वार्ता है; बाकी देशों के साथ मंत्री-स्तरीय वार्ता होती है। संयुक्त राज्य अमेरिका पहला देश था जिसके साथ भारत ने 2+2 वार्ता शुरू की थी। पहली भारत-अमेरिका 2+2 वार्ता सितंबर 2018 में नई दिल्ली में आयोजित की गई थी। अब तक पांच बार यह वार्ता हो चुकी है। 5वीं भारत-संयुक्त राज्य अमेरिका 2+2 वार्ता नवंबर 2023 में नई दिल्ली में आयोजित की गई थी।

रूस और भारत के बीच पहली 2+2 मंत्रीस्तरीय वार्ता 6 दिसंबर 2021 को नई दिल्ली में आयोजित की गई थी, जबकि पहली भारत-ऑस्ट्रेलिया 2+2 वार्ता 11 सितंबर 2021 को नई दिल्ली में आयोजित की गई। दूसरी वार्ता 20 नवंबर 2023 को नई दिल्ली में आयोजित की गई और तीसरी वार्ता 2025 में आयोजित की जाएगी। ब्राज़ील के साथ पहली 2+2 वार्ता मार्च 2024 में नई दिल्ली में आयोजित की गई थी। हालाँकि, इसका नेतृत्व मंत्रियों के बजाय संबंधित विभागों के सचिवों ने किया था।



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