पूर्वी एशियाई देश फिलीपींस अपनी सुरक्षा और संप्रभुता को मजबूत करने के लिए एक और बड़ा कदम उठा रहा है। हाल ही में फिलीपींस ने भारत के साथ ब्रह्मोस मिसाइल खरीद कर चीन की विस्तारवादी नीतियों को चुनौती दी है। अब फिलीपींस ने अमेरिका से टायफॉन मिसाइल लांचर हासिल करने की ओर कदम बढ़ाया है। इस अत्याधुनिक मिसाइल प्रणाली की वजह से दक्षिण चीन सागर में फिलीपींस चीन को काउंटर कर सकता है।
फिलीपींस की सेना के प्रमुख जनरल रोमियो ब्रॉर्नर जूनियर का कहना है कि देश की सुरक्षा रणनीति में बाहरी खतरों से निपटने के लिए नई मिसाइल प्रणालियों की खरीद बेहद जरूरी है। टायफॉन मिसाइल सिस्टम 240 किलोमीटर से लेकर 2,500 किलोमीटर तक की दूरी पर निशाना साध सकता है, जिससे यह दक्षिण चीन सागर और ताइवान स्ट्रेट जैसे संवेदनशील इलाकों को कवर कर सकता है।
फिलीपींस का यह कदम उसकी रक्षा क्षमताओं को मजबूत करेगा और साथ ही भारत के साथ उसके रिश्तों को भी और पुख्ता करेगा। इस साल की शुरुआत में, फिलीपींस ने भारत से ब्रह्मोस मिसाइल की पहली खेप प्राप्त की थी, जिससे दोनों देशों के बीच रक्षा सहयोग को नई ऊंचाई मिली है।
चीन ने फिलीपींस में टायफॉन मिसाइल सिस्टम की तैनाती पर नाराजगी जताई है और इसे क्षेत्रीय सुरक्षा के लिए खतरा बताया है। लेकिन फिलीपींस के लिए यह मिसाइल सिस्टम चीन की आक्रामक नीतियों का मुकाबला करने में एक अहम हथियार साबित हो सकता है। जानकारों का मानना है कि ब्रह्मोस मिसाइल बैटरी के साथ टायफॉन सिस्टम फिलीपींस के क्षेत्रीय रक्षा नेटवर्क का अहम हिस्सा बन सकता है और अपनी प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ा सकता है।
फिलीपींस की इस नई सुरक्षा नीति का असर उसके विदेशी रिश्तों में भी दिखता है। राष्ट्रपति फर्डिनेंड मार्कोस जूनियर की अगुवाई में फिलीपींस ने अमेरिका के साथ अपने रिश्तों को और मजबूत किया है, जबकि पूर्व राष्ट्रपति रोड्रिगो दुतेर्ते की चीन समर्थक नीतियों को पीछे छोड़ दिया है। चीन की आक्रामकता के सामने, फिलीपींस का यह कदम साफ तौर पर यह संदेश देता है कि वह अपने क्षेत्रीय हितों की रक्षा के लिए हर कदम उठाने को तैयार है। भारत के साथ ब्रह्मोस मिसाइल सौदे और अब अमेरिका से टायफॉन मिसाइल प्रणाली की खरीद के साथ फिलीपींस ने अपनी सुरक्षा के लिए एक मजबूत आधार तैयार किया है. जो चीन की विस्तारवादी नीतियों के खिलाफ एक सख्त रक्षा कवच के रूप में काम करेगा।