Friday, June 27, 2025
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‘PDP-BJP में फिर हो सकता है चुनाव बाद गठबंधन, इसीलिए वापस लाए गए राम माधव’; एक ही लाइन पर पूर्व CM और पूर्व गवर्नर


आशिक हुसैन, हिन्दुस्तान टाइम्स

जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री और नेशनल कॉन्फ्रेंस के उपाध्यक्ष उमर अब्दुल्ला ने राज्य के पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक के उस दावे पर अपनी भी सहमति जताई है, जिसमें मलिक ने दावा किया था कि भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने राम माधव को पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (PDP) के साथ चुनाव बाद गठबंधन करने के लिए ही चुनाव से ठीक पहले वापस लाया है। जब उनसे पूछा गया कि क्या मलिक का यह दावा कि राम माधव को पीडीपी से गठबंधन के लिए जम्मू-कश्मीर वापस लाया गया है, अब्दुल्ला ने कहा कि माधव पीडीपी के अलावा जम्मू-कश्मीर में किसी अन्य राजनीतिक पार्टी के करीबी नहीं हैं।

मध्य कश्मीर के गांदरबल में मीडिया से बात करते हुए अब्दुल्ला ने कहा, “वह बेहतर जानते हैं क्योंकि सत्यपाल मलिक के भाजपा के साथ घनिष्ठ संबंध थे और 2019 में जो कुछ हुआ वह मलिक के हाथों हुआ। अब, राम माधव यहां क्यों और किस कारण से आए, मैं यह नहीं कह सकता। इसका जवाब तो भाजपा ही दे सकती है, लेकिन इस बात में कोई संदेह नहीं है कि अगर राम माधव जम्मू-कश्मीर में किसी राजनीतिक दल के करीब हैं तो वह पीडीपी है।”

अब्दुल्ला ने कहा कि पिछली बार भाजपा और पीडीपी को एक मंच पर लाने के शिल्पकार राम माधव ही थे। उन्होंने कहा, “उन्होंने ही दोनों दलों के बीच 2014-15 में गठबंधन करवाया था और शायद इसीलिए उन्हें फिर से वापस लाया गया है।” पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा, “उन्हें सीटें मिलने दीजिए, फिर इस पर बात की जा सकती है।”

इससे पहले एक समाचार पोर्टल को दिए गए वीडियो इंटरव्यू में मलिक ने कहा कि आरएसएस नेता माधव को जम्मू-कश्मीर वापस इसलिए लाया गया है क्योंकि भाजपा विधानसभा चुनावों में उस क्षेत्र में बड़ी हार कीा सामना करने जा रही है। मलिक का यह वीडियो क्लिप कश्मीर में खूब वायरल हो रहा है। उस क्लिप में मलिक ने कहा, “वे चुनावों के बाद महबूबा मुफ्ती के साथ समझौता करने के बारे में सोच रहे हैं और महबूबा के साथ इस बारे में बातचीत करने के लिए राम माधव को लाया गया है, क्योंकि वह पहले भी ऐसी महत्वपूर्ण भूमिका निभा चुके हैं।”

बता दें कि सत्यपाल मलिक अगस्त 2018 से अक्टूबर 2019 तक जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल थे। उन्हीं के कार्यकाल में जम्मू-कश्मीर का विशेष दर्जा खत्म कर दिया गया था। राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजित कर दिया गया था और जम्मू-कश्मीर के सभी राजनीतिक नेताओं को जेल में डाल दिया गया था।

नेशनल कॉन्फ्रेन्स के उपाध्यक्ष उमर अब्दुल्ला ने सोमवार को कहा कि विधानसभा चुनाव प्रक्रिया में शामिल होने और लोकतंत्र पर भरोसा दिखाने वाले कुछ अलगाववादी नेताओं का फैसला उनके लिए सफलता है क्योंकि चुनावी राजनीति और हिंसा के खिलाफ उनके रुख की पुष्टि हुई है। सोमवार को मीडिया से बात करते हुए अब्दुल्ला से हुर्रियत के एक पूर्व नेता के फैसले के बारे में पूछा गया, जो रविवार को पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी में शामिल हो गए थे।

अब्दुल्ला ने कहा, “विचारधाराएँ बदलती रहती हैं। चुनाव आ गए हैं और वे (हुर्रियत के कुछ नेता) चुनाव लड़ने के लिए तैयार हैं। अब तक, जब भी हम किसी चुनाव का सामना करते थे, तो वे बहिष्कार के नारे लगाते थे। अब वे चुनाव के लिए मैदान में उतरने के लिए तैयार हैं, इसलिए किसी तरह उनकी विचारधारा में बदलाव आया है और हम सही साबित हुए हैं।”



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