Friday, June 27, 2025
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जम्मू-कश्मीर में बनेगी किसकी सरकार? कैसे SC मतदाता निभा सकते हैं निर्णायक भूमिका


जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव के दौरान उम्मीदवारों के भाग्य का फैसला करने में अनुसूचित जाति (SC) के मतदाताओं की अहम भूमिका रहेगी। इसी को ध्यान में रखकर सभी राजनीतिक दल इस वर्ग के वोटरों को लुभाने की कोशिश कर रहे हैं। जम्मू-कश्मीर में 90 विधानसभा क्षेत्र हैं, जिनमें से 7 सीटें एससी और 9 अनुसूचित जनजाति (ST) के लिए आरक्षित हैं। जम्मू प्रांत में 20 सीटें ऐसी हैं, जिनमें SC आबादी 19 से 26 प्रतिशत के बीच है। यह पर्याप्त आबादी इन निर्वाचन क्षेत्रों में अनारक्षित उम्मीदवारों के भाग्य का फैसला कर सकती है। साथ ही, जम्मू-कश्मीर में अगली सरकार के गठन में किसी भी राजनीतिक दल की मदद कर सकती है।

साल 2011 की जनगणना के मुताबिक, मढ़ निर्वाचन क्षेत्र में सबसे अधिक 42.55 प्रतिशत अनुसूचित जाति के मतदाता हैं। इसी प्रकार बिश्नाह में 41.95, रामनगर में 36.73, सुचेतगढ़ में 36.71, अखनूर में 31.29, कठुआ में 31.28 और रामगढ़ में 30.48 प्रतिशत मतदाता SC समुदाय से हैं। राजौरी, गुलाबगढ़, बुधल, मेंढर, सुरनकोट, थानामंडी (जम्मू क्षेत्र), गुरेज, कोकरनाग, कंगन (कश्मीर क्षेत्र) सहित अनुसूचित जनजाति आरक्षित सीटें भी जम्मू कश्मीर में अगली सरकार बनाने में अहम भूमिका निभाएंगी। इन विधानसभा क्षेत्रों में एससी के मतदाताओं का प्रतिशत बहुत कम है।

भाजपा के घोषणापत्र में SC का कैसे जिक्र

राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि 7 आरक्षित सीटों पर मतदाता विभिन्न राजनीतिक दलों का प्रतिनिधित्व करने वाले SC उम्मीदवारों के लिए महत्वपूर्ण कारक की भूमिका निभायेंगे। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की ओर से शुक्रवार को जम्मू में भारतीय जनता पार्टी का घोषणापत्र जारी किया गया। इसमें सरकारी सेवाओं में अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों के लिए पदोन्नति में आरक्षण पर ध्यान केंद्रित किया गया है।

जम्मू-कश्मीर से कैसा रहा सीटों का समीकरण

बता दें कि पिछले विधानसभा चुनाव में पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (PDP) ने 28 सीटें, भाजपा ने 25, नेशनल कॉन्फ्रेंस ने 15 और कांग्रेस ने 12 सीटें जीती थीं। कांग्रेस ने इस बार चुनाव लड़ने के लिए नेशनल कॉन्फ्रेंस के साथ गठबंधन किया है। जम्मू-कश्मीर में तीन चरणों में 18 सितंबर, 25 सितंबर और 1 अक्टूबर को मतदान कराए जाएंगे। 8 अक्टूबर को नतीजे घोषित किए जाएंगे। इससे पहले भाजपा, कांग्रेस, पीडीपी समेत सभी राजनीतिक दल जातीय समीकरणों को भी साधने में जुट गए हैं।



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