Saturday, June 28, 2025
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जल्लाद बना यह मुस्लिम देश, इस साल दे चुका है 400 से अधिक को मौत; 15 महिलाओं को भी लटकाया


इस्लामिक देश ईरान अपने सख्त कानूनों के लिए दुनियाभर में जाना जाता है। यहां साधारण से अपराध के लिए कड़ी कानूनी सजा दी जाती है। जी हां, ईरान में मादक पदार्थों का सेवन किए जाने पर भी मौत की सजा मुकर्रर की गई है। ईरान में इस साल अब तक 400 से अधिक लोगों को मौत की सजा दी जा चुकी है, जिसमें अगस्त महीने में ही 81 लोगों को फांसी पर लटकाया गया। अयातुल्ला अली खामेनेई के देश में इस साल 15 महिलाएं फांसी की तख्ते पर झूल चुकी हैं।

एएफपी की रिपोर्ट के मुताबिक, इस साल जुलाई में 45 से ज्यादा लोगों की मौत को सजा दी गई थी। संयुक्त राष्ट्र के 11 मानवाधिकार विशेषज्ञों की एक स्वतंत्र टीम ने हाल ही में जारी एक बयान में इसकी जानकारी दी। बयान के अनुसार, फांसी पर चढ़ाए गए लोगों में 15 महिलाएं भी शामिल हैं। विशेषज्ञों ने मौत की सजा में हो रही इस बढ़ोतरी को लेकर गहरी चिंता जताई है। विशेषज्ञों के अनुसार, अगस्त में फांसी की सजा पाने वाले 41 लोग मादक पदार्थों से जुड़े आरोपों का सामना कर रहे थे। विशेषज्ञों का कहना है कि ऐसे मामूली अपराधों के लिए मौत की सजा देना अंतर्राष्ट्रीय मानकों के खिलाफ है।

अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार संगठन एमनेस्टी इंटरनेशनल के अनुसार, चीन को छोड़कर हर साल सबसे ज्यादा मौत की सजा ईरान में दी जाती है। विशेषज्ञों का मानना है कि मादक पदार्थों से जुड़े अपराधों पर भी मौत की सजा देना अत्यधिक सख्ती और मानवीय अधिकारों का उल्लंघन है। ईरान की सरकार ने मौत की सजा को न्यायिक प्रक्रिया का हिस्सा बनाते हुए इसे अपराधों के खिलाफ एक कठोर उपाय के रूप में इस्तेमाल किया है। हालांकि, यह कदम कई अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं द्वारा निंदा का कारण बन चुका है।

बीते साल ईरान में एक 17 साल के नाबालिग को फांसी दे दी गई थी। ईरान ह्यूमन राइट्स के अनुसार, हामिद्रेजा अजारी नाम के लड़के को ईरान के खुरासान-ए रजावी प्रांत में स्थित सब्जेवर जेल में फांसी दे दी गई। रिपोर्ट्स की मानें तो मई में अजारी 16 साल का था जब उसने एक झगड़े में एक व्यक्ति की हत्या कर दी थी। कई मानवाधिकार संगठनों का मानना है कि ईरान द्वारा नाबालिग को दी गई फांसी बाल अधिकारों पर संयुक्त राष्ट्र कन्वेंशन के कानूनों का उल्लंघन है। ईरान मानवाधिकार संगठन के मुताबिक, बीते साल नवंबर तक ईरान में 685 से अधिक को फांसी पर लटका दिया गया था।



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