Sunday, June 29, 2025
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क्या है टेक्नोलॉजी वारफेयर, जिससे इजरायल ने उड़ाए होश; भारत समेत पूरी दुनिया क्यों चिंतित


क्या दुनिया अब नए तरह के युद्ध की ओर बढ़ चली है और आमने-सामने की जंग के तरीके पुराने हो चले हैं? यूक्रेन-रूस युद्ध, अमेरिका पर 9/11 के हमले और वियतनाम में अमेरिका की नाकामी के बाद से ही यह सवाल उठते रहे हैं। लेकिन इसे अब नया आयाम मिलने लगा है। इजरायल ने जिस तरह बीते दो दिनों में लेबनान में सक्रिय अपने दुश्मन संगठन हिजबुल्लाह के आतंकियों के पेजरों और वॉकी-टॉकी में विस्फोट कराए हैं, उसने नई बहस छेड़ दी है। अब तक हाइब्रिड वारफेयर की बात की जाती थी। इसके तहत यह कहा जाता है कि दुनिया अब हाइब्रिड वारफेयर की ओर बढ़ चली है, जिसमें परंपरागत, गैर-परंपरागत हथियारों, संचार माध्यम, तकनीक, अर्थव्यवस्था और प्रोपेगेंडा के इस्तेमाल से जंग लड़ी जा सकती है।

इजरायल ने तो इस जंग को और आगे ले जाते हुए तकनीक की दुनिया में ही हलचल पैदा कर दी है। हालात ऐसे हैं कि लेबनान में लोग फोन तक का इस्तेमाल करने से डर रहे हैं कि कहीं ये भी न फट जाएं। इसके अलावा दुनिया भर में ही यह बहस छिड़ गई है कि आखिर तकनीकी उपकरणों के माध्यम से दुश्मन कितना नुकसान कर सकता है। जानकार मानते हैं कि बदलती दुनिया में संघर्ष के आयाम भी बदले हैं और उसके हथियारों में भी तब्दीली आई है। सूचना और प्रचार का इस्तेमाल महाभारत काल से आज तक युद्धों में होता रहा है, लेकिन बदलते दौर के साथ इनकी उपयोगिता और बढ़ी है।

सूचना के इस दौर में संचार माध्यम, प्रोपेगेंडा, मिथ्या प्रचार, अधूरी जानकारी जैसी चीजें अकसर युद्ध का रुख बदलने की क्षमता रखती हैं। हर गुजरते दिन के साथ कोई नई तकनीक सामने आती है और वह युद्ध के नए तरीकों में शामिल हो जाती है। ऐसे में उपरोक्त शब्दावलियों में ‘हाइब्रिड वारफेयर’ शायद सबसे सटीक शब्द है, जो नए दौर के युद्ध को परिभाषित करता है और उसमें सभी प्रकार की विधियां समाहित होती हैं। इन्हीं में से एक टेक्नोलॉजिकल वारफेयर है। इसके तहक उन डिवाइसेज के माध्यम से ही अटैक किए जा सकते हैं, जिनका प्रयोग समाज अपनी सुविधा, आर्थिक लेन-देन, जरूरी कामकाज निपटाने के लिए करता है।

कैसे एक झटके में ठप हो सकता है दुश्मन देश

इनमें साइबर अटैक, सशस्त्र ड्र्रोन, रोबोट शामिल हैं। इसके अलावा अब जिस तरह से इजरायल ने इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों में ही धमाके करा दिए हैं, उन्हें भी इसी का हिस्सा माना जा सकता है। यूं भी जानकारों का कहना है कि पेजर और वॉकी-टॉकी फटने की एक वजह विस्फोटक हो सकती है तो वहीं यह भी संभव है कि हैक करके बैटरी को एक लेवल से ज्यादा हीट कराया गया हो। जिससे वे कुछ समय के बाद फट गईं। टेक्नोलॉजिकल वारफेयर का ही एक हिस्सा साइबर वारफेयर भी है। इसके तहत किसी भी देश के शेयर बाजार, पावर ग्रिड, रेलवे नेटवर्क आदि में सेंध लगाई जा सकती है और कुछ ही देर में सब कुछ ठप हो सकता है।

पीएम नरेंद्र मोदी ने भी जताई थी चिंता- हर दिन है नई चुनौती

ऐसा होने पर प्रतिद्वंद्वी असहाय हो सकता है और उसके लिए मुकाबला करना आसान नहीं होगा। खासतौर पर ऐसी जंगों में प्रतिद्वंद्वी कई बार हजारों मील दूर से ऐसे अटैक करता है तो जवाब भी देना दुष्कर है। भारतीय सेना और सत्ता प्रतिष्ठान में भी इसे लेकर चर्चा होती रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी 2021 में सैनिकों के बीच दिवाली मनाते हुए हाइब्रिड वारफेयर के खतरों के बारे में चेता चुके हैं। उन्होंने कहा था, ‘पहले युद्ध का परिदृश्य दशकों और सदियों में बदलता था, लेकिन आज तकनीक हर दिन बदल रही है। हम हर सुबह और शाम कोई नई चुनौती का सामना करते हैं। आज का वारफेयर सिर्फ ऑपरेशनल क्षमताओं तक ही सीमित नहीं रह गया है। आज तकनीक और हाइब्रिड तरीके लगातार बदल रहे हैं और उन्हें एक समन्वित प्रयास के तहत समझने और निपटने की जरूरत है। इसलिए हमें निरंतर सुधार करना होगा और तेजी से बदलते वैश्विक परिदृश्य के मुताबिक ही तैयारी करनी होगी।’



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