नई दिल्ली. दिल्ली पुलिस ने हाल ही में एक नकली वीजा फैक्ट्री को पकड़ा था. इस फैक्ट्री का मास्टरमाइंड मनोज मोंगा को पुलिस ने एयरपोर्ट से अरेस्ट किया था. मनोज मोंगा की गरीबी से अमीर बनने की कहानी धोखे, लालच और विश्वासघात से भरी हुई है. मनोज मोंगा बैनर बनाने का काम करता था और देखते ही देखने उसने 100 करोड़ रुपये का साम्राज्य खड़ा कर दिया. मनोज मोंगा ने क्राइम से कितना भी पैसा कमाया हो लेकिन उसका परिवार दिल्ली के तिलक नगर में एक साधारण परिवार की तरह जीवन जीता है. मनोज मोंगा ने 5 साल दिल्ली पुलिस के साथ चूहे-बिल्ले का खेल आखिरकार खत्म हो गया है.
दिल्ली पुलिस को मनोज मोंगा के तिलक नगर वाले घर से फर्जी वीजा कारोबार का कोई सबूत नहीं मिला है. पुलिस को मोंगा के ठिकाने में एक विशाल हॉल में सैकड़ों स्टाम्प, कई कागज और जरूरी स्टेशनरी का सामान मिला. बताया जा रहा है कि मोंगा अलग-अलग देशों के वीजा के डिजाइन अपने पास रखता था ताकि किसी कस्टमर की डिमांड आने पर वह फोटोशॉप और कोरल जैसे सॉफ़्टवेयर की मदद से उनके लिए नकली वीजा बना सके. किसी को उसके काले कारनामों के बारे में पता न चले मोंगा इसका खास ख्याल रखता था इसलिए उसका मेन काम टेम्पलेट्स बनाना था और वह उसकी आड़ में फर्जी वीजा बनाता था.
वीजा फैक्ट्री चलाने के लिए किया ग्राफिक डिजाइन का कोर्स
पुलिस के अनुसार, मास्टरमाइंड मोंगा ने अच्छी क्वालिटी का नकली वीजा बनाने के लिए एक प्राइवेट कॉलेज से ग्राफिक डिजाइन का कोर्स किया था. इस मामले में जांच अधिकारी सब इंस्पेक्टर मदन लाल ने बताया कि आरोपी एक साधारण पारिवारिक से है जिसकी पत्नी टीचर है और अपने दो बच्चों के साथ तिलक नगर में रहता है. मोंगा का बेटा दिल्ली के एक कॉलेज में पढ़ रहा है, उसकी बेटी जर्मनी में है. जहां उसका खर्चा लोन पर चलता है. इसलिए जब पुलिस ने घर पर छापा मारा तो पहले तो परिवार पर मुसीबतों का पहाड़ टूट गया और उन्हें कुछ समझ ही नहीं आया.
क्यों की क्राइम वर्ल्ड में एंट्री?
बताया जा रहा है कि मोंगा अपने ग्राहकों के लिए हर महीने 20-30 नकली वीजा बनाता था. उस फर्जी वीजा की कीमत मोंगा अपने कस्टमर की मजबूरी और जरूरत के हिसाब से तय करता था. मोंगा जब बैनर बनाने का काम करता था, तो हर बैनर पर लगभग 5000 रुपये कमाता था. उस दौरान वो फर्जी वीजा बनाने वाले एजेंटों के कॉन्टेक्ट में आया. उन्होंने मोंगा को बताया कि एक वीजा से कम से कम 1 लाख रुपये मिल सकते हैं. ज्यादा कमाई के लालच में आकर मोंगा अपराध की दुनिया में एंट्री कर गया.
कितनी मुश्किल थी अरेस्टिंग
पुलिस ने मोंगा को अरेस्ट करने से पहले 15 दिनों तक मामले की जांच की. मोंगा के समाने सबसे बड़ी दिक्कत यह थी कि वो सिर्फ एक ही फोन इस्तेमाल करता था. ये फोन ऑफ ही रहता था लेकिन जब उसे अपने कस्टमर्स से बात करनी होती थी तो वो फोन ऑन करता था और बातचीत के बाद डिवाइस को फिर से बंद कर देता था. इस कारण पुलिस के लिए उसे ट्रैक करना काफी मुश्किल था. पुलिस ने उसे तब जाकर गिरफ्तार किया जब उसके एक पार्टनर को हिरासत में लिया. उस शख्स ने फोन करके मोंगा को 15 फर्जी वीजा बनाने का ऑर्डर दिया. जब वह शख्स वो फर्जी वीजा लेने के लिए मोंगा के ठिकाने पर गया तब जाकर पुलिस ने उसके ठिकाने पर रेड मारी. जहां पुलिस को उसके खिलाफ कई सबूत मिले. पुलिस ने इस मामले में 150 से ज्यादा फर्जी वीजा एजेंटों को गिरफ्तार किया है. वहीं मोंगा को आईजीआई एयरपोर्ट से गिरफ्तार किया.
एक अनुमान के मुताबिक, बताया जा रहा है कि मोंगा ने फर्जी वीजा रैकेट के जरिए 100 करोड़ रुपये से अधिक की कमाई की. पुलिस अब इन वीजा बनाने वाली फैक्ट्रियों को खत्म करने को लेकर प्लान बना रही है. वहीं एयरपोर्ट डिर्पाटमेंट का सुरक्षा विभाग नकली वीजा से निपटने के लिए अपने वॉटरमार्क डिटेक्शन को अक्सर अपडेट करता रहता है. हालांकि, अपराधी अब हाईटेक टेकनिक का इस्तेमाल करते हैं और अच्छी यूवी, रबर स्टैम्प का यूज करते है. पुलिस का कहना है कि फर्जी वीजा को पकड़ना अब एक बड़ा चैलेंज है.
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FIRST PUBLISHED : September 20, 2024, 16:33 IST