रूस के राष्ट्रपति पुतिन के करीबी वोलोडीन के कुछ दिन पहले परमाणु संघर्ष की धमकी देने के बाद क्रेमलिन के सुर कुछ बदले हुए नजर आ रहे हैं। रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव परमाणु हथियारों के इस्तेमाल के बारे में कहा है कि कोई भी परमाणु संघर्ष नहीं चाहता। स्काई न्यूज अरेबिया को दिए अपने इंटरर्व्यू में लावरोव ने कहा कि परमाणु हथियारों के बारे में बात करना गैर-जिम्मेदाराना और गलत है। उन्होंने कहा कि हम रेड लाइन के बारे में बात करते हैं और उम्मीद करते हैं कि हमारी बात का सम्मान किया जाए और सुना जाए। लेकिन मैं अगर यह कहने लगूं कि आप मेरी बात नहीं सुनेंगे तो मैं परमाणु हथियार का उपयोग करूंगा तो यह गलत हैं।
लावरोव ने कहा कि रूस नहीं चाहता की कोई भी परमाणु युद्ध हो, यहां तक की कोई भी नहीं चाहता की परमाणु संघर्ष हो। विदेश मंत्री की परमाणु हथियारों पर कही गई यह बात पुतिन के करीबी और ड्यूमा के स्पीकर वोलोडिन की कही बात के बिल्कुल अगल है। वोलोडिन ने कहा था कि अगर पश्चिमी देश यूक्रेन को लंबी दूरी वाली मिसाइलों की आपूर्ति करते रहते हैं और उनसे रूसी जमीन पर हमला होता है तो फिर हमें परमाणु हथियारों की तरफ रुख करना होगा।
वोलोडीन ने पश्चिमी देशों की हरकतों पर उन्हें चेतावनी देते हुए कहा था कि ऐसी कार्रवाइयों से परमाणु हथियारों का वैश्विक युद्ध छिड़ सकता है। इसलिए पश्चिमी को सोच समझ कर और रेड लाइन का ख्याल रखकर कोई फैसला लेना चाहिए।
इसको अलावा वोलोडिन ने यह भी दावा किया था कि रूस की आरएस-28 सरमाट अंतरमहाद्वीपीय बैलेस्टिक मिसाइल जिसे शटन-2 के नाम से जाना जाता है वह मिनटों के भीतर फ्रांस के स्ट्रासबर्ग शहर पर हमला कर सकता है। वोलोडीन ने यह बात यूरोपीय संसद में यूक्रेन के पक्ष में हुई वोटिंग के बाद कही थी, जिसमें पश्चिमी हथियारों से रूसी सैन्य ठिकानों पर हमला करने की बात कही गई थी। इस प्रस्ताव के मुताबिक, आत्मरक्षा के कानून के तहत युक्रेन को हथियारों की सप्लाई की जानी चाहिए। इसके बाद आए वोलोडिन के बयान ने परमाणु हथियारों के इस्तेमाल को लेकर चिंता बढ़ा दी थी। क्योंकि इसके पहले भी रूस की तरफ से ऐसी बात हो चुकी थी। लेकिन विदेश मंत्री के रूप में लावरोव की तरफ से कही गई यह बात क्रेमलिन के परमाणु हथियारों को लेकर रुख को अधिक साफ करती है।