पीएम मोदी अपने तीन दिनों के निर्धारित कार्यक्रम के लिए अमेरिका पहुंच चुके हैं। लेकिन उनके अमेरिका पहुंचने के कुछ घंटे पहले ही व्हाइट हाउस के सदस्यों ने खालिस्तान समर्थकों के साथ मीटिंग की है। व्हाइट हाउस की तरफ से खालिस्तानी सर्मथकों को इस मीटिंग में अमेरिका धरती पर किसी भी विदेशी आक्रामकता से सुरक्षा का भरोसा दिया। उसकी तरफ से कहा गया कि वह अमेरिका की सीमाओं के अंदर रहने वाले सभी अमेरिकी नागरिकों को नुकसान से बचाने के लिए प्रतिबद्ध है।
दरअसल, खालिस्तानी समर्थक समूहों और व्हाइट हाउस के प्रतिनिधियों के बीच यह मीटिंग प्रधानमंत्री मोदी के तय कार्यक्रम के पहले हुई। इस बैठक का आयोजन व्हाइट हाउस में ही हुआ। इसमें अमेरिकी सिख कॉकस समिति के प्रतिपाल सिंह ने भी भाग लिया। प्रतिपाल सिंह ने मीटिंग के बाद मीडियाकर्मियों से बात करते हुए कहा कि कल हमें सिख अमेरिकियों की जान बचाने और हमारे समुदाय की सुरक्षा और सतर्कता के लिए वरिष्ठ फेडरल अधिकारियों को धन्यवाद कहने का मौका मिला। इसके बाद प्रतिपाल सिंह ने सोशल मीडिया प्लेटफार्म एक्स पर भी पोस्ट करके सिख अमेरिकियों की रक्षा करने के लिए अमेरिकी अधिकारियों का धन्यवाद दिया।
यह पहली बार है जब अमेरिकी राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद ने सिख अलगाववादियों के साथ मीटिंग की है। हालंकि व्हाइट हाउस की तरफ से इस पर अभी कोई प्रतिक्रिया नहीं दी गई है। इस मीटिंग की पहल व्हाइट हाउस की तरफ से ही की गई थी।
अमेरिकी कांग्रेस में इसी सप्ताह एक कांग्रेसी एडम शिफ ने ट्रांसनेशनल रिप्रेशन रिपोर्टिंग एक्ट 2024 पेश किया। इसके तहत अमेरिकी एजेंसियों को अमेरिका में लोगों के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय दमन के मामलों की रिपोर्ट दायर करने की आवश्यकता होती है। इस विधेयक के माध्यम से अमेरिकी सरकार दुनिया को यह संदेश देती है कि उसके नागरिकों के संवैधानिक अधिकारों का उल्लंघन बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
NSA डोभाल के लिए जारी हो चुका है समन
दरअसल, एक अमेरिकी सिख समूह एसएएलडीईए ने खुले तौर पर कनाडा में खालिस्तानी आतंकी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या के लिए भारत को दोषी ठहराया था। इसके अलावा भारत और एनएसए अजीत डोभाल के खिलाफ भी इसी हफ्ते गुरुपतवंत सिंह पन्नू एक केस दायर किया था, जिसके बाद न्यूयॉर्क के दक्षिणी जिले के अमेरिकी जिला न्यायालय ने समन जारी किया था।
इस समन में भारत सरकार, एनएसए अजीत डोभाल, रॉ चीफ सामंत गोयल, एजेंट विक्रम यादव और एक नागरिक निखिल गुप्ता का नाम शामिल था। इन पर नवंबर 2023 में गुरुपतवंत सिंह पन्नू को मारने की नाकाम साजिश करने का आरोप लगाया। इस समन का जवाब 21 दिनों के भीतर मांगा गया था।
भारत की तरफ से विदेश सचिव विक्रम मिस्त्री ने इसे पूरी तरह से गलत मामला बताते हुए कहा कि जिस व्यक्ति ने यह केस दायर किया है हमें पहले उसके बारे में जानना चाहिए। वह एक ऐसे संगठन से है जो कि आतंकवादी गतिविधियों में लिप्त है और वह लगातार भारतीय नेताओं के खिलाफ भड़काऊ भाषण देता रहता है। नई दिल्ली उसे 2020 में ही आतंकवादी घोषित कर चुकी है। वही भारत में अमेरिकी राजनयिक एरिक गार्सेटी ने कहा कि यह इससे भारत और अमेरीका के संबंधों पर कोई फर्क नहीं पड़ने वाला
खालिस्तानी अलगावादियों को लेकर अपनी चिंता व्यक्त कर चुका है भारत
कनाडा और अमेरिका में रह रहे खालिस्तानी अलगाववदियों को लेकर भारत ने अपनी चिंता व्यक्त की थी। खालिस्तानी अलगाववादी भारत में प्रतिबंधित है। भारत की इस चिंता पर अमेरिका ने ज्यादा कोई टिप्पणी नहीं की है तो वहीं कनाडा ने इसे अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता कहा था। इसके जवाब में विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा था कि भारत अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का सम्मान करता है और इसका अभ्यास करता है, लेकिन अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का मतलब अलगाववाद का समर्थन करने की स्वतंत्रता नहीं है। यह विदेशी राजनयिकों को धमकी देने या वकालत करने वाले तत्वों को राजनीतिक स्थान देने की स्वतंत्रता के बराबर नहीं है।
उन्होंने कहा कि कोई भी देश या किसी भी नियम आधारित समाज में जब कोई रहने के लिए आता है तो आपको उनके बैकग्राउंड की जांच करनी चाहिए की वह कैसे आए, उनके पास कौन सा पासपोर्ट था। आपको यह जांच करनी चाहिए और तभी उन्हें जगह देनी चाहिए।