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क्या है ‘सुसाइड पॉड’ जिसमें महिला ने दी जान, बनाने वाले का नाम पड़ गया ‘डॉक्टर डेथ’; कैसे करता है काम


Suicide Pod: ‘अगर आप मरना चाहते हैं तो यह बटन दबाएं…।’ यह वॉयस मैसेज आता है उस सुसाइड पॉड के अंदर जो फिलहाल विवादों में घिर गया है। इस सुसाइड पॉड का इस्तेमाल करके 64 साल की अमेरिकी महिला ने जान दी थी।

Deepak लाइव हिन्दुस्तानThu, 26 Sep 2024 09:16 AM
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Suicide Pod: ‘अगर आप मरना चाहते हैं तो यह बटन दबाएं…।’ यह वॉयस मैसेज आता है उस सुसाइड पॉड के अंदर जो फिलहाल विवादों में घिर गया है। इस सुसाइड पॉड का इस्तेमाल करके 64 साल की अमेरिकी महिला ने जान दी थी। इसके बाद से तरह-तहर के सवाल उठ रहे हैं। रिपोर्ट के मुताबिक इस सुसाइड पॉड को स्विटजरलैंड और जर्मनी के बॉर्डर पर जंगल में रखा गया था। ऐसी महिला की इच्छा पर किया गया था, क्योंकि वह अंतिम समय में पेड़ और आसमान देखना चाहती थी। इच्छामृत्यु अभियान ‘एग्जिट इंटरनेशनल’ के प्रमुख डॉ. नित्श्के ने डच मीडिया को बताया कि वह दो मिनट के भीतर बेहोश हो गई। पांच मिनट बाद उसकी मौत हो गई।

इस डॉक्टर के दिमाग की उपज
इस सुसाइड पॉड को बनाने वाले ऑस्ट्रेलिया के डॉक्टर फिलिप निश्के हैं। इस मशीन को बनाने के बाद उन्हें ‘डॉक्टर डेथ’ का उपनाम मिल गया। उन्होंने यह मशीन उन मरीजों के लिए बनाई थी जो गंभीर रूप से बीमार थे और अपने जीवन का अंत करना चाहते थे। हालांकि अपनी सोच के लिए डॉक्टर निश्के ऑस्ट्रेलियन अधिकारियों के निशाने पर आ गए। साल 2014 में उनका मेडिकल लाइसेंस भी रद्द कर दिया गया।

ऐसे काम करता है ‘सुसाइड पॉड’
मशीन में अंदर घुसने के बाद एक वॉयस मैसेज सुनाई देता है, ‘अगर आप मरना चाहते हैं तो इस बटन को दबाएं।’ ऐसे लोग जो बटन दबाने में सक्षम नहीं हैं, उनके लिए आई मूवमेंट और वॉयस कंट्रोल का विकल्प है। एक बार यह प्रॉसेस शुरू कर देने के बाद इसको रोकने या वापस करने का कोई ऑप्शन नहीं है।

ऐसे निकलती है जान
हम जो हवा सांस के जरिए अंदर लेते हैं उसमें 21 फीसदी ऑक्सीजन और 79 फीसदी नाइट्रोजन होती है। पॉड के अंदर इस हवा को 100 परसेंट नाइट्रोजन से रिप्लेस कर दिया जाता है। एक बार बटन दबाने के बाद 30 सेकंड के अंदर ऑक्सीजन 21 परसेंट से घटकर 0.05 पर आ जाता है। इसके बाद अंदर जाने वाला शख्स बेहोश हो जाता है। फिर दस मिनट के अंदर जान चली जाती है। मरने वाले के अंतिम क्षणों को पॉड के अंदर रखे कैमरे पर रिकॉर्ड भी किया जाता है। फिर फुटेज को सरकारी अधिकारी को सौंप दिया जाता है।

क्यों हो रहा है विवाद
सुसाइड पॉड और इसके जरिए मरने की प्रक्रिया पर सोशल मीडिया में काफी बहस हो रही है। क्रिटिक्स का कहना है कि यह आत्महत्या को ग्लैमराइज करता है। विशेषज्ञों ने यह भी कहा है कि इसे बिना डॉक्टरी निगरानी के चलाया जारहा है। हालांकि डिवाइस के समर्थकों का कहना है कि इसने इच्छामृत्यु तक पहुंच का विस्तार किया। ताजा मामले में स्विस अधिकारियों का कहना है कि इस डिवाइस के इस्तेमाल की अनुमति नहीं है। स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि कैप्सूल में नाइट्रोजन का इस्तेमाल कानून सम्मत नहीं है। सुसाइड पॉड को लेकर स्विटरलैंड में पहले ही चेतावनी जारी की गई थी। इसके मुताबिक इस पॉड को चलाने वालों पर क्रिमिनल केस चल सकता है। इसमें पांच साल की जेल भी हो सकती है।



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