Saturday, June 28, 2025
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जिस हिजबुल्लाह को किया था खड़ा, उसे ही जंग में क्यों अकेला छोड़ा; ईरान की हेकड़ी हो गई हवा?


ईरान समेत दुनिया भर के कई हिस्सों में कट्टरपंथी इस बात की चर्चा कर रहे हैं कि जिस सशस्त्र हिज्बुल्लाह लड़ाकों को ईरान दशकों से मदद करता रहा है और जिसे ट्रेनिंग से लेकर धन और हथियार तक मुहैया कराता रहा है, वह इजरायल के खिलाफ जंग में हिज्बुल्लाह की मदद क्यों नहीं कर रहा है।

इजरायल पिछले कई दिनों से हिज्बुल्लाह आतंकियों के ठिकानों पर लेबनान में ताबड़तोड़ हमले कर रहा है। इजरायली हमलों में अब तक 700 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि हजारों घायल हैं। इजरायल लेबनान पर अब तक 2000 एयरस्ट्राइक कर चुका है। हिज्बुल्लाह भी इजरायल के उत्तरी हिस्से में कई शहरों पर मिसाइलें दाग रहा है। हालांकि, अधिकांश मिसाइलों को इजरायली सुरक्षा बल हवा में ही ध्वस्त कर दे रहे हैं। इस बीच ईरान समेत दुनिया भर के कई हिस्सों में कट्टरपंथी इस बात की चर्चा कर रहे हैं कि जिस सशस्त्र हिज्बुल्लाह लड़ाकों को ईरान दशकों से मदद करता रहा है और जिसे ट्रेनिंग से लेकर धन और हथियार तक मुहैया कराता रहा है, वह इजरायल के खिलाफ जंग में हिज्बुल्लाह की मदद क्यों नहीं कर रहा है?

ईरान की यह रहस्यमय चुप्पी वैसी परिस्थितियों में कौतूहल पैदा कर रही है, जब इजरायली पेजर अटैक में ईरानी राजदूत मोजतबा अमानी भी घायल हो चुके हैं। ईरान ने इस पेजर अटैक का आरोप इजरायल पर तो लगाया लेकिन इसका बदला लेने जैसी कोई सार्वजनिक प्रतिक्रिया या धमकी नहीं दी। हालांकि, इससे पहले जब इजरायल ने अप्रैल में सीरिया की राजधानी दमिश्क में ईरानी दूतावास पर हमला किया था, जिसमें IRGC के आठ कमांडर मारे गए थे, तब ईरान ने तुरंत जवाबी हमला किया था और इजरायल पर सैकड़ों ड्रोन और मिसाइलें दागी थीं।

बात-बात पर भड़कने वाला ईरान फिलहाल शांत

जुलाई में भी तेहरान में इजरायल के ऑपरेशन में हमास नेता इस्माइल हानियेह की हत्या पर ईरान भड़क उठा था और जवाबी कार्रवाई करने की कसम खाई थी। हालांकि, अभी तक ईरान ने किसी तरह की ऐसी कार्रवाई की घोषणा नहीं की है। बड़ी बात यह भी है कि ईरान के नए राष्ट्रपति मसूद पेजेशकियन ने मंगलवार को जब संयुक्त राष्ट्र महासभा के 79वें अधिवेशन को संबोधित किया तो उनका नजरिया समझौतावादी नजर आया। उन्होंने अपने पूर्ववर्ती राष्ट्रपतियों की तुलना में कट्टरपंथी भावना और विचार से परहेज किया और ऐसा कोई बयान नहीं दिया। उन्होंने कहा कि हम सभी के लिए शांति चाहते हैं और किसी भी देश के साथ हमारा संघर्ष का कोई इरादा नहीं है। हालांकि, गाजा पर इजरायली हमले की उन्होंने घोर निंदा की और कहा कि लेबनान पर हमले का जवाब दिया जा सकता है।

BBC की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि मौजूदा परिस्थितियों में ईरान के अधिकारी और इस्लामिक रिवॉल्यूशन गार्ड कॉर्प्स (IRGC) के कमांडर भी हिज्बुल्लाह के खिलाफ इजरायली कार्रवाई का बदला लेने की मंशा जाहिर करते समय संयमित दिखाई दे रहे हैं। बता दें कि 1980 के दशक में ईरान ने हिज्बुल्लाह की स्थापना में बड़ी मदद की थी। IRGC के कमांडरों ने हिज्बुल्लाह और हमास के लड़ाकों को ट्रेनिंग से लेकर धन और हथियार तक मुहैया कराए हैं लेकिन फिलहाल खामोश नजर आता है।

ईरानी खुराफात जारी

हालांकि, कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया गया है कि ईरान मौजूदा लेबनान-इजरायल संघर्ष में शांत रहने का दिखावा कर रहा है और सीरिया के रास्ते बड़े पैमाने पर हिज्बुल्लाह को हथियार भेज रहा है। इजरायली मीडिया आउटलेट कान 11 न्यूज ने गुरुवार को बताया कि इजरायल ने सीरिया के रास्ते हिजबुल्लाह को हथियार तस्करी करने के ईरान के बढ़ते कोशिशों की पहचान की है। अनुमान है कि सीरिया में हवाई अड्डों पर हमलों के बाद हिजबुल्लाह अब जमीन के रास्ते हथियारों की तस्करी में जुटा है।

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गुरुवार को ही IDF ने लेबनान में हिजबुल्लाह को हो रहे हथियारों के हस्तांतरण को रोकने के लिए लेबनान और सीरिया के बीच सीमा चौकियों पर जोरदार हमला किया था। इस दौरान इजरायली वायु सेना के कमांडर जनरल टॉमर बार ने टेल नोफ एयरबेस पर तैनात सैनिकों और कमांडरों के साथ इस मुद्दे पर बातचीत की कि किसी भी सूरत में हिज्बुल्लाह को ईरान से मिलने वाले हथियारों की सप्लाई रोकी जाए क्योंकि हिज्बुल्लाह रॉकेट और सिसाइल की भारी कमी का सामना कर रहा है।

क्यों सहमा ईरान

अमेरिकी समाचार साइट एक्सियोस के मुताबिक दो इजरायली अधिकारियों और पश्चिमी राजनयिकों ने दावा किया है कि हिजबुल्लाह ने ईरान से इजरायल पर हमला करके उसकी मदद करने का आग्रह किया है लेकिन ईरान ने हिजबुल्लाह से ऐसा करने से मना कर दिया है और साफतौर पर कहा “समय सही नहीं है”। दरअसल, इस्लामी गणराज्य ईरान फिलहाल खुद संकटपूर्ण स्थिति में है। उसे चिंता है कि इजरायल पर हमला करने से न केवल मिडजिल ईस्ट में तनाव भड़केगा बल्कि अमेरिका उसके खिलाफ और कठोर कार्रवाई कर सकता है। इससे ईरान और मुश्किल में फंस सकता है। अमेरिकी प्रतिबंधों और घरेलू अशांति के कारण पहले से ही ईरानी अर्थव्यवस्था संकट में है।



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