पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा में लगातार एक हफ्ते से सांप्रदायिक दंगे जारी हैं। स्थानीय अधिकारी के मुताबिक इन दंगों में अभी तक 37 लोगों की मौत हो गई है जबकि करीब 150 लोग गंभीर रूप से घायल हो गए हैं। पाकिस्तानी राज्य केपीके के कुर्रम जिले में इस्लाम के सुन्नी समुदाय और शिया समुदाय से जुड़ी जनजातियों के बीच में सांप्रदायिक टकराव के कारण यह घटना हुई है। पिछले कुछ वर्षों में यहां इन दोनों के बीच में लगातार टकराव देखने को मिलता है, जिसके कारण सैंकड़ों लोगों ने अपनी जान गंवाई है।
एक हफ्ते पहले शुरू हुई लड़ाई, जुलाई में लागू हुए युद्ध विराम के बाद शुरू हुई है। जुलाई में हुए संघर्ष में करीब 35 लोगों की जान चली गई थी। बाद में जिरगा आदिवासी परिषद के द्वारा किए गए युद्ध विराम के आह्वान के बाद ही लड़ाई समाप्त हुई थी।
स्थानीय अधिकारियों के द्वारा भी इस लड़ाई को समझौते के जरिए खत्म कराने का प्रयास किया जा रहा है। एक स्थानीय अधिकारी के मुताबिक सुरक्षाबलों और स्थानीय जनता के द्वारा समझौते के काफी प्रयास किए जा चुके हैं लेकिन फिर भी अभी तक 10 इलाकों में भारी हथियारों के साथ लड़ाई जारी है। अधिकारी ने बताया कि पहले यह संघर्ष जमीन के विवाद के रूप में शुरू हुआ लेकिन बाद में यह ऑटोमैटिक हथियारों के साथ-साथ मोर्टार गोले और संप्रदायिक हिंसा में बदल गया।
पेशावर में तैनात एक अधिकारी ने समाचार एजेंसी एएफपी को बताया कि इस लड़ाई में 28 घर क्षतिग्रस्त हो चुके हैं पाकिस्तान के इस इलाके में पारिवारिक और जनजातिय झगड़े आम बात हैं। कई जगह यह छोटी घटनाओं के रूप में होते हैं लेकिन इस इलाके में वह लंबे और हिंसक होते हैं। क्योंकि यहां पर समुदाय पारंपरिक आदिवासी सम्मान कोड का पालन करते हैं।
पाकिस्तान की ज्यादातर आबादी सुन्नी है, ऐसे में यहां पर अल्पसंख्यक शिया मुसलमानों को भेदभाव का सामना करना पड़ता है। पाकिस्तान का एक और मुस्लिम समुदाय अहमदिया भी प्रताड़ना का सामना करता है क्योंकि सुन्नी समुदाय के मुताबिक अमदिया समुदाय इस्लाम का अनुयायी नहीं है। अपने समुदाय के प्रति कट्टर सोच के कारण पाकिस्तान में सांप्रदायिक दंगे होते हैं।