लेबनान में हिजबुल्लाह प्रमुख की हत्या के बाद ईरान की दुविधा बढ़ गई है। लंबे समय से ईरान द्वारा वित्तपोषित हिजबुल्लाह ने लेबनान में अपने आप को एक शक्तिशाली गुट के रूप में स्थापित किया था। यह ईरान के इशारे पर किसी भी तरह के मिशन को अंजाम देने के लिए भी तैयार रहता है। अब जबकि हसन नसरल्लाह की इजरायली हमले में मौत हो चुकी है तो ईरान के सामने दो सबसे बड़ी दुविधा आकर खड़ी हो गई हैं। पहली तो यह कि आखिर इजरायल से बदला कैसे लिया जाए और दूसरा यह कि हिजबुल्लाह प्रमुख की मौत के बाद इस्लामिक दुनिया और अरब क्षेत्र में अपने प्रभाव को कैसे स्थिर रखा जाए।
इजरायली सेना के बेरूत हमले में मारा गया हसन नसरल्ला ईरान की एक बड़ी ताकत था। 7 अक्तूबर की घटना के बाद जब इजरायल ने हमास को खत्म करने के लिए गाजा पट्टी पर हमला बोल दिया तो उसी समय से हिजबुल्लाह ईरान की शह पर इजरायल पर हमला करता जा रहा था। छोटे-छोटे हमलों का परिणाम आज यह रहा कि हिजबुल्लाह का सबसे बड़ा नेता खत्म हो गया और उसकी शीर्ष लीडरशिप का भी लगभग सफाया हो गया।
नसरल्ला की मौत के बाद ईरान के सर्वोच्च नेता खामेनेई ने कसम खाई कि नसरल्लाह की मौत व्यर्थ नहीं होगी, जबकि उपराष्ट्रपति रजा अरेफ ने कहा कि उनकी मौत इजरायल के लिए विनाश लेकर आएगी।
समाचार एजेंसी एएफपी की एक रिपोर्ट में कार्नेगी एंडोमेंट के करीम सज्जादपुर ने कहा कि नसरल्लाह ने ईरान के प्रभाव को बढ़ाने में एक महत्वपूर्ण भूमिका अदा की थी। उन्होंने कहा कि हिजबुल्लाह ईरान के लिए एक रत्न की तरह था, जो अरब क्षेत्र और इस्लामिक देशों के बीच में उसके प्रभाव को बढ़ाने के लिए जरूरी था।
इंटरनेशन क्राइसिस ग्रुप के अली वेज के मुताबिक नसरल्लाह की मौत के बाद भी इस ईरान सीधे तौर पर इस संघर्ष में शामिल नहीं होना चाहेगा लेकिन इस मौत ने ईरान के सामने एक गंभीर दुविधा को खड़ा कर दिया है। क्योंकि इजरायल लगातार ईरान के प्रभाव को चुनौती दे रहा है। पिछले कुछ महीनों में लगातार ऐसी कई घटनाएं हुई है, जिसके बाद इस्लामिक दुनिया में ईरान के प्रभुत्व को कड़ा झटका लगा है।
आर्थिक संकट
एएफपी से बात करते हुए तेहरान स्थित इंटरनेशनल रिलेशन के प्रोफेसर मेहंदी जकेरियन ने कहा कि इस घटनाक्रम से यह पता चलता है कि ईरान और उसका गठबंधन इजरायल को रोकने में सक्षम नहीं थे। दो महीने पहले ही हमास प्रमुख इस्माइल हानियेह की मौत ईरान के अंदर ही हुई इस घटना ने पूरी दुनिया मे ईरान सुरक्षा व्यवस्था की पोल खोलकर रख दी। तब भी ईरान ने इजरायल के खिलाफ बदला लेने की कसम खाई थी लेकिन दो महीने के बाद भी ईरान कोई ज्यादा बड़ा फैसला नहीं ले पाया वहीं, दो महीने बाद हिजबुल्लाह प्रमुख की मौत ईरान के लिए एक बड़ा झटका है।
जकेरियन के अनुसार, अमेरिकी प्रतिबंधों और उससे बढ़ती आर्थिक चुनौतियों के बीच तेहरान के लिये इजरायल से निपटना और हिजबुल्लाह को दोबारा खड़ा करना आसान नहीं होगा।