इजरायल ने पहले ईरान की राजधानी तेहरान के अंदर घुसकर हमास के टॉप राजनीतिक नेता इस्माइल हानियेह को मार गिराया था। तब ईरान ने बदला लेने की धमकी दी थी और कहा था कि इजरायल को अंजाम भुगतना होगा। इसके बाद कई दिनों तक इजरायल में भी अलर्ट की स्थिति रही, लेकिन ईरान ने कोई बड़ा हमला नहीं बोला। अब इजरायल ने हिजबुल्लाह के टॉप कमांडर सैयद हसन नसरल्लाह को लेबनान की राजधानी बेरूत के अंदर घुसकर मारा है। हसन नसरल्लाह की मौत पर तो तुर्की से पाकिस्तान तक इस्लामिक देशों में हलचल है। इस बार भी ईरान ने कहा है कि नसरल्लाह की शहादत बेकार नहीं जाएगी।
अयातुल्लाह खामेनेई भी इसे लेकर भड़के हुए हैं। ईरान की सरकार का कहना है कि हम इसका बदला लेंगे। फिर भी ईरान सरकार का जो रवैया है, वह उसके बयान से उलट नजर आता है। ईरान की ओर से इजरायल को बदला लेने की धमकी तो दी गई है, लेकिन इस संभावना से इनकार किया है कि लेबनान या फिर गाजा में वह अपने सैनिक भेजेगा। ईरान के विदेश मंत्रालय ने सोमवार को कहा कि हमारी तरफ से अतिरिक्त सैनिक लेबनान या फिर गाजा में भेजने की जरूरत नहीं है। ईरानी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता नासिर कनानी ने कहा, ‘अतिरिक्त सैनिक भेजने की जरूरत नहीं है। लेबनान और गाजा में मौजूद लड़ाके खुद अपनी रक्षा करने में सक्षम हैं।’
इस तरह ईरान ने साफ कर दिया है कि उसकी सेना इजरायल के मुकाबले सीधे युद्ध में नहीं उतरेगी। इससे पता चलता है कि एक तरफ ईरान धमकी तो दे रहा है, लेकिन दूसरी तरफ इजरायल के मुकाबले वह डिफेंसिव भी है। बता दें कि इजरायल ने तो साफ कर दिया है कि हिजबुल्लाह के समाप्त होने तक लेबनान और हमास के खत्म होने तक गाजा में हमले नहीं रुकेंगे। इसके बाद भी ईरान की ओर से सैनिक न भेजने की बात कहना गीदड़भभकी ही लगता है। ईरानी प्रवक्ता ने कहा कि हमें अब तक किसी भी पक्ष से अधिक सैनिकों की मांग को लेकर संपर्क नहीं किया गया है। इसके अलावा हमें पूरा भरोसा है कि उन्हें हमारी जरूरत नहीं होगी।