Plane Hijacked Story Series: इंडियन एयरलाइंस की फ्लाइट आईसी 405 से सफर कर रहे हर मुसाफिर के दिमाग में उस वक्त एक ही सवाल चल रहा था कि आखिर आज दिल्ली पहुंचने में इतना वक्त क्यों लग रहा है. कुछ ही वक्त के बाद उस फ्लाइट का नजारा ऐसा बदला कि हर मुसाफिर का दिल दहशत से भर गया. प्लेन में बैठा हर मुसाफिर अपने ईश्वर को याद कर सकुशल घर पहुंचने की कामना करने लगा. एक लंबे इंतजार के बाद प्लेन सुरक्षित लैंड तो हो गया, लेकिन मुसाफिरों की निगाह जैसे ही एयरपोर्ट के नाम पर पड़ी, दहशत के मारे उनका कलेजा मुंह को आ गया.
दरअसल, यह कहानी 5 जुलाई 1984 को जम्मू और कश्मीर के श्रीनगर एयरपोर्ट से दिल्ली के पालम एयरपोर्ट के लिए उड़ान भरने वाली इंडियन एयरलाइंस की फ्लाइट IC-405 की है. इस फ्लाइट में 10 क्रू मेंबर्स के साथ 254 मुसाफिर मौजूद थे. आम तौर पर सवा से डेढ़ घंटे में पूरा होने वाला सफर काफी लंबा हो चुका था. इस देरी को लेकर मुसाफिरों के सवाल जहन से बाहर आते, इससे पहले पूरा एयरक्राफ्ट कुछ आवाजों से गूंज गया. ये आवाजें मुसाफिरों का मुखौटा पहनकर आए खालिस्तानी आतंकियों की थी. हथियार, खंजर और ग्रेनेड से लैस ये आतंकी खालिस्तान के समर्थन में नारे लगा रहे थे.
दहशत से लब हुए खामोश, पर कम नहीं हुई शरीर की सिरहन
मुसाफिरों को जैसे ही यह बात समझ में आई कि खालिस्तानी आतंकियों ने प्लेन हाईजैक कर लिया है, पूरी फ्लाइट में चींख पुकार मच गई. कोई दहाड़े मार कर रो रहा था, तो कोई अपनी जान की सलामती के लिए अपने ईश्वर से प्रार्थना कर रहा था. मुसाफिरों के बीच मची इस चींख पुकार को देख हाईजैकर्स गुस्से में आ गए. उन्होंने पैसेंजर्स को धमकाते हुए कहा कि खामोशी से उनका साथ दिया तो उनकी जान सलामत रहेगी, नहीं तो वह अपने अंजाम के लिए खुद ही जिम्मेदार होंगे. हाईजैकर्स की इस धमकी के बाद दहशत से पैसेंजर्स के लब तो खामोश हो गए, लेकिन शरीर की सिरहन कम नहीं हुई.
कुछ ही समय के अंतराल के बाद इंडियन एयरलाइंस का प्लेन एक रनवे पर लैंड हो गया. सब इसी बात का सुकून मना रहे थे कि चलो वह सुरक्षित दिल्ली एयरपोर्ट तो पहुंच गए. लेकिन जैसे ही पैसेंजर्स को यह पता चला कि प्लेन दिल्ली एयरपोर्ट पर नहीं, पाकिस्तान के लाहौर एयरपोर्ट पर लैंड हुआ है, डर के मारे उनका कलेजा मुंह को आ गया. देखते ही देखते पाकिस्तानी सशस्त्र बलों ने प्लेन को घेर लिया. लंबा समय गुजरने के बाद भी वह प्लेन से दूरी बनाए हुए थे. पाकिस्तान की तरफ से अब तक ना ही हाईजैकर्स की डिमांड पूछने कोई आगे आया था और न हीं किसी ने पैसेंजर्स की सुध लेने की कोशिश की थी.
हाईजैकर्स ने रखी मांगे और भारत ने दिया अपना जवाब, फिर…
इधर, प्लेन का इंजन बंद होने के साथ पैसेंजर केबि के एयर कंडीशनिंग सिस्टम ने भी काम करना बंद कर दिया था. बढ़ती धूप के साथ प्लेन में घुटन और गर्मी बढ़ती जा रही थी. खाने और पीने का सामान लगभग खत्म हो गया था. खाने का जो सामान बचा था, वह लगभर खराब ही हो चुका था. ऐसे माहौल में पैसेंजर्स के लिए एयरक्राफ्ट में अब एक पल बिताना भी मुश्किल हो गया था. पर हाईजैकर्स की दहशत ऐसी थी कि किसी के मुंह से कुछ नहीं निकल रहा था. एक लंबे इंतजार के बाद निगोशिएशन टीम और हाईजैकर्स के बीच बातचीत का सिलसिला शुरू हुआ.
हाईजैकर्स ने पैसेंजर्स और प्लेन की रिहाई के बदले अपनी कुछ शर्तें रखीं, जिसमें ऑपरेशन ब्लू स्टार में गिरफ्तार किए गए लोगों की रिहाई, ऑपरेशन ब्लू स्टार के चलते हुए नुकसान की भरपाई के तौर पर 25 मिलियन अमेरिकी डॉलर और स्वर्ण मंदिर से जुड़ी कुछ चीजें शामिल थीं. आतंकियों की इस मांगों को सिरे से नकार दिया गया और पाकिस्तान पर कार्रवाई का दबाव बढ़ा दिया गया. इस दबाव का नतीजा यह हुआ कि हाईजैकर्स ने 6 जुलाई 1984 को पाकिस्तानी अफसरों के सामने आत्मसमर्पण कर दिया. और हाईजैक हुए प्लेन को सभी पैसेंजर्स और क्रू के साथ भारत रवाना कर दिया गया.
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FIRST PUBLISHED : October 1, 2024, 09:04 IST