Lal Bahadur Shastri Jayanti Speech In Hindi : सरलता और सादगी की मिसाल भारत के दूसरे प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री का जन्मदिन भी गांधी जयंती 2 अक्टूबर के दिन ही होता है। जय जवान, जय किसान का प्रसिद्ध नारा देने वाले शास्त्री जी विनम्र, सहिष्णु, दृढ़ और जबर्दस्त आंतरिक शक्ति वाले शख्स थे। शास्त्री जी महात्मा गांधी से काफी प्रभावित थे और उन्होंने आजादी की लड़ाई में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। भारत रत्न लाल बहादुर शास्त्री का कार्यकाल भले ही सिर्फ 18 महीने का रहा हो लेकिन इस छोटी से अवधि में उन्होंने अपने कड़े फैसलों और तगड़ी कार्यक्षमता से दुनिया भर को अपना कायल बना दिया। उन्होंने अपने प्रधानमंत्रित्व काल में देश को यशस्वी नेतृत्व प्रदान किया। उनके नेतृत्व में ही भारत ने 1965 की जंग में पाकिस्तान को करारी शिकस्त दी थी। 2 अक्टूबर को गांधी जी और लाल बहादुर शास्त्री की जयंती के चलते स्कूलों में कई तरह के कार्यक्रम होते हैं। भाषण व निबंध प्रतियोगिताएं होती हैं। हम यहां लाल बहादुर शास्त्री जयंती पर भाषण ( Speech on Lal Bahadur Shastri Jayanti ) का एक उदाहरण दे रहे हैं। आप यहां से आइडिया लेकर भाषण तैयार कर सकते हैं।
Lal Bahadur Shastri Jayanti Speech : लाल बहादुर शास्त्री जयंती पर भाषण
आदरणीय प्रिंसिपल सर, शिक्षक गण और मेरे प्यारे साथियों...
आज 2 अक्टूबर है। यह वो शुभ दिन है जब देश एक साथ दो महापुरुषों महात्मा गांधी और लाल बहादुर शास्त्री की जयंती का उत्सव मनाता है। आज देश उनके महान विचारों, संघर्ष, योगदान व सादगी को याद कर उन्हें नमन कर रहा है और श्रद्धांजलि अर्पित कर रहा है। साथियों मुझे आपके समक्ष दृढ़, जबर्दस्त कार्यक्षमता, सत्यनिष्ठा और विनम्र स्वभाव वाले देश के दूसरे प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री पर भाषण देने का सौभाग्य प्राप्त हुआ है। लाल बहादुर शास्त्री जी का आचरण, कर्तव्य निष्ठा, समर्पण भाव, उनके विचार और जीने का तरीका आज भी करोड़ों लोगों की प्रेरणास्रोत बने हुए हैं। लाल बहादुर शास्त्री को उनके शानदार व्यक्तित्व, अनुशासित जीवन, कठोर नैतिकता, विचारों और निडरता के लिए आज भी याद किया जाता है।
ये लाल बहादुर शास्त्री ही थे जिन्होंने देश को जय जवान, जय किसान जैसा लोकप्रिय नारा दिया था। आज यह नारा हर भारतीय की जुबां पर अकसर गूंजता है। देश के जवानों और किसानों को अपने कर्म और निष्ठा के प्रति सुदृढ़ रहने और देश को खाद्यान्न के क्षेत्र में आत्म निर्भर बनाने के उद्देश्य से उन्होंने यह नारा दिया था।
शास्त्री जी का जन्म 2 अक्टूबर, 1904 को उत्तर प्रदेश के मुगलसराय में हुआ था। इनके पिता का नाम श्री मुंशी शारदा प्रसाद श्रीवास्तव और माता का रामदुलारी था। इनके पिता एक शिक्षक थे। परिवार में सबसे छोटे होने के कारण बालक लालबहादुर को परिवार वाले प्यार से नन्हे कहकर ही बुलाया करते थे।
लाल बहादुर शास्त्री ने भारत की आजादी में अहम योगदान दिया। शास्त्री जी महात्मा गांधी से अत्यधिक प्रभावित थे। उनकी उम्र महज 16 साल थी जब उन्होंने गांधी जी के नेतृत्व में चल रहे असहयोग आंदोलन में शमिल हो का फैसला किया। उन्होंने गांधी जी के आह्वान पर अपनी पढ़ाई छोड़ देने का निर्णय किया और आंदोलन में हिस्सा लिया। जिसके चलते उन्हें 1921 में जेल भी जाना पड़ा। देश को स्वतंत्र कराने की लड़ाई में उन्हें अपने जीवन के 7 वर्ष जेल में गुजारने पड़े।
शास्त्री जी की साफ-सुथरी छवि, लोकप्रियता और मजबूत व्यक्तित्व के चलते जवाहरलाल नेहरू के आकस्मिक निधन के बाद उन्हें प्रधानमंत्री बनाया गया। जब शास्त्री जी प्रधानमंत्री बने, तब भारत में खाद्य पदार्थों का संकट था। 1965 में एक तरफ पाकिस्तान के साथ जंग और दूसरी तरफ भयानक सूखा। उन्होंने इस मुश्किल दौर में देश का सफलतापूर्वक नेतृत्व किया। जब भारतीय सेना ने पाकिस्तानी सेना के बुरी तरह परास्त किया तब वह ही पीएम थे। उस समय लाल बहादुर शास्त्री जी ने देश के लोगों से दो महत्वपूर्ण आह्वान किये थे। एक तो हर खाली जमीन पर अनाज और सब्जियां बोई जाएं और दूसरा यह कि हर कोई सप्ताह में एक दिन उपवास रखे।
देश में हरित क्रांति और दुग्ध क्रांति के पीछे शास्त्री जी बड़ा योगदान था। अनाजों की कीमतों में कटौती, भारत-पाकिस्तान की लड़ाई में सेना को खुली छूट देना, ताशकंद समझौता जैसे उनके महत्वपूर्ण कदम और गजब की नेतृत्व क्षमता आज भी याद किए जाते हैं। उनका कद जरूर छोटा था लेकिन व्यक्तित्व और हृदय विराट था। अद्भुत साहस वाले इस छोटे कद के नेता ने अपने करिश्माई नेतृत्व से पूरी दुनिया को हैरान कर दिया था।
1966 में ताशकंद में उनका निधन हो गया। लाल बहादुर शास्त्री अपने देश के लिए बलिदान और सच्ची देशभक्ति के लिए सदैव याद किए जाते रहेंगे। मरणोपरांत उन्हें भारत रत्न से सम्मानित किया गया।
शास्त्री जी कहते थे कि देश की तरक्की के लिए हमें आपस में लड़ने के बजाय गरीबी, बीमारी और अज्ञानता से लड़ना होगा। उनका कहना था कि हम सिर्फ अपने लिए ही नहीं, बल्कि पूरी दुनिया के लिए शांति और विकास चाहते हैं। आजादी की रक्षा सिर्फ सैनिकों का काम नहीं है, पूरे देश को मजबूत होना होगा। आज के दिन हमें उनके विचारों को अपने जीवन में उतारने का संकल्प लेना चाहिए। इसी के साथ मैं अपने भाषण का समापन करता हूं।
जय हिन्द! जय जवान जय किसान। भारत माता की जय