मिडिल-ईस्ट में जारी तनाव के बीच तीन भारतीय नौसैनिक जहाज ईरान में पहुंचे हुए हैं। फारस की खाड़ी में एक ट्रेनिंग मिशन में हिस्सा लेने के लिए गए भारतीय नौसैनिक जहाज मंगलवार को ईरान के अब्बास बंदरगाह पर पहुंचे। भारतीय जहाजों का स्वागत करने के लिए वहां पर ईरानी नौसेना का जहाज जेरेह मौजूद था। भारत की तरफ से इस ट्रेनिंग सेशन में हिस्सा लेने के लिए आईसीजीएस वीरा, आईएनएस शार्दुल और आईएनएस तीर ईरान पहुंचे हैं।
भारतीय नौसेना की तरफ से जारी बयान में कहा गया है कि इस यात्रा का उद्देश्य दोनों देशों के बीच समुद्री सहयोग और आपसी समझ को बढ़ाना है। इससे पहले इसी साल फरवरी में ईरानी नौसेना के जहाज डेना ने भारत के नौसेना मिलन समारोह में हिस्सा लिया था, जबकि मार्च में ईरान के ट्रेनिंग नौसैनिक जहाज भी भारत आए थे। भारतीय नौसैनिक जहाजों की तैनाती का समय चर्चा का विषय बना हुआ है। यह ऐसे समय में हुई है जब इजरायल और ईरान के बीच में तनाव अपने चरम पर पहुंच गया है। ईरान के हवाई हमलों के बाद इजरायली प्रधानमंत्री नेतन्याहू ने ईरान को धमकी देते हुए कहा था कि इस मिसाइल हमले का ईरान जल्दी ही भुगतान करना होगा।
संघर्ष के बीच भारतीय विदेश नीति
इजरायल का ईरानसे जारी संघर्ष के बीच भारत का अपने नौसैनिक जहाजों को ईरान में भेजना भारत की विदेश नीति की जटिलताओं को प्रदर्शित करता है। भारतीय नौसैनिक अधिकारी ने इसके बारे में बात करते हुए कहा कि इजरायल और ईरान भारत के लिए महत्वपूर्ण देश हैं। भारत को दोनों ही देशो के लिए अपने संबंधों में सावधानी बरतनी होगी और एक रणनीतिक संतुलन स्थापित करना होगा। एक तरफ जहां भारत आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में इजरायल का समर्थन करता है तो वहीं ईरान के साथ उसके महत्वपूर्ण ऊर्जा और रक्षा संबंध भी हैं। बढ़ते तनाव के बीच भारत का ईरान में अपने जहाजों को भेजना यह दिखाता है कि भारत तनाव के बीच में भी क्षेत्र की लिए शांति और एकता चाहता है।
पीएम मोदी ने नेतन्याहू से किया संयम बरतने का आग्रह
ईरान और इजरायल के संघर्ष के बीच भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी नेतन्याहू को फोन करक संयम बरतने के लिए कहा है। उन्होंने इस पूरे संघर्ष का हल बातचीत के जरिए और राजनयिक ढंग से निकालने के लिए कहा है। विशेषज्ञों के मुताबिक ईरान को लेकर भारत की यह चिंता जायज भी है क्योंकि इजरायली हमले में तबाह हुआ ईरान भारत के हित में नहीं है। भारत की विदेश नीति में ईरान एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है।
ईरान- इजरायल संघर्ष से भारत पर क्या असर
भारत और ईरान के संबंध बहुत पुराने है और ईरान भारत के लिए एक बहुत ही स्ट्रैटिजिक दोस्त की भूमिका भी निभाता है। ईरान के चाबहार पोर्ट से लेकर कई ऐसी परियोजना है जिनमें भारत की भूमिका है। वहीं इजरायल भी भारत के लिए एक महत्वपूर्ण दोस्त और व्यापारिक साझेदार है। इसलिए भारत कभी नहीं चाहेगा कि ईरान के ऊपर हमला हो और ईरान तहस-नहस हो जाए।
ईरान के साथ भारत का सबसे बड़ा खेल कच्चे तेल से जुड़ा हुआ है। अगर इजरायल और ईरान के बीच में एक फुल स्केल वॉर होती है तो कच्चे तेल की कीमतों में भारी उछाल देखने को मिलेगा, जो कि भारत की ऊर्जा जरूरतों के हित में बिल्कुल भी नहीं है। इजरायल और ईरान के जंग के बीच, ईरान के पेट्रोलियत क्षेत्रों पर इजरायली हमले की केवल योजना की बात सुनकर भारतीय शेयर मार्केट में गिरावट देखने को मिलने लगी। भारत की ऊर्जा जरूरतों की आपूर्ति का एक बहुत बड़ा हिस्सा पश्चिम एशिया से आता है और अगर ईरान पर हमला होता है और उसके पेट्रोलियम क्षेत्र तबाह होते है तो भारत को आयात निर्यात में दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है। भले भी भारत यूएस के प्रतिबंधों के कारण ईरान से ज्यादा मात्रा में तेल नहीं खरीदता लेकिन इससे वहां से निकलने वाले भारतीय व्यापारिक जहाजों के लिए परेशानी खड़ी हो सकती है, जिससे भारतीय अर्थव्यवस्था को रूसी कच्चे तेल के ऊपर बहुत ज्यादा निर्भर रहना पड़ सकता है।