एक अनुमान के मुताबिक ईरान को एक बैलिस्टिक मिसाइल बनाने में कुल 10 लाख डॉलर खर्च करने पड़े हैं। इस तरह उसे कुल 200 मिसाइलों के निर्माण पर 20 करोड़ डॉलर का खर्च आया होगा।
Iran-Israel Expensive War: अकसर कहा जाता है कि कुछ भी बनाना महंगा होता है लेकिन उसे बिगाड़ना बहुत आसान लेकिन युद्ध के मैदान में यह कहावत गलत साबित हो रही है। हिज्बुल्लाह चीफ नसरल्लाह की हत्या का बदला लेने के लिए ईरान ने मंगलवार को इजरायल पर करीब 200 मिसाइलों से हमला बोल दिया। उन मिसाइलों से बचाव के लिए इजरायल ने जहां आयरन डोम, एरो और डेविड स्लिंग एयर डिफेंस सिस्टम का इस्तेमाल किया, वहीं अमेरिका और जॉर्डन ने भी इंटरसेप्टर इस्तेमाल कर ईरान की कई बैलिस्टिक मिसाइलों को इजरायल पर गिरने से पहले ही हवा में ध्वस्त कर दिया लेकिन इस रक्षा अभियान में इजरायल को इसकी भारी कीमत चुकानी पड़ी है।
अमेरिका भी झेल चुका हा भारी भरकम खर्च
1991 में हुए खाड़ी युद्ध के दौरान अमेरिका को भी कुछ इसी तरह से मिसाइल हमलों को रोकने की बड़ी कीमत चुकनी पड़ी थी क्योंकि रक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि मिसाइल से हमला करने से ज्यादा खर्चीला उन मिसाइलों को हवा में ही इंटरसेप्ट कर ध्वस्त करना है। 1991 के खाड़ी युद्ध में अमेरिका को स्कड मिसाइलों से बचाव करने के लिए बहुत महंगा पैट्रिएट मिसाइलों का इस्तेमाल करना पड़ा था, जिसमें काफी खर्चा आया था। इसी तरह इजरायल को भी एक दिन के ईरानी आक्रमण को नाकाम करने में भारी-भरकम खर्च करने पड़े हैं।
यरुशलम पोस्ट की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि मंगलवार को ईरान की तरफ से दागी गईं करीब 200 मिसाइलों में से अधिकांश को इजरायल ने और 12 मिसाइलों को अमेरिकी युद्धपोत ने मार गिराए। यानी इन दोनों देशों ने मिलकर ईरान के करीब सभी 200 मिसाइलों को इंटरसेप्ट कर दिया। रिपोर्ट में कहा गया है कि ईरान ने ज्यादातर बैलिस्टिक मिसाइलों से हमले किए थे। इनमें हाइपरसोनिक मिसाइल की रफ्तार रखने वाली फतह-1 मिसाइलें भी शामिल थीं। लेकिन ऐसी कितनी मिसाइलें इस हमले में ईरान ने इस्तेमाल की थी, इसका सही-सही लेखा-जोखा नहीं पता चल सका है।
ईरान का हमले पर कितना खर्च, बचाव में इजरायल का कितना खर्चा
एक अनुमान के मुताबिक ईरान को एक बैलिस्टिक मिसाइल बनाने में कुल 10 लाख डॉलर खर्च करने पड़े हैं। इस तरह उसे कुल 200 मिसाइलों के निर्माण पर 20 करोड़ डॉलर का खर्च आया होगा। रिपोर्ट में कहा गया है कि दूसरी तरफ इजरायल ने इन मिसाइलों को ध्वस्त करने के लिए आयरन डोम से लेकर डेविड स्लिंग और एरो डिफेंस मिसाइल सिस्टम का इस्तेमाल किया है। एक एरो इंटरसेप्टर बनाने में करीब 20 लाख डॉलर का खर्च आता है। इस तरह अगर इजरायल ने ईरानी मिसाइलों को ध्वस्त करने के लिए 180 एरो डिफेंस सिस्टम का इस्तेमाल किया है तो उस पर कुल 45 करोड़ डॉलर का खर्च आया है, जो ईरान के हमलावर ड्रोन पर आए खर्च से दोगुना से भी ज्यादा है।
दोनों तरफ से एक दिनी जंग में कुल कितना खर्च
साफ है कि एक दिन के इजरायल-ईरान युद्ध में दोनों तरफ से करीब 5457.53 करोड़ रुपये (65 करोड़ डॉलर) खर्च सिर्फ मिसाइल दागने और मिसाइलों को नष्ट करने पर हुए हैं। ईरान ने ऐसी मिसाइलों का इस्तेमाल किया था, जिसकी रेंज 1500 से 2000 किलोमीटर के बीच थी। रॉयटर्स की एक रिपोर्ट के अनुसार, ईरान अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंधों के बावजूद सालाना 35 अरब डॉलर का तेल निर्यात करने में कामयाब रहा है। इस लिहाज से इस मिसाइल हमले पर आया कुल खर्च उनकी दो दिनों की तेल की कमाई के बराबर है। दूसरी तरफ इजरायल पर यह खर्च भारी पड़ रहा है, क्योंकि उसे हमास और हिज्बुल्लाह से भी लड़ना पड़ रहा है।
अब तक इजरायल को अमेरिका ने दिए कितने पैसे
विश्व बैंक के अनुसार, इजरायल की प्रति व्यक्ति जीडीपी ईरान की तुलना में दोगुनी से भी अधिक है। 2022 में ईरान की प्रति व्यक्ति जीडीपी 20,000 डॉलर थी जबकि इजरायल की प्रति व्यक्ति जीडीपी 50,000 डॉलर। हालांकि, इजरायल 1 करोड़ लोगों का देश है, जबकि ईरान में 9 करोड़ लोग रहते हैं। इजरायली एरो इंटरसेप्टर खरीद के लिए अधिकांश पैसा अमेरिका से आया है, जिसने अब तक इस परियोजना में लगभग 4 अरब डॉलर का निवेश किया है। बता दें कि जब से इजरायल ने हमास के खिलाफ युद्ध छेड़ा है, तब से अमेरिका की जो बाइडेन सरकार ने कुल 14.1 अरब डॉलर की रकम इजरायल के लिए पास की है।