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Agency:News18 Uttar Pradesh

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इस कंपनी के को-फाउंडर अतुल राय ने बताया कि इस सॉफ्टवेयर की मदद से अभी तक 30 हजार क्रिमिनल पकड़े जा चुके हैं और 18 टेररिस्ट मॉड्यूल बस्ट भी किए जा चुके हैं.

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उत्तर प्रदेश स्पेशल टास्क फोर्स करती है दिल्ली-एनसीआर की इस कंपनी का AI इस्तेमाल

दिल्ली: इस तकनीकि युग में AI अपने पैर लगातार पसार रहा है. ऐसा कोई क्षेत्र नहीं बचा जिसमें आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का इस्तेमाल ना किया जाता हो. इसपर विश्वभर के कई वैज्ञानिक भी दिन रात मेहनत कर रिसर्च कर रहे हैं. ऐसा ही दिल्ली एनसीआर की एक Staqu Technologies नाम की कंपनी ने कुछ अलग करके दिखाया है. आपको बता दें कि इस कंपनी ने ऐसा AI सॉफ्टवेयर तैयार किया है, जिसके आगे अपराधी से लेकर आतंकी तक थर-थर कांपते हैं. आइए इस सॉफ्टवेयर के बारे में विस्तार से जानते हैं.

30 हजार क्रिमिनल पकड़े और 18 टेररिस्ट मॉड्यूल हुए बस्ट

Staqu Technologies कंपनी की स्थापना अतुल राय ने 2015 में की थी, जो कि इस कंपनी के को-फाउंडर हैं. उन्होंने Local18 टीम से बात करते हुए कहा इस कंपनी ने एक जार्विस (JARVIS) नाम का ऐसा AI सॉफ्टवेयर बनाया है, जिसकी मदद से अभी तक 30 हजार क्रिमिनल पकड़े जा चुके हैं और 18 टेररिस्ट मॉड्यूल बस्ट भी किए जा चुके हैं. उन्होंने कहा उत्तर प्रदेश पुलिस की स्पेशल टास्क फोर्स भी इस सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल करती है. यूपी में लगे सीसीटीवी कैमरों के साथ इस सॉफ्टवेयर को इंस्टॉल किया गया है. इसकी मदद से अपराध और अपराधियों पर लगाम लगाई जा रही है. उन्होंने आगे बताया इसकी डिमांड मध्य ईस्ट के कई देशों में भी की जा रही है. यहां तक की न्यूयॉर्क और लंदन जैसे शहरों में इसे मंगवाया जा रहा है. अतुल ने बताया स्टारबक्स, रेमंड समेत कई बड़ी कंपनियां भी अपना कस्टमर डेटाबेस बनाने के लिए इस्तेमाल कर रही हैं.

ऐसे काम करता है सॉफ्टवेयर

यह सॉफ्टवेयर अपराधियों से संबंधित सीसीटीवी फीड, तस्वीरों और ऑडियो जैसे किसी डेटा को सुरक्षा एजेंसियों को तुरंत जानकारी देता है. इस सॉफ्टवेयर के माध्यम से अपराधियों से जुड़ी हर जानकारी प्राप्त कर सकेंगे. इसके साथ यह भी बता देगा कि कौन से क्षेत्र में कौन सा अपराधी घूम रहा है. इसके अलावा, यदि कोई व्यक्ति किसी गाड़ी पर कोई गलत नंबर प्लेट लगाकर चला रहा है, तो इसके माध्यम से पता लग जाता है. उन्होंने आगे बताया कि अयोध्या में राम मंदिर के उद्घाटन के दौरान भी सर्विलांस के लिए इसी सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल किया गया था. अगर किसी भी जगह पर संदिग्ध गतिविधि हो रही है या फिर कोई संदिग्ध व्यक्ति उस जगह पर हो तो यह सॉफ्टवेयर तुरंत ही एक रियल टाइम अलर्ट जारी कर देगा.

इतने पैसे में बना था ये सॉफ्टवेयर

अतुल ने आगे जानकारी देते हुए कहा इसे बनाने के लिए 15 से 16 करोड रुपए तक खर्च कर चुके हैं, लेकिन इस साल 20 करोड रुपए तक कमा भी चुके हैं. उन्होंने कहा अगले 5 साल तक लक्ष्य करीबन 500 करोड़ तक कमाना है और भरोसा भी जताया है कि यह कर भी लेंगे.

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UP की STF करती है इस AI सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल, इससे कांपते हैं क्रिमिनल



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