Saturday, February 22, 2025
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वाईब्रियोसिस बीमारी झींगा पालन में दे सकती है नुकसान, एक्सपर्ट्स की सलाह से तुंत मिलेगा छुटकारा



<p style="text-align: justify;">झींगा मछली का पालन करने वाले किसान वाईब्रियोसिस बीमारी से बचाव का विशेष ध्यान रखें. इसके लिए वैज्ञानिकों द्वारा बताई बातों के अनुसार नियमित पानी का बदलाव या आदान-प्रदान करते रहना चाहिए. इससे विब्रियो प्रजातियों के जीवाणु को कम किया जा सकता है. प्रोबायोटिक की निश्चित मात्रा देने से विब्रियो प्रजातियों के नुकसान दायक जीवाणु कम होते हैं और अन्य प्रजातियों के लाभदायक जीवाणु बढ़ाए जा सकते हैं.&nbsp;</p>
<p style="text-align: justify;">झींगा मछली का पालन क&zwj;िसानों को काफी फायदा पहुंचाता है. यही कारण है कि अब इसके पालन में बढ़वा हो रहा है. लेक&zwj;िन झींगापालन में जीवाणु, विषाणु, फंगस और परजीवी द्वारा नुकसान होने की संभावना होती है. इसी में से एक रोग वाइब्रिओसिस है, यह गंभीर जीवाणु रोग होता है. इसल&zwj;िए इनकी सही देखभाल बेहद जरूरी होती है.</p>
<p style="text-align: justify;">वैज्ञानिकों की मानें तो वाइब्रिओसिस संक्रमण, झींगा के सभी जीवन चरणों में होता है, लेकिन हैचरी में यह काफी आम बात है. पानी की खराब गुणवत्ता और चारा यानि फीड के कारण संक्रमण की आशंका ज्यादा होती है. जिससे झींगा की जन्मजात प्रतिरक्षा कमजोर हो जाती है. इस प्रकार के संक्रमण से झींगा का बहुत नुकसान होता है.&nbsp;</p>
<p style="text-align: justify;"><strong>ये हैं वाइब्रिओसिस के लक्षण</strong></p>
<p style="text-align: justify;">झींगा में वाइब्रिओसिस के सामान्य तौर के लक्षणों में सुस्ती, असामान्य तैराकी व्यवहार, भूख न लगना, लाल मलिनीकरण, भूरे गलफड़े, नरमखोल, एट्रोफिडहेपेटो पैनक्रियाज, पूंछ और उपांग क्षेत्र में उप-कटिकुलर ट&zwj;िश्यू का गलन आदि प्रमुख हैं. गंभीर रूप से प्रभावित झींगा में गलफड़े के आवरण घिसे हुए नजर आते हैं. इसके अलावा बड़े पैमाने पर काले फफोले पेट पर दिखाई देते हैं. मरणासन्न झींगा हाइपोक्सिक दिखाई देते हैं. जिसके कारण वह अक्सर तालाब की सतह या फिर किनारे पर आ जाते हैं.&nbsp;</p>
<p style="text-align: justify;"><strong>रोग की ऐसे करें रोकथाम</strong></p>
<p style="text-align: justify;">आईसीएआर के वैज्ञान&zwj;िकों के अनुसार नियमित पानी का बदलाव या आदान-प्रदान से विब्रियो प्रजातियों के जीवाणु को कम किया जा सकता है. प्रोबायोटिक की संतुलित मात्रा देने से विब्रियो प्रजातियों के हानिकारक जीवाणु कम होते हैं और अन्य प्रजातियों के लाभदायक जीवाणु बढ़ने लगते हैं. इसके अलावा सख्त जैव सुरक्षा उपायों को प्रयोग में लाना चाहिए.&nbsp;</p>
<p style="text-align: justify;"><strong>ये हैं झींगा पालन का महत्व&nbsp;</strong></p>
<p style="text-align: justify;">झींगापालन का जलीय कृषि में बहुत बड़ा योगदान है. भारत से झींगा को विश्व के कई देशों को प्रशिक्षण दिया जा रहा है. प्रोटीन की पूर्ति करने में झींगा की प्रमुख भूमिका है. झींगा की मांग और उसका महत्व दोनों बढ़ने पालन में भी बढ़ोत्तरी आई है. क&zwj;िसान खारे पानी में पालन करके अच्छी कमाई कर सकते हैं. इससे उत्पादन बढ़ता है. लेक&zwj;िन थोड़ी सी असावधानी से नुकसान होने की संभावना भी रहती है, क्योंक&zwj;ि जलजीवों में रोग की आशंका हमेशा ही रहती है. इससे बचाव के ल&zwj;िए सावधानी बहुत जरूरी है.</p>
<p style="text-align: justify;">&nbsp;</p>



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