केंद्र सरकार ने 2023-24 सीजन के दौरान किसानों से न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर कपास खरीदने के लिए महत्वपूर्ण कदम उठाया है. 25 मार्च तक सरकार ने 99.41 लाख बेल कपास खरीदी जो कुल 260.11 लाख बेल की आवक का एक अहम हिस्सा है. इस प्रयास के तहत सरकार ने एमएसपी संचालन के लिए 11,712 करोड़ रुपये खर्च किए हैं. कपड़ा राज्य मंत्री पबित्रा मार्गेरिटा ने मंगलवार को यह जानकारी संसद में दी.
कपास किसानों को हुआ फायदा
केंद्र सरकार द्वारा की गई कपास खरीद से लगभग 7.25 लाख किसानों को सीधा लाभ हुआ है. भारतीय कपास निगम (सीसीआई) ने एमएसपी के तहत 32.84 लाख बेल कपास खरीदी, जिससे किसानों को बाजार में प्रतिस्पर्धी दरों से बेहतर मूल्य मिल सका. कपड़ा राज्य मंत्री ने कहा कि एमएसपी प्रणाली के तहत कपास की कीमतें कभी भी नीचे नहीं गिरने पातीं, जिससे किसानों को संकटपूर्ण बिक्री से बचाया जाता है.
कपास के वैश्विक प्रमोशन के प्रयास
भारत सरकार कपास के वैश्विक बाजार में पहचान बनाने के लिए भी कड़े कदम उठा रही है. कपड़ा राज्य मंत्री ने बताया कि सरकार ने कस्तूरी कपास को भारत के ब्रांड ट्रेडमार्क के रूप में रजिस्टर किया है, जिससे भारतीय कपास को एक विशिष्ट पहचान मिलेगी. यह कदम भारतीय कपास को वैश्विक स्तर पर प्रमोट करने के लिए महत्वपूर्ण है और कपास किसानों के लिए लाभकारी साबित होगा.
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वस्त्र उद्योग को बढ़ावा देने के प्रयास
केंद्र सरकार ने भारतीय वस्त्र उद्योग को बढ़ावा देने के लिए कई महत्वपूर्ण पहल की हैं. इस साल फरवरी में कपड़ा मंत्रालय द्वारा समर्थित टेक्सटाइल्स एक्सपोर्ट प्रमोशन काउंसिल (ईपीसी) ने ‘भारत टेक्स 2025’ का आयोजन किया, जिसमें भारत की कपड़ा निर्माण क्षमता को वैश्विक मंच पर प्रदर्शित किया गया. पीएम मेगा इंटीग्रेटेड टेक्सटाइल रीजन एंड अपैरल (पीएम मित्र) पार्क योजना और उत्पादन लिंक्ड प्रोत्साहन (पीएलआई) योजना के जरिए भारत में कपड़ा उद्योग की आधुनिक और विश्व स्तरीय इंफ्रास्ट्रक्चर का निर्माण किया जा रहा है. इन प्रयासों से भारत की प्रतिस्पर्धात्मक क्षमता को बढ़ावा मिलेगा और वैश्विक बाजारों में भारतीय वस्त्रों की मांग में इजाफा होगा.