गेहूं की कटाई के साथ ही खेतों में फसल अवशेषों का अंबार लगना शुरू हो गया है, लेकिन अगर आप भी इन अवशेषों से छुटकारा पाने के लिए आग लगाने की सोच रहे हैं, तो सावधान हो जाइए! इस बार ऐसा करना भारी पड़ सकता है, क्योंकि कृषि विभाग पूरी तरह से सख्त मोड में है. करनाल जिले में फसल अवशेष जलाने पर 30 हजार रुपये तक का जुर्माना लगाया जा सकता है.
ना जलाओ अवशेष, ना बढ़ाओ परेशानी यह संदेश देने के लिए करनाल कृषि विभाग ने कमर कस ली है. विभाग की ओर से पूरे जिले में 70 निगरानी टीमों का गठन किया गया है, जो गांव-गांव जाकर न केवल किसानों को जागरूक करेंगी बल्कि निगरानी भी करेंगी कि कोई खेतों में आग तो नहीं लगा रहा.
कृषि विभाग के उपनिदेशक डॉ. वजीर सिंह ने जानकारी दी कि करनाल जिले में अब तक 4 लाख 5 हजार एकड़ भूमि पर गेहूं की फसल का “मेरी फसल, मेरा ब्योरा” पोर्टल पर पंजीकरण किया जा चुका है. गेहूं की कटाई के बाद खेतों में बचे अवशेष अक्सर किसानों द्वारा जला दिए जाते हैं, जो पर्यावरण को गंभीर रूप से प्रभावित करते हैं. इससे भूमि की उर्वरता घटती है, दुर्घटनाओं का खतरा बढ़ता है और वायु प्रदूषण भी होता है. सरकार ने स्पष्ट आदेश दिए हैं कि फसल अवशेष जलाना प्रतिबंधित है. इसके बावजूद यदि कोई किसान नियमों की अनदेखी करता है तो उससे 30,000 रुपये तक का जुर्माना वसूला जाएगा.
ये है संदेश
कृषि विभाग की टीमें न केवल निगरानी करेंगी, बल्कि गांवों में किसानों से संवाद भी करेंगी ताकि उन्हें अवशेष प्रबंधन के वैकल्पिक उपायों के बारे में बताया जा सके. विभाग का मानना है कि जागरूकता ही बचाव है, और यदि किसान सहयोग करें तो इस गंभीर समस्या का समाधान संभव है. आग न जलाएं, समाधान अपनाएं यही संदेश लेकर कृषि विभाग हर किसान तक पहुंचने की कोशिश कर रहा है. विभाग ने सभी किसानों से अपील की है कि पर्यावरण और अपनी भूमि की उर्वरता की रक्षा के लिए जिम्मेदारी से काम लें और फसल अवशेष जलाने से बचें.
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