शाश्वत सिंह/झांसी : साइबर अपराधियों की हिम्मत लगातार बढ़ती जा रही है. साइबर अपराधी लोगों को ठगने और लालच देकर उनके पैसे लूटने से आगे बढ़कर और लोगों को गिरफ्तार भी करने लगे हैं. जी हां, आजकल “डिजिटल अरेस्ट” के कई मामले सामने आ रहे हैं. साइबर अपराधी खुद को किसी जांच एजेंसी का व्यक्ति बताकर लोगों से कहते हैं कि आपको किसी मामले में गिरफ्तार किया जा रहा है. सवाल जवाब की प्रक्रिया ऑनलाइन होगी इसलिए आप अपने कैमरे के सामने से हट नहीं सकते.
साइबर अपराधी लोगों को कई घंटे या कई दिन तक कैमरे के सामने बिठा रखते हैं. बहुत देर तक सवाल जवाब करने के बाद वह लोगों को छोड़ने के बदले में उनसे पैसे मांगते हैं. झांसी के एसपी सिटी ज्ञानेंद्र कुमार सिंह ने बताया कि कई ऐसे मामले सामने आ रहे हैं जहां लोगों को डिजिटल अरेस्ट करने की बात कही जा रही है. साइबर अपराधी लोगों से पैसे लूटने के लिए ऐसे तरीके खोजते रहते हैं.
इन लोगों को बनाया जा रहा निशाना
डिजिटल अरेस्ट ब्लैकमेल करने का एक एडवांस तरीका है.डिजिटल अरेस्ट स्कैम के शिकार वही लोग होते हैं जो अधिक पढ़े लिखे और अधिक होशियार होते हैं. डिजिटल अरेस्ट का सीधा मतलब ऐसा है कि कोई आपको ऑनलाइन धमकी देकर वीडियो कॉलिंग के जरिए आप पर नजर रख रहा है. डिजिटल अरेस्ट के दौरान साइबर ठग नकली पुलिस अधिकारी बनकर लोगों को धमकाते हैं और अपना शिकार बनाते हैं.इस दौरान किसी से बात करने, मैसेज करने और मिलने की इजाजत नहीं देते साथ ही जमानत के नाम पर लोगों से पैसे भी मांगे जाते हैं. इस तरह लोग अपने ही घर में ऑनलाइन कैद होकर रह जाते हैं.
पुलिस कभी नहीं करती ऑनलाइन अरेस्ट
एसपी सिटी ने कहा कि पुलिस या कोई भी जांच एजेंसी किसी व्यक्ति से ऑनलाइन सवाल जवाब या गिरफ्तारी नहीं करती है. उन्हें या तो थाने बुलाया जाता है या फिर उनको नोटिस भेजा जाता है. उन्होंने लोगों से अपील करते हुए कहा कि अगर कोई आपको ऑनलाइन माध्यम से सवाल जवाब करने की बात कहता है या फिर पैसे मांगता है तो उसकी शिकायत तुरंत नजदीकी थाने या साइबर क्राइम पोर्टल पर करें.
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FIRST PUBLISHED : December 23, 2023, 12:57 IST