निखिल स्वामी/बीकानेर. धोरों में सीजन के अनुसार कई तरह की चीजें उगती है. ऐसे में इन दिनों खरीफ के सीजन में उगने वाले खरपतवार तुंबा उगा हुआ है. हालांकि इसकी खेती नहीं होती है जबकि यह अपने आप ही उग जाता है. पहले जहां तुम्बा किसानों के लिए सिरदर्द बन जाता था तो इसे खेतों से निकालकर बाहर फेंक देते थे तो अब किसान इस तुंबा को इक्कठा करके अच्छी खासी आमदनी कर रहे है. इस तुंबा की अब देशभर में डिमांड रहती है.
किसान गोपाल ने बताया कि पीले रंग का तुम्बा सर्वाधिक कड़वा फल माने जाने वाला है. तुम्बा के औषधीय महत्व के कारण अब इसकी मांग होने लगी है जो अब किसान के लिए आमदनी का मीठा फल बन गया है. बारानी खेतों में ग्वार, मोठ, मूंग ये बाजरा की फसल के साथ खरपतवार रूप उगता बारिश कम होने पर खाली खाली पड़े खेतों में भी तुम्बा की बेल उग जाती है. इसे बाजार में 30 से 40 रुपए किलो बेचा जाता है. इस तुंबा का चार माह सीजन रहता है.
सैंकड़ो श्रमिकों को मिल रहा रोजगार
पहले किसान इसे खरपतवार मानकर खेत से हटाने पर परिश्रम और पैसा खर्च करते थे. अब तुम्बा की पूछ होने से यह ग्रामीणों के लिए आमदनी का जरिया बन गया है. ऐसे में लोग खेतों से एकत्र कर तुम्बा को व्यापारियों को बेचकर लाखों रुपए कमा रहे है. साथ ही तुम्बा को काटकर सुखाने और एकत्र कर बीज निकालने के लिए सैकड़ों निकालने के काम श्रमिकों को रोजगार भी मिल गया है. जो 220 से 250 रुपए प्रति क्विटल के हिसाब से इनकी खरीद कर काटकर सुखाने के बाद बीज निकाल कर ले जाते हैं.
आयुर्वेदिक दवाइयों में होता है उपयोग
आयुर्वेदिक डॉक्टर गहलोत का कहना है कि पशुओं में औषधि के रूप में तुम्बा दिया जाता है. जो कारगर है. आजकल कई देशी और आयुर्वेदिक दवाइयों में भी इसका उपयोग होने लगा है. चिकित्सक की सलाह से इसे तय मात्रा में ही लेना चाहिए. तुम्बा का का छिलका पशुओं में प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के औषधियों में भी काम आता है. यह शुगर, पीलिया, कमर दर्द आदि रोगों की आयुर्वेद औषधियों में तुम्बे का उपयोग हो रहा है. गाय, भैंस, भेड़, बकरी, ऊंट आदि में होने वाले रोगों में तुबे की औषधि लाभदायक है. तुबे की मांग दिल्ली सहित देशभर में रहती है.
.
Tags: Health tips, Jodhpur News, Local18
FIRST PUBLISHED : December 21, 2023, 15:13 IST