हाइलाइट्स
उत्तर भारत में कई चीजें मौसम को गलन वाला ठंडा बना रहे हैं, उसमें कोहरा और धुंध की भूमिका ज्यादा बड़ी है
मौसम विभाग का मानना है कि अगले हफ्ते से सूर्य दिखना शुरू हो जाएगा, तब हालात कुछ बदलेंगे
मौसम विभाग ने जनवरी के दिनों को कोल्ड डे के तौर पर घोषित किया है. ठंड को मापने का मौसम विभाग का ये एक खास टर्म है. जो बताता है कि कोई दिन किस तरह से सामान्य से कोल्ड डे में बदल जाता है. यही नहीं हमें ये जानना चाहिए कि आखिर क्यों उत्तर भारत में ठंडा मौसम बर्फीला होता जा रहा है. हालात क्यों कहते हैं कि ठंड अभी और बढ़ेगी.
सवाल – क्या होता है कोल्ड डे?
– मौसम विभाग के अनुसार जब दिन का तापमान 10 डिग्री सेल्शियस से कम हो और अधिकतम तापमान में सामान्य से 4.5 डिग्री सेल्शियस की कमी आ जाए तो ऐसे दिन को कोल्ड-़डे कहते हैं. उत्तर भारत में नया साल शुरू होने के बाद से कमोवेश ऐसा ही हाल है. 04 जनवरी को अधिकतम तापमान दिल्ली में 12.5 डिग्री सेल्शियस रिकॉर्ड किया गया जबकि न्यूनतम तापमान 06 डिग्री हो गया. इसी वजह से दिल्ली समेत समूचे उत्तर भारत में गलन बढ़ गई और लोगों ने कड़ाके की ठंड को महसूस किया.
सवाल – सामान्य तापमान क्या होता है, क्या ये हर देश या हर क्षेत्र में अलग अलग होता है?
– भारत भौगोलिक रूप से विविधतापूर्ण देश है. इसी वजह से यहां तापमान की अलग श्रेणियां भी देखी जा सकती हैं. इसी वजह से देश में सामान्य तापमान -2°C से 40°C तक देखा जाता है. अगर देश में उत्तर से दक्षिण तक जाएंगे तो वहां की भौगोलिक स्थिति और आबोहवा के हिसाब से वहां का सामान्य तापमान भी अलग रहता है.

कड़ाके की ठंड से लोग परेशान हैं. (File Photo)
सवाल – भारत के शहरों का सामान्य तापमान क्या होता है. खासकर उत्तर भारत के शहरों का?
– उत्तर भारत भारत के ठंडे क्षेत्रों में एक है. यहां का औसत दैनिक तापमान 31 डिग्री सेल्सियस होता है. साल के कई महीनों में औसत तापमान 25 डिग्री सेल्सियस के आसपास होता है. कभी-कभी औसत तापमान 35-40 डिग्री सेल्सियस तक भी पहुंच जाता है.
भारत में सर्दी दिसंबर से फ़रवरी तक होती है. दिसंबर और जनवरी साल के सबसे ठंडे महीने होते हैं. इस दौरान उत्तर-पश्चिम में तापमान औसतन 10-15 डिग्री सेल्सियस रहता है. जैसे-जैसे भूमध्य रेखा की तरफ़ बढ़ते जाते हैं, तापमान बढ़ता जाता है.
बेंगलुरु का औसत तापमान 29 डिग्री सेल्सियस है. नैनीताल का औसत तापमान 15°C और मौसम सुहावना होता है. श्रीनगर में औसत न्यूनतम तापमान 0°C और अधिकतम तापमान 30°C रहता है.
सवाल – इस समय उत्तर भारत में क्यों कड़ाके की ठंड पड़ रही है?
– इसकी कई वजहें हैं
– बर्फबारी: पड़ोसी प्रदेशों में बर्फबारी
– समुद्र की लहरें: पश्चिम से ठंडी लहरें और भूमध्य सागर से नमी भरी लहरें
– भौगोलिक स्थिति – उत्तर भारतीय क्षेत्र ज़मीन से घिरा है. समुद्र के मध्यम प्रभाव से दूर है. जिसके चलते दैनिक तापमान का दायरा बड़ा हो जाता है, हवा में नमी की कमी के कारण रात में तापमान तेजी से गिरता है.
– बादलों का ढंका होना – बादलों के ढंके होने के कारण भी सूर्य की रोशनी पहुंच नहीं पाती और तापमान गिरने लगता है. जैसा इन दिनों हो रहा है. दिल्ली-एनसीआर और उत्तर भारत कमोवेश कोहरे और धुंध की परत से घिरा है, ये स्थिति सूर्य की किरणों को धरती पर आने से रोक लेती है. इससे पृथ्वी की सतह से गर्मी निकल जाती है और सतह और उसके आसपास का माहौल ठंडा होने लगता है. तापमान कम हो जाता है.
– दबाव अंतर – उत्तर-पश्चिम एशिया में जेट स्ट्रीम में “अपेक्षाकृत उच्च वायुमंडलीय दबाव का एक लंबा क्षेत्र” के परिणामस्वरूप भारत में शीत लहर चलनी शुरू जाती है.

दिल्ली में गुरुवार को न्यूनतम तापमान 8.4 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया.
सवाल – गंभीर ठंड की स्थिति क्या होती है, क्या ऐसी ठंड भी उत्तर भारत में आने वाले दिनों में आ सकती है?
– यदि मैदानी इलाकों में न्यूनतम तापमान 2 डिग्री सेल्सियस या अधिकतम तापमान औसत से 6.4 डिग्री सेल्सियस या ज्यादा नीचे गिर जाता है तो भारत मौसम विभाग यानि आईएमडी इसे ‘गंभीर शीत लहर या गंभीर ठं’ घोषित करता है. हालांकि दिल्ली या उत्तर भारत में ये स्थिति आने का अंदेशा नहीं जताया गया है. अगर ये स्थिति आती है तो ऐसी स्थिति का आना मानव शरीर के लिए घातक माना जाता है.
सवाल – दिल्ली और उत्तर भारत में क्या ठंड की मौजूदा स्थिति से राहत मिल सकेगी?
– भारत मौसम विभाग के अनुसार, अगले दो दिनों तक ठंड की स्थिति यही रहेगी. हालांकि अधिकतम तापमान जरूर 13 से 14 डिग्री सेल्सियस हो सकता है. न्यूनतम तापमान 06 डिग्री से 08 डिग्री के बीच रहना चाहिए. हां 08 जनवरी से सूर्य के दर्शन हो सकते हैं और इसके साथ ही ठंड से कुछ राहत मिलने की उम्मीद है.
सवाल – फिलहाल उत्तर भारत में जो ठंड बढ़ी है, उसके लिए क्या चीजें जिम्मेदार हैं?
– बादलों का नहीं के बराबर होना लेकिन कोहरे और स्मॉग की स्थिति लगातार बने रहना, जिसकी वजह से सूर्य के दर्शन नहीं हो रहे. साथ ही उत्तराखंड से लेकर हिमाचल के ऊपरी इलाकों में बर्फबारी का होना.
सवाल – उत्तर भारत में पड़ रही है ठंड का क्या ला नीना से भी कोई लेना देना है?
– ला नीना का इफेक्ट सीधे नहीं दिखता है लेकिन मौसमी पैटर्न पर इसका असर तो बताया ही जा रहा है. दरअसल इसका असर प्रशांत महासागर में शुरू होता है. गर्म पानी ठंडे पानी के ऊपर तैरता है. गर्म पानी इंडोनेशिया की ओर बह जाता है. परिणामस्वरूप, ठंडा पानी सतह पर आने लगता है. इससे ठंडी हवाएं वहां से उत्तर भारत की ओर आती हैं. आईएमडी के मुताबिक ला नीना दिसंबर से फरवरी 2023 तक जारी रहने की उम्मीद है. इसी वजह से वेस्टर्न डिस्टर्बेंस जैसे हालात भी बनते हैं.
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FIRST PUBLISHED : January 5, 2024, 11:22 IST