नई दिल्ली. अयोध्या में राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा का अनुष्ठान शुरू हो चुका है. इसी क्रम में आज भगवान रामलला अपने मंदिर में प्रवेश करेंगे. राम लला की प्रतिमा को पहले रामजन्मभूमि परिसर का भ्रमण कराया जााएगा. फिर इसके बाद गर्भगृह का शुद्धीकरण होगा और फिर कल यानी गुरुवार वह रामलला गर्भगृह में प्रवेश करेंगे. राम मंदिर में स्थापित करने के लिए मैसूर के मूर्तिकार अरुण योगीराज द्वारा बनाई गई राम लला की मूर्ति को चुना गया है. वैसे राम जन्मभूमि में स्थापित करने के लिए तीन मूर्तियां बनाई गई थीं, ऐसे में एक सवाल यह उठता है कि बाकी दो मूर्तियों का क्या होगा. श्री राम जन्मभूमि तीरथ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने इसकी जानकारी दी.
चंपत राय ने बताया कि उन दोनों मूर्तियों को भी मंदिर के पहले और दूसरे तल पर रखा जाएगा. उन्होंने बताया कि राम मंदिर की पहली मंजिल जैसे ही तैयार हो जाएगी, श्री राम जन्मभूमि तीरथ क्षेत्र ट्रस्ट अयोध्या में वैदिक अनुष्ठानों के साथ रामलला की बाकी 2 मूर्तियों में से एक को विराजमान करेगा. इसके बाद दिसंबर 2025 तक पूरे मंदिर का निर्माण कार्य पूरा होने के बाद दूसरी बची हुई मूर्ति को दूसरे और आखिरी मंजिल पर विराजित किया जाएगा. राय ने कहा, ‘उन्हें राजगद्दी पर बैठाते समय भी सभी अनुष्ठान किए जाएंगे.’
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बता दें कि अयोध्या में राम मंदिर के लिए तीन मूर्तिकारों ने रामलला की तीन अलग-अलग मूर्तियां गढ़ी थीं. मंदिर ट्रस्ट ने 22 जनवरी को राम मंदिर के गर्भगृह में विराजमान करने के लिए कर्नाटक के मूर्तिकार अरुण योगीराज की काले पत्थर की मूर्ति का चयन किया है. अन्य दो मूर्तियों में से एक को कर्नाटक के गणेश भट्ट ने काले पत्थर से और दूसरी को राजस्थान के सत्य नारायण पांडे ने सफेद मकराना संगमरमर से तराशा है. तीनों मूर्तियां 51 इंच ऊंची हैं, जिनमें पांच साल के भगवान राम को दर्शाया गया है.
रामलला की तीनों मूर्तियां मुंबई के प्रसिद्ध कलाकार वासुदेव कामथ के स्केच पर आधारित हैं. उन्होंने श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट को राम लला के पेंसिल से बने स्केच भेंट किए थे. कर्नाटक के करकला नामक कस्बे में जन्मे कामथ मुंबई में पले-बढ़े. कामथ को पौराणिक कथाओं और ऐतिहासिक विषयों पर आधारित चित्रों के लिए जाना जाता है. उनकी रामायण श्रृंखला की 28 पेंटिंग विश्व स्तर पर प्रसिद्ध हैं.

बता दें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 22 जनवरी को रामलला के सप्ताह भर चलने वाले अभिषेक समारोह में अंतिम अनुष्ठान करेंगे. वह हफ्ते भर चलने वाले समारोह के समापन का प्रतीक एक माचिस की तीली के आकार की सुनहरी छड़ी के साथ देवता की आंखें खोलेंगे.
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FIRST PUBLISHED : January 17, 2024, 08:19 IST