रिपोर्ट – राधिका कोडवानी
इंदौर. मिर्गी आने पर अक्सर लोग घबरा जाते हैं. समझ नहीं आता है कि क्या करें. फिर घबराहट में इंसान वो तरकीबें अपनाता है, जो उसे नहीं करना चाहिए. मिर्गी के दौरे पड़ने पर लोगों की मदद कैसे करनी है? त्वरित राहत के लिए क्या कदम उठाने चाहिए, आइए इस बारे में जानते हैं एक्सपर्ट से. न्यूरोलॉजिस्ट विनोद कुमार रॉय बताते हैं मिर्गी से डरने की जरूरत नहीं, बल्कि जागरूक रहने की जरूरत है. मिर्गी दिमाग से जुड़ी समस्या है, जिसे एपिलेप्सी भी कहते हैं.
डॉ. विनोद कहते हैं कि वैसे तो इस बीमारी के होने की कोई उम्र नहीं है, लेकिन बच्चों में यह ज्यादा देखने को मिलती है. मिर्गी न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर है, जो ज्यादा खतरनाक नहीं है. इसकी वजह से दूसरी बीमारियां पैदा हो सकती हैं. मिर्गी में अचानक से दौरे आते हैं. ज्यादा गंभीर समस्या होने पर मुंह से झाग निकलता है. ऐसा किसी भी वक्त हो सकता है. इस वजह से ऐसे मरीजों को कई सामाजिक परेशानियां भी उठानी पड़ती हैं.
मिर्गी के दौरे का कारण
न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर से ब्रेन सर्किट में असामान्य तरंगें जन्म लेती हैं. इसी दिमागी गड़बड़ी के चलते मरीज को बार-बार दौरे पड़ते हैं. ऐसी स्थिति में दिमाग का संतुलन बिगड़ जाता है और शरीर बुरी तरह लड़खड़ाने लगता है. ऐसे में मरीज जमीन पर गिर जाता है और उसका शरीर पर किसी तरह का काबू नहीं रहता है. बच्चों को इससे ज्यादा समस्या होती है. कई बार हालात गंभीर हो जाते हैं और बच्चों के दिमाग पर असर पड़ता है. ज्यादातर दौरे सुबह आते हैं. ये बीमारी 5 से 15 साल और 70 से 80 साल तक विकसित होती है. हालांकि, 5 से 10 प्रतिशत ये बीमारी जन्मजात देखने को मिलती है.
मिर्गी अटैक पर बचाव
मिर्गी के 60 से 70 प्रतिशत मामले सिर्फ दवा से ही ठीक हो जाते हैं. कुछ मामलों में विशेष इलाज किया जाता है. हेल्दी डाइट और एक्सरसाइज-योगा पर फोकस करना चाहिए. बहुत ज्यादा कार्ब्स वाले खाना, जंक फूड और मसालेदार तली-भुनी चीजों को खाने से बचना चाहिए. मिर्गी वाले व्यक्ति को का किसी भी वक्त दौरा पड़ सकता है, ऐसे में जागरूक रहने की जरूरत है कि यह सामान्य जानकारी होने से किसी अनजान की भी सहायता कर सकते हैं.
बचाव के उपाय
- सबसे पहले उस व्यक्ति के आसपास से भीड़ हटा दें, उसे स्पेस दें.
- व्यक्ति सुरक्षित जगह पर है, तो उसे हिलाने की कोशिश न करें बल्कि, एक करवट से लेटा दें ताकि उसका सलाएवा वगैरह अंदर न जाए और बाहर निकल जाए.
- कपड़े टाइट हैं, तो उन्हें लूज कर दें, ताकि सांस लेने में कोई तकलीफ न हो. टाई वगैरह भी निकाल दे.
- दौरा आने पर व्यक्ति को पानी, चम्मच जैसी देने जैसी तरकीब न अपनाएं क्योंकि कभी कभी इससे हानि भी हो जाती है.
- मिर्गी का टाइम नोट करें, अगर दौरा पांच मिनट से अधिक का है या फिर बार- बार आ रहे हों, बेहोशी ज्यादा देर तक हो, तो तुरंत एम्बुलेंस बुलाएं.
- जब तक सीजर खत्म न हो जाए, तब तक व्यक्ति के मुंह में कुछ भी न डालने की कोशिश न करें.
- दौरा खत्म होने के बाद भी हो सकता है, व्यक्ति को थोड़ा समय लगे रिकवर करने में, तब तक उस व्यक्ति के पास रहें और उनसे बातें करें.
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FIRST PUBLISHED : February 22, 2024, 20:05 IST
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