अरशद खान/ देहरादून.आज के खराब लाइफस्टाइल के कारण बवासीर एक आम समस्या हो गई है, लेकिन इसके इलाज के लिए मरीज को दर-दर भटकना पड़ता है. सबसे पहले तो मरीज इसके इलाज में लापरवाही करते हैं, लेकिन जब यह लाइलाज होने के कगार पर आ जाता है, तब लोग डॉक्टर और सर्जन के पास भागना शुरू करते हैं. एलोपैथी के अलावा अब आयुर्वेद में भी बवासीर का इलाज है और अगर बात सर्जरी की आती है, तो आयुर्वेदिक डॉक्टर भी क्षार सूत्र विधि से बवासीर की सर्जरी करते हैं. बवासीर पुरानी कब्ज, डायरिया, भारी सामान उठाना, अनुवांशिकी, मसालेदार और तीखा खाना खाने व प्रेग्नेंसी के कारण होता है.
Local 18 से बातचीत में उत्तराखंड की राजधानी देहरादून में कार्यरत आयुर्वेदिक डॉक्टर अंशिका ममगाईं कहती हैं कि बवासीर के लिए आयुर्वेद की क्षार सूत्र विधि एलोपैथी से ज्यादा कारगर है. इसके रिजल्ट भी एलोपैथी के मुकाबले ज्यादा संतोषजनक है. क्षार सूत्र विधि से बवासीर का इलाज करने पर यह दोबारा मरीज को लौटकर नहीं होती है और हमेशा के लिए खत्म हो जाती है.
वह कहती हैं कि बवासीर के इलाज में मरीज को लापरवाही नहीं बरतनी चाहिए और बवासीर की शिकायत महसूस होने पर तुरंत डॉक्टर की सलाह लेनी चाहिए. बवासीर की चार स्टेज होती हैं, जिनमें से तीन स्टेज का इलाज दवाइयों के माध्यम से संभव है लेकिन यदि मरीज चौथी स्टेज तक पहुंच जाता है, तो उसे सर्जरी करानी पड़ती है.
क्या है क्षार सूत्र विधि
क्षार-सूत्र एक आयुर्वेदिक सर्जिकल विधि है, जिसकी मदद से बवासीर का इलाज किया जाता है. बवासीर से पीड़ित मरीज को क्षार-सूत्र से इलाज कराने के लिए ज्यादा लंबे समय तक बेड पर रहना नहीं पड़ता है. इसके इलाज के दौरान बड़ा घाव भी नहीं होता है. यह आयुर्वेदिक जड़ी बूटियों से निर्मित एक धागा होता है, जिसे क्षार सूत्र कहते हैं.
इसका उपयोग बवासीर और भगंदर जैसी बीमारियों की सर्जरी करने के लिए किया जाता है. इलाज के दौरान बवासीर मस्सों को क्षार-सूत्र से कस कर बांध दिया जाता है, जिसके कुछ समय बाद वह सूखकर खत्म हो जाते हैं.
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FIRST PUBLISHED : February 26, 2024, 16:15 IST
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