बीएड कॉलेजों में पढ़ने वाले छात्र अपने आसपास के क्षेत्रों में पढ़ाई छोड़ चुके छात्रों को साक्षर बनाएंगे। यह काम उनके कोर्स में शामिल होगा। एनसीटीई ने चार वर्षीय बीएड के लिए नया कार्यक्रम उल्लास शुरू किया है। इस नये कार्यक्रम के बारे में एनसीटीई ने बीआरएबीयू और दूसरे विश्वविद्यालयों को पत्र भेज दिया है। चार वर्षीय बीएड पूरे बिहार में सिर्फ बीआरएबीयू के चार बीएड कॉलेजों में चलता है।
एनसीटीई का कहना है कि इस कार्यक्रम का उद्देश्य देश में साक्षरता की दर को बढ़ाना है। एनसीटीई ने विश्वविद्यालयों को भेजे पत्र में कहा है कि उल्लास कार्यक्रम नवभारत साक्षरता कार्यक्रम से भी जाना जाएगा। छात्रों को इस कार्यक्रम में शामिल होने के लिए दो क्रेडिट दिए जाएंगे। कार्यक्रम में शामिल छात्र वॉलेंटियर कहे जाएंगे।
छात्र उल्लास पोर्टल पर होंगे रजिस्टर्ड
एनसीटीई ने कहा है कि चार वर्षीय बीएड के छात्रों को उल्लास पोर्टल पर रजिस्टर्ड किया जाए। इस रजिस्ट्रेशन से पता चलेगा कि कितने छात्र इस कार्यक्रम में काम कर रहे हैं। बीएड कॉलेजों के शिक्षकों को एनसीटीई ने निर्देश दिया है कि वे छात्रों को पोर्टल पर रजिस्टर्ड कराने के लिए काम करें और छात्रों के साथ-साथ खुद भी इस कार्यक्रम में शामिल हों।
तीन अक्टूबर से शुरू होगा कार्यक्रम
तीन अक्टूबर से बीएड कॉलेजों में यह कार्यक्रम शुरू होगा। कार्यक्रम से पहले एक ओरियंटेशन कार्यक्रम भी ऑनलाइन चलाया जाएगा। ओरियंटेशन कार्यक्रम के लिए एनसीटीई ने सभी चार वर्षीय बीएड कालेजों को एक लिंक भेजा है। इस कार्यक्रम में बीएड कॉलेजों के छात्रों और शिक्षकों को उल्लास कार्यक्रम के बारे में पूरी जानकारी दी जाएगी।
बीएड कॉलेजों के छात्रों को मिलेगी ट्रेनिंग एनसीटीई ने कहा है कि उल्लास कार्यक्रम में हिस्सा लेने से बीएड कॉलेज के छात्रों को पढ़ाने की भी ट्रेनिंग मिलेगी।
बीएड कॉलेज के छात्र आसपास के निरक्षर लोगों को पढ़ाएंगे तो उन्हें कक्षा में छात्रों को कैसे पढ़ाना है इसकी जानकारी मिलेगी। इससे उन्हें भविषय में भी फायदा होगा।
बीएड के छात्रों को स्कूल में इंटर्नशिप भी करनी पड़ती है। इस कार्यक्रम में वह बिना इंटर्नशिप के ही पढ़ाने के कौशल को सीख सकेंगे।
बीएड कॉलेजों में मेंटर की भी होगी नियुक्ति
बीएड कॉलेजों में एनसीटीई की तरफ से मेंटर भी नियुक्त किये जाने हैं। मेंटर का काम शिक्षकों को कक्षा में कैसे छात्रों को पढ़ाना है, इसके बारे में नई तकनीक बताना और शिक्षकों का क्षमता विकास करना है।