Supreme court verdict on 40 percent Benchmark disability: सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को कहा कि 40 प्रतिशत की बेंचमार्क विकलांगता होने से किसी भी कैंडिडेट को मेडिकल की पढ़ाई करने से रोका नहीं जा सकता है, जब तक कि कोई एक्सपर्ट रिपोर्ट न हो कि कैंडिडेट एमबीबीएस करने में असमर्थ है।
जस्टिस बी. आर. गवई, जस्टिस अरविंद कुमार और जस्टिस के. वी. विश्वनाथन की बैंच ने अपने 18 सितंबर के आदेश के लिए विस्तृत कारण दिए, जिसमें एक उम्मीदवार को एमबीबीएस कोर्स में एडमिशन लेने की अनुमति दी गई है, जब मेडिकल बोर्ड यह मंजूरी दे कि वह बिना किसी बाधा के मेडिकल एजुकेशन प्राप्त कर सकता है। बैंच ने कहा कि एमबीबीएस कोर्स को आगे बढ़ाने के लिए विकलांगता से पीड़ित उम्मीदवार की क्षमता की जांच विकलांगता मूल्यांकन बोर्ड द्वारा की जानी चाहिए।
इसमें कहा गया है, “केवल बेंचमार्क विकलांगता का अस्तित्व किसी उम्मीदवार को एमबीबीएस कोर्स के लिए एलिजिबल होने से अयोग्य नहीं ठहराएगा। उम्मीदवार की विकलांगता का आकलन करने वाले विकलांगता बोर्ड को पॉजिटिव रूप से यह दर्ज करना चाहिए कि क्या उम्मीदवार की विकलांगता कोर्स को पूरा करने में उम्मीदवार के रास्ते में आएगी या नहीं।” इसके साथ ही कोर्ट ने अपने फैसले में यह भी कहा है कि विकलांगता बोर्ड यदि किसी कैंडिडेट को एमबीबीएस कोर्स करने के लिए असमर्थ बताता है तो बोर्ड को इसके लिए जायज कारण बताने होंगे।
यह फैसला कोर्ट ने एक छात्र ओमकार की याचिका पर फैसला सुनाया, जिसने 1997 के ग्रेजुएट मेडिकल एजुकेशन रेगुलेशन को चुनौती दी थी, जो 40 प्रतिशत से अधिक विकलांगता वाले उम्मीदवारों को एमबीबीएस कोर्स की पढ़ाई करने से रोकता है।