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दिल्ली विश्वविद्यालय और दिल्ली सरकार के बीच 12 कॉलेजों को आर्थिक अनुदान देने संबंधित मामले में गतिरोध बरकरार है। डीयू शिक्षक संगठन के अध्यक्ष प्रो. एके भागी का कहना है कि उनको कॉलेजों के लिए दिल्ली सरकार का स्ववित्त पोषित मॉडल स्वीकार नहीं है, जिसमें कर्मचारियों और शिक्षकों के वेतन के भुगतान के लिए छात्र निधि के उपयोग की संभावनाएं तलाशी जा रही हैं। डूटा ने अब दिल्ली सरकार के इस शिक्षक विरोधी रुख के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है, जिसके परिणामस्वरूप आगामी 12 अप्रैल को महाराजा अग्रसेन कॉलेज में धरना आयोजित किया जाएगा। प्रो. भागी ने बताया कि डूटा एवं दिल्ली विश्वविद्यालय प्रिंसिपल एसोसिएशन (डीयूपीए) के ज्ञापन और 12 कॉलेजों से संबंधित मुद्दों पर उपराजपाल के साथ डूटा पदाधिकारियों की बैठक हुई थी। इसके बाद एनसीटी दिल्ली सरकार द्वारा एक हाई पावर कमेटी का गठन किया गया था। तीन अप्रैल, 2024 को इस समिति की बैठक हुई। इसमें दिल्ली सरकार के शिक्षा सचिव ने 12 कॉलेजों में पिछली कमी की सारी जानकारी एकत्र की। इसे कमेटी की बैठक के कार्यवृत्त (मिनट्स) में भी दर्ज किया गया। साथ ही यह आश्वासन दिया कि इस संकट को समाप्त करने के लिए विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) और डीयू मानदंडों के अनुसार शिक्षण पदों को जल्द ही मंजूरी दी जाएगी।
डूटा अध्यक्ष ने बताया कि इसके बावजूद लंबित बकाया दिल्ली सरकार ने जारी नहीं किया है। इससे यह स्पष्ट होता है कि उपराज्यपाल के हस्तक्षेप के बाद नौकरशाही सकारात्मक है और 12 कॉलेजों की समस्या का समाधान करना चाहती है, लेकिन आप सरकार का राजनीतिक नेतृत्व जिद पर अड़ा है और अनावश्यक विवाद का सौहार्दपूर्ण समाधान नहीं चाहता है। दिल्ली सरकार ने तीन अप्रैल, 2024 की बैठक के कार्यवृत्त में, एक बार फिर यह दर्ज किया गया है कि वेतन का भुगतान करने के लिए छात्र निधि शुल्क का उपयोग करने की संभावना तलाशी जाएगी। यह उच्च शिक्षा के स्व-वित्तपोषण मॉडल और आप दिल्ली सरकार की सहायता के प्रस्तावित पैटर्न का प्रमाण है, जिसे आम आदमी पार्टी दिल्ली में सत्ता में आने के बाद से ही आगे बढ़ा रही है।
डूटा अध्यक्ष ने मांग की है कि यूजीसी और डीयू कार्यभार मानदंडों के अनुसार सभी शिक्षण पदों को मंजूरी दी जाएं और इन पदों को जल्द से जल्द स्थाई आधार पर भरा जाएं। साथ ही वित्तीय अनियमितताओं के झूठे आरोपों और डीयू से 12 कॉलेजों की संबद्धता रद्द करने, इन कॉलेजों को अंबेडकर विश्वविद्यालय दिल्ली और डीईएसयू जैसे राज्य विश्वविद्यालयों में स्थानांतरित करने के संबंध में दिल्ली की शिक्षा मंत्री आतिशी के पत्र तत्काल वापस लिया जाएं।