रिपोर्ट : अभिनव कुमार
दरभंगा. मखाना रिच है. स्वाद में भी और गुण में भी. सेहत के लिए ये पौष्टिक होता है और जो भी चीज बनाओ उसका स्वाद चीभ पर चढ़ जाता है. इन दिनों मिथिलांचल के मखाने के भाव चढ़े हुए हैं. वो बेहद डिमांड में है. जीआई टैग मिलने के बाद इसकी मांग ग्लोबल हो गयी है. मांग के मुकाबले आपूर्ति नहीं हो पा रही है. इसलिए मखाना व्यवसायियों और किसानों के लिए इसमें आगे बढ़ने का बेहतरीन अवसर है.
मखाना को जीआई टैग मिलने के बाद वैश्विक स्तर पर इसकी पहचान बनी है. इसलिए मिथिलांचल का मखाना आसमान छू रहा है. देश के साथ विदेशों में भी इसकी जबरदस्त डिमांड है. इजरायल, अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, यूरोप जैसे देशों में ये मंगवाया जा रहा है. पिछले तीन चार साल से मखाना की खेती का रकबा बढ़ा है. इसके पीछे वजह ये है कि किसानों में इसकी खेती के प्रति जागरुकता बढ़ी और सरकार से निरंतर मदद मिल रही है.
उछाल पर हैं भाव
राष्ट्रीय मखाना अनुसंधान केंद्र के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. मनोज कुमार ने इस बारे में विस्तार से जानकारी दी. उन्होंने बताया मखाना मिथिलांचल की एक ऐसी फसल है, जिसका इस्तेमाल पूजा पाठ से लेकर पौष्टिक आहार तक में किया जाता है. ना सिर्फ भारत बल्कि विदेशों में मखाने की काफी तेजी से मांग बढ़ती जा रही है. डिमांड के मुकाबले मखाने की पैदावर कम हैं. इसलिए पर्याप्त आपूर्ति नहीं कर पा रहे हैं. किसानों के पास इसे भुनाने का सुनहरा अवसर है. मखाना का उत्पादन बढ़ेगा तो निश्चित तौर पर किसानों की आमदनी भी उसी रफ्तार से बढ़ेगी.
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किसानों के लिए सुनहरा अवसर
वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. मनोज कुमार बताते हैं मिथिलांचल का मखाना अब पूरी दुनिया मांग रही है. देश का 90 फीसदी मखाना उत्पादन मिथिलांचल इलाके में होता है. यहां के किसानों और उद्यमियों के पास सुनहरा मौका है कि वो अपनी फसल दुनिया भर में पहुंचा सकते हैं. उन्होंने बताया कि लोकल बाजार में मखाना 600 से 700 रुपए किलो मिलता है. यही मखाना विदेशों में जाता है इसकी कीमत 3 हजार रुपए तक हो जाती है. किसान यहां अपने प्रॉफिट मार्जिन बढ़ा सकते हैं. सरकार भी किसानों की लगातार मदद कर रही है. इसका परिणाम भी सामने आने लगा है. वह दिन दूर नहीं कि मिथिलांचल का मखाना पूरे विश्व पर राज करेगा.
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FIRST PUBLISHED : February 8, 2024, 14:20 IST