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नेशनल मेडिकल कमिशन (एनएमसी) ने ऐसे 972 छात्रों की लिस्ट जारी की है जो जरूरी पात्रता प्रमाणपत्र प्राप्त किए बिना एमबीबीएस की पढ़ाई के लिए विदेश गए थे। आयोग ने इन छात्रों को अपने प्रमाणपत्र आवेदन जमा करने के लिए 10 दिनों की मोहलत दी है। एनएमसी ने जोर देकर कहा है कि अगर तय समयसीमा में सर्टिफिकेट नहीं जमा किया जाता है तो आवेदन खारिज कर दिए जाएंगे। आयोग ने लंबित आवेदनों की एक लिस्ट भी जारी की है, जिसमें छात्रों के नाम, पिता के नाम और आवेदन संख्या शामिल है।
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एनएमसी ने आधिकारिक नोटिस में कहा, “यह देखा गया है कि जिन आवेदकों का नाम एनेक्चर- I में दिया गया है, वे विद्यारथी पात्रता प्रमाणपत्र हासिल किए बिना विदेश चले गए हैं। इसलिए बोर्ड ने ऐसे सभी आवेदकों को एनएमसी एलिजिबिलिटी पोर्टल पर जरूरी पात्रता प्रमाणपत्र सब्मिट करने के लिए 10 दिन का समय देने का निर्णय लिया है। एनेक्चर – 1 में उल्लेखित आवेदक अगर 10 दिनों के भीतर पात्रता प्रमाणपत्र जमा नहीं करते हैं तो उनके आवेदन खारिज कर दिए जाएंगे।”
अक्टूबर में एनएमसी ने एफएमजीई (FMGE 2023) पात्रता प्रमाणपत्र के लिए आवेदन मांगे थे। एनएमसी के एथिक्स एंड मेडिकल रजिस्ट्रेशन बोर्ड (ईएमआरबी) ने जब आवेदनों की समीक्षा की तो कुछ कमियों की पहचान की। आपको बता दें कि विदेश से मेडिकल की पढ़ाई करके अगर भारत में डॉक्टरी करनी है, तो इसके लिए एफएमजीई परीक्षा पास करनी होती है।
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एनएमसी ने नोटिस में भारतीय चिकित्सा परिषद अधिनियम 1956 के दिशानिर्देशों पर भी प्रकाश डाला है। गाइडलाइंस के मुताबिक एक अभ्यर्थी को विदेश के मेडिकल संस्थान में एडमिशन लेने के लिए एक निश्चित तिथि के भीतर एनएमसी से पात्रता प्रमाण पत्र प्राप्त करना होगा। इसे हासिल किए बिना कोई भी छात्र विदेश से एमबीबीएस नहीं कर सकता। अगर कोई अभ्यर्थी एनएमसी से बिना पात्रता प्रमाणपत्र लिए विदेश के किसी संस्थान में एमबीबीएस करता है तो वह भारत के स्क्रीनिंग टेस्ट में नहीं बैठ पाएगा।
एनएमसी ने आगे कहा कि विदेश में पढ़ाई करने के लिए पात्रता प्रमाणपत्र की आवश्यकता नीट यूजी 2019 के परिणामों की घोषणा के बाद शुरू की गई थी। इसके अलावा यह भी अनिवार्य किया गया है कि विदेशी संस्थानों में एमबीबीएस में दाखिले के लिए पात्र होने के लिए भारतीय और विदेशी भारतीय नागरिक (ओसीआई) दोनों छात्रों को नीट परीक्षा में पास होना होगा।