गोल्डी बरार को आतंकवाद निरोधक अधिनियम के तहत आतंकवादी घोषित किए जाने के बाद अब वह अपराधों की गंभीर श्रेणी में आ गया है और वह जिस देश में भी पकड़ा जाएगा उसे देश पर अंतरराष्ट्रीय दबाव रहेगा कि वह उसे भारत को सौंपें. गोल्डी बरार भी यह कोशिश करेगा कि वह जल्द से जल्द कनाडा से कहीं और चला जाए.
विदेश में बैठे आतंकवादी अपराधी गठजोड़ पर प्रहार करने के लिए भारत सरकार ने 3 साल पहले आतंकवाद निवारण अधिनियम के तहत विशेष अधिनियम संसद से पास कराया था. इस अधिनियम के तहत केंद्रीय गृह मंत्रालय को यह अधिकार दिया गया था कि यदि केंद्रीय गृह मंत्रालय के पास यह मानने के पूरे आधार हैं कि कोई व्यक्ति विशेष या संगठन विशेष आतंकवादी गतिविधियों में किसी भी रूप में शामिल है तो उसे व्यक्तिगत तौर पर उसके अपराधों के आधार पर आतंकवादी घोषित किया जा सकेगा इस अधिनियम के तहत केंद्रीय गृह मंत्रालय अब तक तीन दर्जन से ज्यादा लोगों को आतंकवादी घोषित कर चुका है.
जब किसी व्यक्ति को इस अधिनियम के तहत आतंकवादी घोषित किया जाता है, तो अंतरराष्ट्रीय स्तर पर वह एक आम अपराधी नहीं रह जाता क्योंकि विदेशों में हत्या लूटपाट फिरौती धोखाधड़ी आदि को गंभीर अपराधों की श्रेणी में नहीं रखा जाता लेकिन इसके उलट यदि कोई व्यक्ति आतंकवादी या मनी लांड्रिंग के अपराध में आरोपी है तो विदेश में भी उसे पर विशेष तवज्जो दी जाती है.
गोल्डी बरार को इस अधिनियम के तहत आतंकवादी घोषित करने के बाद अब उस पर से सामान्य अपराधी का टैग हट गया है और वह गंभीर अपराधों की श्रेणी के तहत आतंकवादी की श्रेणी में आ चुका है. इसका स्पष्ट मतलब होता है कि जो शख्स आतंकवादी है वह किसी देश का नहीं होता और मौका पड़ने पर वह जहां रह रहा है वहां भी आतंकवादी गतिविधि कर सकता है लिया जाए ऐसे में उस शख्स को जिस भी देश में पकड़ा जाता है वहां से उसे प्रत्यर्पण की सुविधा न होने पर डिपोर्ट भी किया जा सकता है.
गोल्डी बरार के खिलाफ आतंकवादी अधिनियम के साथ-साथ मनी लांड्रिंग एक्ट के तहत भी मुकदमा चल रहा है. इंटरपोल भी उसके खिलाफ नोटिस जारी कर चुका है और साथ ही भारत में उसके खिलाफ गैर जमानती वारंट भी जारी हो चुका है. लिहाजा ऐसे में कनाडा सरकार पर नैतिक दबाव के साथ-साथ अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी दबाव पड़ेगा कि वह एक आतंकवादी और मनी लांड्रिंग के अपराधी को उसके देश को सौंप दे.
सबसे बड़ी बात यह है कि भारत ने अपने नोटिफिकेशन में स्पष्ट तौर पर दिखाया है कि गोल्डी बरार पंजाब भारत का रहने वाला है और इस समय वह कनाडा में रह रहा है. ऐसे में कनाडा यह भी नहीं कह सकता कि वह किसी और देश का निवासी है लिहाजा में भारत को उसे नहीं सौंपेगा. यह बात दीगर है कि यदि कनाडा सरकार उसे नहीं सौंपना चाहेगी तो यह कहकर इंकार कर देगी कि जिस जगह का पता दिया गया है वहां गोल्डी बरार रहता ही नहीं है. ठीक उसी तरह से जैसे पाकिस्तान आज तक कुख्यात माफिया सरगना दाऊद इब्राहिम के पाकिस्तान के ठिकानों को यह कहकर मना करता रहा है कि दाऊद इब्राहिम उन पतों पर रहता ही नहीं है.
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Tags: Home ministry, UAPA Act
FIRST PUBLISHED : January 1, 2024, 19:39 IST