प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी यूएई की सातवीं और 2014 के बाद से कतर के दूसरे दौरे पर गए हुए हैं. पीएम मोदी 14 फरवरी को अबू धाबी में एक हिंदू मंदिर का उद्घाटन करेंगे. इसके बाद दुबई में आयोजित शिखर सम्मेलन में दुनियाभर के नेताओं को संबोधित करेंगे. पीएम मोदी जिस कतर गए हैं, वो मिडिल ईस्ट के सबसे छोटे देशों में एक है. इसकी आबादी महज 28 लाख है. इसमें भी करीब 90 फीसदी प्रवासी हैं. बता दें कि 1925 तक कतर को रहने लायक तक नहीं समझा जाता था. यहां के लोग दूसरे मुल्कों की तरफ पलायन कर रहे थे. लेकिन, आज कतर मध्य पूर्व के सबसे रईस देशों में शुमार होता है.
कतर महज 12,000 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ देश है. इसे कभी मछुआरों का देश कहा जाता था. एक समय तक यहां की ज्यादातर आबादी मछुआरे या खानबदोश थी. ऐसे में ये लोग किसी भी एक जगह पर टिकते ही नहीं थे. कतर में साल 1930 से 1940 के बीच भयंकर आर्थिक संकट के हालात पैदा हो गया. देश की अर्थव्यवस्था चरमरा गई. उस दौर में कतर की करीब 30 फीसदी आबादी पलायन कर गई. संयुक्त राष्ट्र संघ के मुताबिक, उस दौरान कतर में 24 से 25 हजार लोग ही बचे थे. सवाल ये उठता है कि जिस देश की आबादी आर्थिक संकट के कारण इतनी कम बची थी, वो अगले 50 साल में गरीब से अमीर देश बन गया?
कब और कैसे बदलनी शुरू हुई कतर की किस्मत?
मुश्किल हालात के बीच कतर के लिए साल 1939 किस्मत बदलने वाला साबित हुआ. इसी साल कतर में तेल का पहला कुआं खोजा गया. यह कुआं कतर की राजधानी दोहा से 80 किमी दूर दुखान के नजदीक खोजा गया था. इस तेल के कुएं की खोज ठीक उसी समय हुई, जब पूरी दुनिया दूसरे विश्व युद्ध के कगार पर खड़ी थी. कतर ने इस खोज का पूरा फायदा उठाया. कतर ने दूसरे देशों को तेल की आपूर्ति करना शुरू कर दी. इससे उसके खजाने भरने लगे. यहीं से गरीब कतर के मिडिल ईस्ट के सबसे अमीर देश बनने का सिलसिला शुरू हुआ.
कतर को पहले तेल और फिर प्राकृतिक गैस भंडार की खोज ने गरीबी से अमीरी की ओर बढ़ाया.
फिर लौटने लगे कतर के नागरिक, प्रवासी भी पहुंचे
कतर में खुशहाली लौटने लगी तो 1950 के बाद आबादी भी बढ़ने लगी. देश छोड़कर गए लोग वापस लौटने लगे. कतर के नागरिक ही नहीं, काम की तलाश में बड़ी तादाद में दूसरे देशों के लोग भी पहुंचने लगे. दुनिया के कई देशों को तेल की आपूर्ति करने से 1970 आते-आते कतर की जीडीपी 30 करोड़ अमेरिकी डॉलर तक पहुंच गई.
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फिर गैस की खोज ने रॉकेट बना दी अर्थव्यवस्था
तेल की खोज ने जहां कतर की अर्थव्यवस्था को उबारा, तो प्राकृतिक गैस की खोज ने उसकी अर्थव्यवस्था को पंख दे दिए. कतर में पहले पा्रकृतिक गैस भंडार की खोज 1971 में की गई. फिर कतर को पता चला कि यह दुनिया के सबसे बड़े नेचुरल गैस रिजर्व में एक है. उस दौर में ईरान और रूस के पास नेचुरल गैस के सबसे बड़े रिजर्व थे. इस क्षेत्र में इन्हीं दोनों देशों का दबदबा था. फिर 80 का दशक आते-आते कतर ने दोनों की नेचुरल गैस के क्षेत्र की बादशाहत खत्म कर दी.
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अमेरिका भी मुसीबत में कतर से मांगता है मदद
अब मिडिल ईस्ट में सऊदी अरब और यूएई भी कतर से मुकाबला नहीं कर पा रहे हैं. कतर प्रति व्यक्ति आय और जीडीपी के मामले में दुनिया में छठे नंबर पर है. कतर दुनिया के सबसे ज्यादा सैलरी देने वाले देशों में शामिल है. स्वास्थ्य, शिक्षा, इंफ्रास्ट्रक्चर से लेकर टेक्नोलॉजी के मामले में कतर बड़े-बड़े देशों को टक्कर देता है. अमेरिका भी मुसीबत में तकर से मदद मांगता है. अगर सेना की बात करें तो कतर में करीब 90,000 सैनिक ही हैं.
मजबूत अर्थव्यवस्था वाला कतर अपने नागरिकों को कई सुविधाएं मुफ्त मुहैया कराता है.
कतर नागरिकों को कई सुविधाएं मिलती हैं मुफ्त
कतर अपने नागरिकों को कई सुविधाएं मुफ्त मुहैया कराता है. देश में स्वास्थ्य देखभाल सुविधाओं के लिए नागरिकों से कोई शुल्क नहीं लिया जाता है. इसके अलावा स्कूली पढ़ाई मुफ्त उपलब्ध कराई जाती है. नागरिकों को मुफ्त बिजली और पानी मुहैया कराया जाता है. यही नहीं, कतर में आमदनी पर किसी तरह का टैक्स नहीं वसूला जाता है. इसके अलावा तकर के हर नागरिक को एक नौकरी पाने का अधिकार दिया गया है. कतर के अस्पताल विश्वस्तर के हैं. वहीं, शिक्षा के क्षेत्र में कतर खर्च लगातार बढ़ा रहा है.
अंतरराष्ट्रीय राजनीति का केंद्र भी बना कतर
कतर आर्थिक तौर पर ही मजबूत नहीं है. उसने दुनियाभर के देशों के बीच ऐसी साख बनाई है कि वहां तालिबान और अमेरिका एकसाथ बैठकर मिडिल ईस्ट के सभी देशों की किस्मत पर बात कर चुके हैं. कतर अपने सॉवरेन वेल्थ फंड से दुनिया की बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में निवेा करता है. यहीं, कतर ने कई देशों में बड़े-बड़े खरीद सौदे भी किए हैं. कतर ने लंदन के हैरोड्स डिपार्टमेंट स्टोर जैसे पश्चिम के प्रतीक खरीदे और ग्रैंड होटल बर्गेनस्टॉक जैसे निष्क्रिय संस्थानों में नई जान फूंक दी.
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FIRST PUBLISHED : February 13, 2024, 21:16 IST