Monday, June 30, 2025
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Mohalla Clinic Scam: असल में क्‍या है मोहल्ला क्लीनिक फर्जी टेस्ट मामला? कैसे हुआ यह घोटाला और ऐसे पकड़ा में आया यह पूरा फर्जीवाड़ा?


विक्रांत यादव/मानव

राजधानी में खराब क्वालिटी की दवाओं की सप्लाई के मामले के बाद अब दिल्ली सरकार के मोहल्ला क्लिनिकों में फर्जी मरीजों के नाम पर पैथोलॉजी और रेडियोलॉजी टेस्ट करवाए जाने का मामला सामने आया है. उपराज्यपाल विनय कुमार सक्सेना ने इस मामले में सीबीआई जांच करवाने और दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की अनुशंसा की है. दरअसल दिल्ली सरकार द्वारा चलाए जा रहे इन मोहल्ला क्लिनिकों में हजारों मामलों में फर्जी और गलत मोबाइल नंबर दर्ज कर फर्जी मरीजों का पंजीकरण किया गया और फिर निजी लैब में उनकी जांच कराने की पर्चियां काट दी गई. आरोप है कि इस तरह करोड़ों रुपए की अदायगी निजी लैबोरेट्रीज को किया गया और सरकार को भारी चूना लगाया गया.

क्या है पूरा मामला
दरअसल दिल्ली सरकार ने फरवरी 2023 में दो निजी लैब M/s Agilus Diagnostics Ltd और M/s Metropolis Health Care Ltd के साथ समझौता किया, जिसके तहत मोहल्ला क्लिनिकों में आने वाले मरीजों की पैथोलॉजी और रेडियोलॉजी जांच के लिए सहमति बनी. यानी मोहल्ला क्लिनिक में डॉक्टरों को जिन मरीजों के लिए ये टेस्ट करवाने की जरूरत लगेगी, उन्हें यहां भेजा जा सकेगा. मरीजों के टेस्ट भी मुफ्त होने थे और जो भी भुगतान था, वो सरकारखराब दवाओं के बाद दिल्ली के मोहल्ला क्लिनिकों में फर्जीवाडे के आरोप, सीबीआई जांच करेगी.

कैसे खुला मामला
दरअसल, दिल्ली में कुल 526 मोहल्ला क्लिनिक चल रहे हैं. बीते साल अगस्त में इनमें से सात मोहल्ला क्लिनिकों में कुछ अनियमित्ताएं पाई गई. ये पता चला कि यहां काम करने वाले लोग आते ही नहीं हैं और गलत तरीके से अपनी हाजिरी लगा देते हैं. खास बात ये पता चली कि स्टाफ यहां पर पहले से ही रिकॉर्ड किए गए अपने वीडियो के आधार पर हाजिरी लगा देते हैं. इस गोरखधंधे का खुलासा होते ही सितंबर महीने में एफआईआर दर्ज की गई और कुछ स्टॉफ को हटाया भी गया. हालांकि कहानी यही नहीं रुकी. अक्टूबर में जब इन मोहल्ला क्लिनिकों के तीन महीने के टेस्ट सैंपल की जांच के लिए डाटा विजिलेंस को भेजा गया, तो बड़े पैमाने पर हुए गड़बड़झाले का खुलासा हुआ. इन दोनों लैब में बीते साल जुलाई से सितंबर तक के रिकॉर्ड जुटाए गए. ये दोनों लैब द्वारा किए गए टेस्ट रिकॉर्ड थे.

विजिलेंस जांच में क्या मिला?

– M/s Agilus Diagnostics Ltd में इन 7 मोहल्ला क्लिनिक में जुलाई से लेकर सितंबर 2023 के बीच 5,21,221 लैब टेस्ट कराए गए.

– इन 7 मोहल्ला क्लीनिक में फर्जी और गलत मोबाइल नंबर दर्ज कर मरीजों का रजिस्ट्रेशन किया गया और उनकी लैब जांच कराने के लिए कहा गया.

– कई मोबाइल नंबर को एक से ज्‍यादा मरीजों के लिए इस्तेमाल किया गया यानी अनेक मरीजों के लिए एक ही मोबाइल नंबर डाल दिया गया.

– 11,657 बार मरीज का मोबाइल नंबर सिर्फ ‘0’ लिखा गया.

– 8251 मामलों में मरीजों का नंबर ही नहीं लिखा गया.

– 1,2,3,4,5 से शुरू होने वाले 42 मरीजों के नंबर मिले.

– 817 मोबाइल नंबर का इस्तेमाल 15 या उससे ज्यादा मरीजों के मामले में किया गया.

– इसी तरह M/s Metropolis Health Care Ltd में जुलाई से सितंबर 2023 के बीच 85616 टेस्ट करवाए गए.

– 3092 मरीजों के नंबर 9999999999 दर्ज किया गया.

– 111 मोबाइल नंबर 15 या उससे ज्यादा मामलों में इस्तेमाल किया गया.

जांच में ये भी जानकारी मिली कि टेस्ट के लिए लेब इनफोरमेशन मेनेजमेंट सिस्टम सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल किया जाता है, लेकिन उसे आधार से लिंक करने का कोई सिस्टम ही नहीं था. विजिलेंस का ये भी कहना है कि सिर्फ सात मोहल्ला क्लिनिकों के मामले में इतनी बड़ी अनियमित्ताएं मिली हैं, तो बाकी का भी अगर डाटा सामने आएगा तो इस घोटाले की असली रकम सामने आ सकेगी. इस घोटाले के बड़े विवरण को देखते हुए ही इसकी सीबीआई से जांच करवाने की सिफारिश उपराज्यपाल ने की है.

क्या कहना है उपराज्यपाल का
इस मामले में सीबीआई को मामला भेजते हुए उपराज्यपाल ने लिखा है कि दिल्ली में पहले खराब क्वालिटी की दवाओं का मामला सामने आया और अब मोहल्ला क्लिनिकों में इस तरह का गोरखधंधा। इससे साफ है कि किस तरह से गरीब और मजलूम दिल्लीवासियों के अधिकार पर चोट की जा रही है। इस मामले की तह तक जाना बेहद जरूरी है।

क्या कहना है आम आदमी पार्टी का
इस मामले में दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री सौरभ भारद्वाज का कहना है कि उन्होंने ही 20 सितंबर को प्रेस कांफ्रेंस करके बताया था कि 7 मोहल्ला क्लीनिक में स्टाफ इलेक्ट्रॉनिक सिस्टम में गड़बड़ी करके गलत तरीके से अटेंडेंस लग रहा था, जिसके बाद उन 7 मोहल्ला क्लीनिक के डॉक्टर, फार्मासिस्ट, मल्टी टास्किंग वर्कर और असिस्टेंट पर कार्रवाई करके उनको हटा दिया गया था. अब जिस डाटा की बात कही जा रही है, वो भी उन्हीं मोहल्ला क्लिनिकों का है. अगर कोई गड़बड़ी मिलती है, तो अधिकारियों और दोषियों के खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए. उन्होंने कहा कि सरकार नीतियां बनाती है और अधिकारियों की जिम्मेदारी बनती है उन्हें सुचारू रूप से लागू करने की. इस मामले में स्वास्थ्य विभाग के सचिव की जिम्मेदारी बनती है.

क्या कहना है बीजेपी का
बीजेपी के वरिष्ठ नेता सुधांशु त्रिवेदी ने इस मामले में दिल्ली सरकार की नीयत पर बड़े सवाल उठाए. उन्होंने कहा कि आम आदमी पार्टी सरकार अपनी जिम्मेदारी से नहीं बच सकती. उन्होंने पहले मोहल्ला क्लिनिक बनाए. फिर उसका दायरा बढ़ाते हुए निजी कंपनियों को ठेका दे दिया और फर्जी बिल बना मोटा घोटाला किया. उन्होंने कहा कि पीएम नरेंद्र मोदी इसिलिए लगातार डिजिटल पर जोर देते हैं, लेकिन ये लोग उसका विरोध इसी कारण करते रहे ताकि उसकी आड में घोटालों को अंजाम दे सकें.

Tags: Arvind kejriwal, Delhi news



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