सनन्दन उपाध्याय/बलिया: सभी ऋतुओं का राजा बसंत ऋतु को माना जाता है. बसंत ऋतु पर आयुर्वेद में पूरा एक पाठ ही है. अगर इस ऋतु में अपने जीवन में थोड़ा बहुत बदलाव कर लें, तो विशेषज्ञों की मानें तो शरीर को अनेक बीमारियों से बचाया जा सकता है. आयुर्वेद में कहा गया है कि बसंते भ्रमणे पथ्यम अर्थात सूर्योदय से पहले इस मौसम में टहलना और भ्रमण करना बेहद लाभकारी और फायदेमंद होता है. आइए जानते हैं इस मौसम में क्या करना चाहिए, क्या खाना चाहिए और क्या नहीं खाना चाहिए इसको लेकर क्या कहते हैं आयुर्वेद के एक्सपर्ट.
राजकीय आयुर्वेदिक चिकित्सालय नगर बलिया की चिकित्सा अधिकारी डॉक्टर प्रियंका सिंह ने कहा कि बसंत ऋतु शुरू हो चुकी है. यह सभी ऋतुओं में महत्वपूर्ण है. इसको ऋतुराज कहा जाता है यानी ऋतुओं का राजा. यह जो ठंडी खत्म हुई है और ग्रीष्म ऋतु आ रही है इन दोनों ऋतुओं के बीच का काल यानी समय होता है. अभी ठंडी गई है उसमें हमने बहुत भारी-भारी खाना खाया हुआ है. अब जब तेज धूप होने लगी है, तो जो व्याधियों होती हैं वह पिघलने लगती है अर्थात सर्दी, खांसी और कफ जैसी बीमारियां परेशान करने लगती है. इसमें स्वस्थ रहने के लिए आहार विहार पर विशेष ध्यान देना चाहिए.
आयुर्वेद में इसका पूरा चैप्टर बनाया गया
अगर बसंत ऋतु में अपने आहार विहार को बदल लिया समझिए अपने आप कई बीमारियां उसके शरीर से दूर ही नहीं बल्कि प्रवेश भी नहीं करेंगी. खाने में बहुत हल्का और सुपाच्य भोजन लें, जो बिल्कुल ताजा बना हो. पहले का बना हुआ चावल और गेहूं जैसे अनाज का प्रयोग वर्जित है. आयुर्वेद में इसका पूरा चैप्टर बनाया गया है. मूंग की दाल, चने की दाल और अरहर की दाल का प्रयोग किया जा सकता है. मूली, गाजर, पालक, जिमीकंद, केले के फूल और हरे केले की सब्जी खाएं. ताजा बना हुआ भोजन पर विशेष फोकस करें. इस मौसम में तो दही का सेवन बिल्कुल नहीं करना चाहिए.
इस पर करें विशेष फोकस
जो लोग दही के आदी हैं वह दही में काली मिर्च और सेंधा नमक मिलाकर ही सेवन करें. चीनी का सेवन बिलकुल न करें. आंवला का सेवन कर सकते हैं. सोंठ, पिप्पली और काली मिर्च इन सभी चीजों का सेवन पानी में उबालकर या भोजन के साथ लिया जा सकता है. इस समय शरीर की अग्नि थोड़ी धीमी होती है इसलिए भूख कम लगती है. इसके लिए अदरक के रस में सेंधा नमक मिलाकर खाने से पहले चाट लें. इस समय आइसक्रीम जैसी ठंडी-ठंडी चीज बाजार में आ रही है, इनको बिल्कुल इग्नोर करना है और फास्ट फूड तो छूना भी नहीं है. इस समय हल्का व्यायाम के साथ टहलना चाहिए.
आयुर्वेद में विस्तृत है इस ऋतु का वर्णन
इस समय आयुर्वेद में कहा जाता है कि बसंते भ्रमणे पथ्यम. सूर्योदय से पहले इस मौसम में टहलना और भ्रमण करना बेहद लाभकारी और फायदेमंद होता है. इसमें प्रतिदिन सरसों के गुनगुने तेल से शरीर की मालिश कर गुनगुने पानी से स्नान करें. बसंत ऋतु में अवटन (सरसों के दानों को पीसकर) लगाने का विशेष महत्व बताया गया है. इस समय आयुर्वेदिक काजल का प्रयोग करना चाहिए. वहीं दिन में तो बिल्कुल भी नहीं सोना है. रात में जल्दी सोएं और सुबह जल्दी उठ जाएं. सरसों का तेल खाने में इस्तेमाल करें.
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FIRST PUBLISHED : March 1, 2024, 12:33 IST
Disclaimer: इस खबर में दी गई दवा/औषधि और स्वास्थ्य से जुड़ी सलाह, एक्सपर्ट्स से की गई बातचीत के आधार पर है. यह सामान्य जानकारी है, व्यक्तिगत सलाह नहीं. इसलिए डॉक्टर्स से परामर्श के बाद ही कोई चीज उपयोग करें. Local-18 किसी भी उपयोग से होने वाले नुकसान के लिए जिम्मेदार नहीं होगा.