सोनिया मिश्रा/ चमोली.कई लोग दवाई न खाने और इंजेक्शन न लगवाना पड़े इस डर से छोटी-मोटी बीमारियों का इलाज करवाने से बचते रहते हैं, लेकिन बिना दवा या इंजेक्शन का दर्द सहे, अगर हर बीमारी का इलाज मिल जाए तो आधी बीमारी और चिंता ही ठीक हो जाती है. खास बात तो यह है कि प्राचीन आयुर्वेदिक मर्म चिकित्सा पद्धति (Marma Medical System) में यह संभव है कि बड़ी से बड़ी परेशानी का बिना इंजेक्शन और दवाइयों के सेवन से इलाज किया जा सकता है. कंधों, जोड़ों और कमर सहित अन्य कई मर्ज का इससे इलाज पाकर ये समस्या ताउम्र के लिए खत्म हो जाती है.
आयुर्वेदिक चिकित्सकों के अनुसार मर्म चिकित्सा वास्तव में अपने अंदर की शक्ति को पहचानने जैसा है. उत्तराखंड के चमोली के जिला आयुर्वेदिक और यूनानी अधिकारी डॉक्टर सुनील रतूड़ी बताते हैं कि शरीर की स्व चिकित्सा शक्ति (सेल्फ हीलिंग पॉवर) ही मर्म चिकित्सा है. मर्म चिकित्सा से सबसे पहले शांति व आत्म नियंत्रण आता है, जो सुख का अहसास होता है. वह बताते हैं कि शरीर में 107 मर्म स्थान हैं, जिनसे मेडिकल के छात्रों को उपचार व सर्जरी के दौरान बचाने की सीख दी जाती है. जिनमें से 37 बिंदु शरीर में गले से ऊपर के हिस्से में होते हैं और उनसे लापरवाही, छेड़छाड़ जानलेवा भी साबित हो सकती है, इसलिए उनके साथ केवल चिकित्सकों को ही उपचार की अनुमति है, लेकिन अन्य बिंदुओं की जानकारी होने पर आम लोग भी अपने या परिजनों, मित्रों या किसी भी रोगी का इलाज कर सकते हैं.
चमोली जनपद में भी जल्द मिलेगी सुविधा
जिला आयुर्वेदिक और यूनानी अधिकारी डॉक्टर सुनील रतूड़ी ने बताया कि लंबे समय से जनपद में आयुर्वेदिक चिकित्सको के पद खाली चल रहे थे. लेकिन जनपद को अब 43 नए आयुर्वेदिक चिकित्सक मिल गए हैं, जिसमें कई विषय विशेषज्ञ भी हैं. मर्म चिकित्सा विशेषज्ञ आने से अब जनपद के लोगों को आसानी से जनपद में ही मर्म चिकित्सा का संपूर्ण इलाज मिल जाएगा.
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FIRST PUBLISHED : March 1, 2024, 15:30 IST
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