Sunday, June 29, 2025
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nuclear reactor on moon Russia and China to build shared nuclear reactor on the moon by 2035 – International news in Hindi


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Nuclear Reactor on Moon: भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी इसरो ने चांद के दक्षिणी ध्रुव पर चंद्रयान-3 उतारकर इतिहास रचा। अब दुनिया के दो शक्तिशाली देश चांद पर ऐसा कारनामा करने जा रहे हैं, जो आजतक कोई नहीं कर पाया है। रूस और चीन ने ऐलान किया है कि वे चांद पर संयुक्त रूप से एक परमाणु रिएक्टर बनाने जा रहे हैं। यह रिएक्टर चांद पर बिजली पैदा करने में मदद करेगा। रूस और चीन इस मिशन से अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा को तगड़ा झटका देने की तैयारी कर रहे हैं।

रूस की अंतरिक्ष एजेंसी रोस्कोस्मोस ने 2035 तक चंद्रमा पर एक ऑटोमैटिक परमाणु रिएक्टर बनाने के लिए चीन के साथ काम करने की योजना की घोषणा की है। प्रस्तावित रिएक्टर चंद्र बेस को बिजली देने में मदद करेगा जिसे दोनों देश संयुक्त रूप से संचालित करेंगे।

तकरीबन तीन साल पहले 2021 में, रोस्कोसमोस और चीन की अंतरिक्ष एजेंसी (सीएनएसए) ने खुलासा किया था कि उनका इरादा चंद्रमा पर एक बेस बनाने का है, जिसका नाम अंतरराष्ट्रीय चंद्र अनुसंधान स्टेशन (आईएलआरएस) है, जिसके बारे में उन्होंने उस समय दावा किया था कि यह “सभी देशों के लिए खुला होगा।” 

हालांकि, चीन और रूस से खराब संबंधों के कारण नासा के अंतरिक्ष यात्रियों को इस बेस पर जाने की अनुमति मिलने की संभावना नहीं है। क्योंकि 2022 में यूक्रेन पर रूस के आक्रमण के बाद अमेरिका के रूस पर प्रतिबंधों की झड़ी लगाई थी। 

रोस्कोस्मोस के महानिदेशक यूरी बोरिसोव ने रूस के सरकारी मीडिया टीएएसएस को बताया, “आज हम अपने चीनी सहयोगियों के साथ मिलकर चंद्र सतह पर एक बिजली इकाई को स्थापित करने के लिए एक परियोजना पर गंभीरता से विचार कर रहे हैं, जो संभवत: 2033-2035 तक पूरा हो जाएगा।” बोरिसोव ने कहा कि इस मिशन में सबसे अधिक चुनौती इंसानों की उपस्थिति के बिना रिएक्टर को संचालित करना होगा। हालांकि इसे पूरा करने के लिए आवश्यक तकनीकी समाधान “लगभग तैयार हैं।”

रॉयटर्स की रिपोर्ट के अनुसार, रोस्कोस्मोस इस बेस को बनाने के लिए चंद्रमा पर माल स्थानांतरित करने के लिए बड़े पैमाने पर परमाणु-संचालित रॉकेटों का उपयोग करने पर भी विचार कर रहा है, लेकिन एजेंसी अभी तक यह पता नहीं लगा पाई है कि इन अंतरिक्ष यान को सुरक्षित रूप से कैसे बनाया जाए। 

यहां यह भी गौर करने वाली बात है कि रूस और चीन में से कोई भी चांद पर इंसानों को सफलतापूर्वक लैंड नहीं करा पाया है। ऐसे में चांद पर इतने बड़े मिशन के लिए दोनों का पिछला ट्रैक रिकॉर्ड काफी जटिल है। पिछले साल, 47 वर्षों में रूस का पहला चंद्रमा मिशन लूना -25 लैंडर चंद्रमा की सतह पर दुर्घटनाग्रस्त हो गया था।



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