Friday, June 27, 2025
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Opinion: मोदी सरकार की किसानों के लिए लाभकारी नीतियों का असर दिखने लगा है


देश के किसानों के लिए केंद्र सरकार के योजनाओं का असर अब जमीन पर दिखने लगा हैं. जिस भी राज्य में बीजेपी की सरकार है उसमें डबल इंजन की सरकार की वजह से किसानों की आय में लगातार वृद्धि देखी जा रही है. भले ही विपक्ष और खासतौर पर जिस तरह मोदी सरकार को किसान विरोधी बताता है, उससे उलट आंकड़ें बताते हैं कि किस तरह से देश के गरीब किसानों के हालात और उनकी आर्थिक स्थति तेजी से बदल रही है. और ये सब केवल मोदी सरकार और राज्य में बीजेपी की सरकार की वजह से संभव हो पाया है.

उत्तर प्रदेश बनी मिसाल
डबल इंजन की सरकार की कृषि और निर्यात नीति के चलते किसानों की आय में लगातार वृद्धि हो रही है. सरकार की नीतियों का असर है कि पूर्वांचल के कृषि उत्पादों का रिकॉर्ड निर्यात होने लगा है. वाराणसी के लाल बहादुर शास्त्री इंटरनेशनल एयरपोर्ट से वर्ष 2022 के मुकाबले 2023 के 11 महीने में ही 21 प्रतिशत रिशेबल कार्गो का निर्यात बढ़ गया है. पूर्वांचल की सोंधी मिट्टी की उपज खाड़ी और यूरोपीय देशों के अलावा ब्रिटेन, बांग्लादेश, नेपाल आदि देशों तक पहुंच रही है.

किसानों को निर्यातक बना रही योगी सरकार
उत्तर प्रदेश की योगी सरकार और एपीडा बिचौलियों को हटाकर अब किसानों को निर्यातक बना रही है. राज्य सरकार व कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण (एपीडा) का प्रयास रंग लाने लगा है. पूर्वांचल के कृषि उत्पाद विदेशों में खूब पसंद किए जा रहे हैं. वाराणसी स्थित एपीडा के क्षेत्रीय कार्यालय के उप महाप्रबंधक सी. बी. सिंह के मुताबिक, किसान अंतरराष्ट्रीय गुणवत्ता वाले उत्पादों की पैदावार कर रहे हैं. इसकी मांग विदेशों में बढ़ती जा रही है.

11 महीने में हुआ 655 टन निर्यात
सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, 2022 में वाराणसी के लाल बहादुर शास्त्री हवाई अड्डे से 541 मीट्रिक टन कृषि उत्पाद विभिन्न देशों को निर्यात किया गया था, जो बढ़कर वर्ष 2023 के केवल 11 महीनों में ही 655 मीट्रिक टन हो गया. वर्ष 2022 के मुकाबले 2023 में वाराणसी एयरपोर्ट से कृषि उत्पाद 114 मीट्रिक टन अधिक निर्यात हुआ है. वाराणसी एयरपोर्ट से केवल नवंबर 2023 में ही 100 मीट्रिक टन से अधिक कृषि निर्यात हुआ है, जो अपने आप में रिकॉर्ड है. मिडिल मैन के हटने से पूर्वांचल में करीब 50 एफपीओ और लगभग 20,000 किसान निर्यात से परोक्ष और अपरोक्ष से जुड़े हुए हैं. इसका आर्थिक लाभ सीधे अन्नदाताओं को मिल रहा है.

खाड़ी देशों में किया जा रहा निर्यात
योगी सरकार तथा एपीडा ने पूरे वाराणसी क्षेत्र में 40 से अधिक किसानों और एफपीओ के बीच राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय गोष्ठियां तथा क्रेता-विक्रेता बैठकें आयोजित की हैं, जिसमें अंतरराष्ट्रीय स्तर की मांग के अनुरूप उत्पाद तैयार करने और निर्यात के गुण सिखाए गए हैं. एपीडा ने अन्नदाताओं व निर्यातकों को वैश्विक बाजार में अपने खाद्य उत्पादों को लाने के लिए प्लेटफार्म दिया है. एपीडा ने वाराणसी में कार्यालय खोलकर राज्य सरकार की मदद से निर्यात को बढ़ाया है. वाराणसी से मुख्यतः खाड़ी देश यूरोप, नेपाल, बांग्लादेश आदि देशों को हरी मिर्ची, भिंडी, परवल, मटर, आम, लीची, केला, कुंदरू, अमरुद, आम, अरबी, सहजन, लौकी, कटहल, बैंगन, आंवला, खरबूजा और गेंदा-गुलाब के फूल आदि का निर्यात हो रहा है.

ये तो केवल एक उदाहरण के लिए है. देश की अन्नदाताओं के लिए केंद्र सरकार जिस तरीके से योजनाएं ला रही है, उससे गरीब किसानों के जीवन में जमीन-आसमान का अंतर आया है. आज देश के किसान पहले से ज्यादा समृद्ध हुए हैं.

इन योजनाएं ने बदली अन्नदाता की किस्मत
वर्ष 2014 से अब तक मोदी सरकार ने किसानों के हित में कई सारे फैसले लिए हैं. इन फैसलों के जरिए किसानों की जिंदगी में सुधार हुआ है और उनकी आय भी बढ़ी है. पीएम-किसान योजना हो या फिर प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना या फिर फर्टिलाइजर के लिए डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर, किसानों के हितों को ध्यान में ध्यान में रखते हुए बनाई गई इन योजनाओं से उन्हें बहुत लाभ मिला है.

प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि
पीएम-किसान सम्मान योजना को 2019 में लॉन्च किया गया था. ये किसानों को अतिरिक्त आय मुहैया कराने वाली योजना है. इसके तहत छोटे और सीमांत किसानों को हर साल 6000 रुपये दिए जाते हैं. ये पैसे तीन किस्तों में मिलते हैं. इस योजना का मकसद किसानों की वित्तीय मदद मुहैया करना और उनकी आजीविका में सुधार करना है.

सूत्रों की मानें तो आने वाले बजट सत्र में किसानों के लिए पीएम-किसान योजना की राशि 6000 से बढ़ाकर 12000 रुपये किया जा सकता है जिससे देश के करोड़ों किसानों को खासा लाभ मिलेगा.

एग्रिकल्चरल प्रोड्यूस मार्केट कमेटी रिफॉर्म्स
केंद्र सरकार ने आवश्यक वस्तु अधिनियम में संशोधन किया है. इसके जरिए किसानों को एपीएमसी-विनियमित बाजारों के बाहर भी उपनी फसल बेचने की इजाजत दी गई. इससे एग्रिकल्चरल मार्केटिंग में सुधार हुआ है. सरकार का मकसद ऐसा करके अधिक प्रतिस्पर्धा पैदा करना, बिचौलियों को खत्म करना और किसानों को उनकी उपज के लिए बेहतर मूल्य हासिल करने में सक्षम बनाना था.

मृदा स्वास्थ्य कार्ड स्कीम
मोदी सरकार ने 2015 में ‘सॉयल हेल्थ कार्ड स्कीम’ यानी मृदा स्वास्थ्य कार्ड योजना को लॉन्च किया था. इसका मकसद किसानों को उनकी मिट्टी में मौजूद पोषक तत्वों की स्थिति के बारे में विस्तृत जानकारी देना है. इससे किसानों को उर्वरक इस्तेमाल के बारे में फैसला लेने में मदद मिलती है. इसका सबसे बड़ा फायदा ये मिलता है कि किसान की उत्पादकता में इजाफा होता है और लागत कम होती है.

प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना
प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना को 2016 में शुरू किया गया था. ये फसल बीमा योजना है, जो प्राकृतिक आपदाओं, कीटों या बीमारियों के कारण फसल खराब होने पर किसानों को वित्तीय सहायता मुहैया कराती है. इसका मकसद किसानों के सामने आने वाले जोखिमों को कम करना और उनकी वित्तीय स्थिरता सुनिश्चित करना है.

E-NAM (नेशनल एग्रिकल्चरल मार्केट)
मोदी सरकार ने 2016 में ई-नाम प्लेटफॉर्म लॉन्च किया, जो किसानी से जुड़े सामानों के लिए एक ऑनलाइन इलेक्ट्रॉनिक ट्रेडिंग पोर्टल है. ये कीमत का पता लगाने के लिए पारदर्शी सुविधा देता है और कृषि उपज के लिए एक एकीकृत राष्ट्रीय बाजार बनाता है. इससे किसानों को सीधे तौर पर खरीददारों से जुड़ने का मौका मिलता है.

एग्रिकल्चरल इंफ्रास्ट्रक्चर फंड
2020 में मोदी सरकार ने एक लाख करोड़ रुपये के फंड के साथ ‘एग्रिकल्चरल इंफ्रास्ट्रक्चर फंड’ का ऐलान किया था. इस फंड का मकसद कोल्ड स्टोरेज, प्रोसेसिंग यूनिट्स और गोदामों जैसे एग्रिकल्चरल इंफ्रास्ट्रक्चर के विकास के लिए वित्तीय सहायता प्रदान करना, फसल कटाई के बाद के प्रबंधन को बढ़ाना और फसल की बर्बादी को कम करना है.

फर्टिलाइजर के लिए डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर
मोदी सरकार ने 2018 में फर्टिलाइजर के लिए डीबीटी की शुरुआत की. इसके तहत सब्सिडी की राशि सीधे किसानों के बैंक खातों में ट्रांसफर की जाती है. ये फंड के गबन को कम करने और यह सुनिश्चित करने में मदद करता है कि पैसे सीधे लाभार्थियों के खाते में पहुंचे.

फार्मर प्रॉड्यूसर ऑर्गेनाइजेशन (FPOs)
सरकार फार्मर प्रॉड्यूसर ऑर्गेनाइजेशन (एफपीओ) के गठन और मजबूती को बढ़ावा दे रही है. एफपीओ किसानों को सामूहिक रूप से इनपुट खरीद, प्रोसेसिंग और मार्केटिंग जैसी गतिविधियों में शामिल होने में मदद करते हैं. साथ ही उन्हें बेहतर शर्तों पर बातचीत करने और प्रभावी ढंग से बाजारों तक पहुंचने के लिए सशक्त बनाते हैं.

Tags: Agriculture, Farmers, PM Modi



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