पाकिस्तान में ईशनिंदा करने के जुर्म में एक के बाद एक की जाने वाली हत्याओं के बाद माहौल गर्माया हुआ है। हाल ही में पाकिस्तान के सिंध और बलूचिस्तान प्रांतों में पुलिस द्वारा दो ईशनिंदा आरोपियों की हत्या कर दी गई। इस वारदात के बाद देशभर में आक्रोश उत्पन्न किया है। इन घटनाओं के बाद एमनेस्टी इंटरनेशनल ने शुक्रवार को एक बयान जारी करते हुए इस मामले में न्यायिक जांच की मांग की है। संगठन ने मांग की है कि जिम्मेदार लोगों को निष्पक्ष और पारदर्शी मुकदमों के जरिए सजा दी जाए ताकि ईशनिंदा के आरोपियों पर पुलिस ऐसी कार्रवाई नहीं करे। पाकिस्तान में पुलिस के ऊपर आरोप भी लगे हैं कि पुलिस और धार्मिक चरमपंथियों के बीच एक गठजोड़ है, जिससे इस तरह की वारदास सामने आए हैं।
पहली घटना 12 सितंबर को क्वेटा के कैंट पुलिस स्टेशन में हुई, जहां कांस्टेबल साद खान सरहदी ने हिरासत में मौजूद ईशनिंदा के आरोपी अब्दुल अली को गोली मार दी। इसके ठीक एक हफ्ते बाद, उमरकोट के एक डॉक्टर शाहनवाज कंभर को मीरपुरखास में एक कथित मुठभेड़ में पुलिस ने मार गिराया। जब डॉक्टर कंभर का शव उनके परिवार को सौंपा गया, तो धार्मिक उन्मादियों ने परिवार से शव छीनकर उसे जला दिया।
एमनेस्टी इंटरनेशनल ने अपने बयान में कहा कि पाकिस्तान में ईशनिंदा के आरोपों पर हुई इन हत्याओं ने सरकार की मानवाधिकारों की रक्षा करने में विफलता को उजागर किया है। संगठन ने पाकिस्तान सरकार से ईशनिंदा कानूनों को तुरंत निरस्त करने की मांग की है, क्योंकि ये कानून लंबे समय से हिंसा और भेदभाव को बढ़ावा दे रहे हैं।
पुलिस अधिकारी हुए निलंबित
मीरपुरखास में हुई डॉक्टर कंभर की हत्या के बाद सिंध सरकार ने मीरपुरखास के डिप्टी इंस्पेक्टर जनरल (डीआईजी) जावेद सुनहारे जस्कानी और वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (एसएसपी) कैप्टन मुहम्मद असद अली को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया है। इसके साथ ही सिंधरी पुलिस स्टेशन और मीरपुरखास क्राइम इंवेस्टिगेशन एजेंसी के आठ अन्य अधिकारियों को भी निलंबित किया गया है। डॉक्टर कंभर की मां ने अपने बेटे की हत्या को पुलिस की साजिश बताया है और न्यायिक जांच की मांग की है। उनका आरोप है कि पुलिस ने उनके बेटे को मारा और फिर भीड़ को उकसाकर उसके शव को जलाने के लिए प्रेरित किया।
डॉक्टर कंभर की हत्या पर नागरिक समाज और मानवाधिकार संगठनों ने भी गहरी नाराजगी जताई है। जॉइंट एक्शन कमिटी (जेएसी) और सिंधी एसोसिएशन ऑफ नॉर्थ अमेरिका (एसएएनए) ने घटना की न्यायिक जांच की मांग की है। इन संगठनों ने पुलिस द्वारा आरोपी के शव को रात में परिवार को सौंपने के कदम की निंदा की, जिससे उन्मादी भीड़ ने शव को जला डाला। जेएसी ने आरोप लगाया कि पुलिस और धार्मिक चरमपंथियों के बीच एक गठजोड़ है, जो इस तरह की घटनाओं को बढ़ावा दे रहा है।
पाकिस्तान में ईशनिंदा को लेकर क्या है कानून?
पाकिस्तान में ईशनिंद को लेकर काफी कठोर कानून है। स्लाम या इस्लामी धार्मिक हस्तियों का अपमान करने दोषी पाए जाने पर मौत की सजा तक दी जा सकती है। हालांकि, आरोपी के लिए मुकर्रर की सजा अदालती कार्रयाही के तहत की होती है, न कि पुलिसिया न्याय के जरिए।