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अफगानिस्तान शासित तालिबान और पाकिस्तान में सुलह होने का नाम नहीं ले रही है। अफगान शरणार्थियों को लेकर तालिबान और पाकिस्तान के बीच विवाद अब अपने चरम पर है। इस बीच अफगानिस्तान के उप विदेश मंत्री शेर मोहम्मद अब्बास ने पाकिस्तान को धमकाते हुए कहा कि अगर ऐसा ही अफगानियों पर अत्याचार चलता रहा तो 1971 की तरह उसके एक बार फिर टुकड़े हो सकते हैं। बता दें कि इंदिरा गांधी शासनकाल के वक्त भारत ने पूर्वी पाकिस्तान को अलग करके बांग्लादेश की घोषणा की थी।
अफगानिस्तान में तालिबान के उप मंत्री शेर मोहम्मद अब्बास की चेतावनी तब आई है जब पाकिस्तान अफगानियों को अपने क्षेत्र से अफगानिस्तान में खदेड़ रहा है। उन्होंने कहा कि अंतरराष्ट्रीय सीमा के दोनों ओर रहने वाले पश्तूनों ने पाकिस्तान और अफगानिस्तान को अलग करने वाली डूरंड रेखा को कभी स्वीकार नहीं किया। उन्होंने कहा, “हमने डूरंड को कभी नहीं पहचाना है और न ही कभी पहचानेंगे। आज अफगानिस्तान का आधा हिस्सा अलग हो चुका है और डूरंड रेखा के दूसरी तरफ है।
टोलो न्यूज ने 16 फरवरी को एक सार्वजनिक बैठक में अब्बास के हवाले से कहा, “डूरंड वह रेखा है जो अंग्रेजों ने अफगानों के दिल पर खींची थी और आज, हमारा पड़ोसी देश शरणार्थियों को बहुत क्रूर तरीके से निर्वासित कर रहा है। उन्हें अपने देश लौटने के लिए कहा जा रहा है।” बलूचिस्तान पोस्ट ने बताया कि अब्बास ने चेतावनी दी कि जिस तरह 1971 में पाकिस्तान के अत्याचारों से तंग आकर बांग्लादेश को उससे अलग किया। उसी तरह पाकिस्तान के और टुकड़े हो सकते हैं।
बता दें कि 2023 में, पाकिस्तान की तत्कालीन सरकार ने अफगान शरणार्थियों पर कार्रवाई करते हुए आदेश सुनाया था कि सभी गैर-दस्तावेज अफगान प्रवासी 1 नवंबर तक देश छोड़ दें। इस निर्णय ने पाकिस्तान में अनुमानित 1.7 मिलियन अफ़गानों के भविष्य को अनिश्चितता और भय में छोड़ दिया था।
पाकिस्तान पर उल्टा पड़ रहा ‘प्रोजेक्ट तालिबान’?
पाकिस्तान के सामने एक बड़ी समस्या है और तालिबान के साथ उसके विवाद लगातार बढ़ते ही जा रहे हैं। अफगानिस्तान में पाकिस्तान के विशेष दूत आसिफ दुर्रानी ने डूरंड रेखा पर तालिबान के रुख को सिरे से खारिज कर दिया है। खामा डॉट कॉम ने दुर्रानी के हवाले से कहा, “पाकिस्तान के लिए, डूरंड रेखा का मामला निर्णायक रूप से सुलझ गया है।” जबकि, तालिबान डूरंड रेखा को नहीं मानता।