देश में गाय की 50 देसी नस्ल हैं, जिनमें से पुंगनूर नस्ल की गाय की अलग पहचान है. इस गाय को छोटे कद के लिए दुनिया भर में जाना जाता है. लेकिन अब विलुप्ति की कगार पर है. आंध्र प्रदेश में इस नस्ल का संरक्षण किया जा रहा है. पुंगनूर गाय न केवल अपनी छोटे कद-काठी के लिए आकर्षक का केंद्र है, इसके अलावा दूध भी बहुत गुणवत्ता में अच्छा होता है. इसकी छोटी हाइट के कारण इसका रखरखाव भी बहुत आसान है, जिससे इसे अधिक स्थान की जरुरत नहीं होती है. देशभर के लोग अब इसे देखने के साथ-साथ खरीद भी रहे हैं. इस विशेरूता के कारण पुंगनूर गाय एक अनोखी और महत्वपूर्ण नस्ल बन गई है.
पुंगनूर गाय की नस्ल की खासियत
पुंगनूर गाय, जो खत्म होने के कगार पर है, इस गाय का संबंध आंध्र प्रदेश के पूर्वी गोदावरी जिले के लिंगमपट्टी गांव से है. यहां एक गौशाला में पुंगनूर गाय का संरक्षण किया जा रहा है, जो 4 एकड़ में फैली हुई है. इसमें करीब 300 गायें हैं. गौशाला के मालिक कृष्णम राजू ने 15 साल पहले पुंगनूर गाय खरीदी और गुंटूर के सरकारी फार्म में इसका कृत्रिम गर्भाधान कराया. जिसके बाद इनकी संख्या बढ़ती गई. ये बताते हैं कि पुंगनूर गाय का छोटा आकार इसे और अधिक मूल्यवान बनाता है, सामान्य स्तर पर एक जोड़ा गाय की कीमत 1 लाख से 25 लाख तक होती है.
पोष्टिक होता है दूध
इस गाय का दूध बहुत ही पोष्टिक होता है. इस नस्ल की गाय का दूध पुंगनूर गाय दक्षिण भारत, खासकर आंध्र प्रदेश के चित्तूर जिले की प्राचीन और प्रमुख नस्ल है. इस गाय का दूध औषधीय गुणों से भरा हुआ होता है. जिसमें 8% वसा पाया जाता है, जो सामान्य गाय के दूध (3 से 3.5% वसा) से कहीं ज्यादा होता है. पुंगनूर गाय प्रतिदिन 3 से 5 लीटर दूध देती है. इसके लिए केवल 5 किलो चारा काफी होता है. यह नस्ल सूखा प्रतिरोधी भी है, जिससे यह दक्षिण भारत के अलावा दिल्ली, यूपी, बिहार, गुजरात, राजस्थान और मध्य प्रदेश के इलाकों के लिए उपयोगी है.
इस गाय को पालते थे ऋषि-मुनि
पुंगनूर गाय की देखभाल भी बहुत आसान है, क्योंकि यह गाय कम चारा खाती है. इसका दूध स्वास्थ्य के लिए बहुत की लाभकारी है. इस गाय को प्राचीन काल में ऋषि-मुनियों ने भी पाला था. हालांकि, विदेशी नस्लों के प्रभाव से पुंगनूर गाय की संख्या अब घटने लगी. इसके अलावा, केरल की वेचुर गाय भी एक मिनिएचर नस्ल के रूप में पहचानी जाती है. जो 3 से 4 फीट लंबी होती है. पुंगनूर गाय की लंबाई इससे भी कम, 1 से 2 फीट तक हो सकती है, जो इसे और भी अनोखा बनाता है. यह देखते में काफी सुंदर लगती है.
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