नई दिल्ली. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RRS) के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले (Dattatreya Hosabale) ने कहा कि शिक्षा विवेक जागृत करती है और हमें शिक्षा के महत्व को समझना चाहिए. उन्होंने यह भी कहा कि भारत की शिक्षा भारतीय केन्द्रित होनी चाहिए इसके लिए सभी को प्रयास करने होंगे और नई शिक्षा नीति से राष्ट्र में नया वातावरण का निर्माण हो रहा है.
उन्होंने कहा कि समाज में सकारात्मक परिवर्तन, चरित्र निर्माण और पर्यावरण संरक्षण जैसे मुद्दों का हल भी भारतीय ज्ञान परंपराओं से हो रहा है. सरकार्यवाह होसबाले मंगलवार को जयपुर के अग्रवाल कॉलेज के सभागार में शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास द्वारा आयोजित शिक्षा में भारतीयता और व्यवस्था परिवर्तन विषयक प्रबुद्वजन गोष्ठी को संबोधित कर रहे थे.
उन्होंने कहा कि जीवन की चुनौती का उत्तर भारतीय शिक्षा में है. उन्होंने कहा, ‘नई शिक्षा नीति से अनुकूल वातावरण बन रहा है. हम कह सकते हैं, नई शिक्षा नीति नई पीढ़ी में ऐसा विश्वास पैदा कर रही है. इससे तैयार होने वाली प्रतिबद्ध पीढ़ी समाज में मानव प्रेम की भावना विकसित करेगी.’
इस अवसर पर न्यास के राष्ट्रीय सचिव अतुल भाई कोठारी ने कहा कि शिक्षा में भारतीयता पर आज भी चितंन की आवश्यकता है. उन्होंने कहा, ‘भारत का ज्ञान समृद्ध है. योग भारतीय संस्कृति की देन है. योग को विश्व के अनेक देशों ने अपनाया और आज दुनिया की सोच बदल रही है. साथ ही दुनिया भारतीय शिक्षा की ओर अग्रसर है. भारतीय ज्ञान परम्परा पर दुनिया में अनेक शोध और अनुसंधान हो रहे हैं.’
इस अवसर पर राजस्थान विधानसभा अध्यक्ष वासुदेव देवनानी ने कहा, ‘भारत की सनातन परंपरा विश्व के लिये प्रेरणा स्त्रोत है. भारतीय शिक्षा ने विश्व में राष्ट्र की पहचान बनाई है. शिक्षा बंधनों से मुक्त करती है. राष्ट्र के विकास का आधार शिक्षा है.’ उन्होंने कहा कि शिक्षा में नई तकनीक का समावेश होना चाहिए. भारतीयता के अनुरूप पाठ्यक्रम आज की आवश्यतकता है. इस कार्य में शिक्षकों का सहयोग जरूरी है.
भारतीय विश्व विद्यालय संघ की महासचिव डॉ पंकज मित्तल ने कहा कि बच्चों के चरित्र निर्माण के लिये प्रयास करने होंगे. समाज को बढ़ावा देने वाले शोध किये जाने की आवश्यकता है. वैदिक गणित भारतीय शिक्षा की देन है. समाज का विकास का दायित्व विश्वविद्यालयों पर है.
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FIRST PUBLISHED : December 27, 2023, 01:50 IST