Friday, June 27, 2025
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Russia will respond to American trickery with a nuclear attack, विदेश न्यूज


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रूस -यूक्रेन संघर्ष के बीच लगातार अमेरिका और रूस अपनी टसल को बनाए हुए हैं। रूस की तरफ से कहा गया है कि अगर अमेरिकी हथियार उसकी सीमा के नजदीक आए तो वह अपनी सीमा की रक्षा के लिए परमाणु हथियारों का डिप्लॉयमेंट करेगा। दरअसल, अमेरिका ने हाल ही में जर्मनी में अपनी लंबी दूरी की मिसाइलों को डिप्लॉय करने की घोषणा की थी, अमेरिका की तरफ से कहा गया था कि नाटो और यूरोप की रक्षा के लिए वह जर्मनी में हथियारों की तैनाती करेगा। जिसमें टॉमहॉक और नई हारपरसोनिक मिसाइलें शामिल होंगी। इन मिसाइलों पर रूस का जवाब देना स्वाभाविक है क्योंकि इनकी जर्मनी में तैनाती से अमेरिका मॉस्को के और ज्यादा करीब पहुंच जाएगा।

न्यूज एजेंसी इंटरफैक्स से बात करते हुए रूसी उप विदेश मंत्री सर्गेइ रायबकोव ने कहा कि रूस अपने नाटो देशों से घिरे हुए कलिनिनग्राद  क्षेत्र की रक्षा के लिए विशेष ध्यान देगा। अमेरिका की भविष्य की योजनाओं पर उन्होंने कहा कि मैं किसी भी विकल्प को लेकर इनकार नहीं कर रहा हूं, अगर जरूरत पड़ी तो हम परमाणु हथियारों का भी डिप्लॉयमेंट करेंगे।

पिछले महीने रूसी राष्ट्रपति पुतिन ने कहा था कि मॉस्को छोटी दूरी की और मिसाइलों के निर्माण को लेकर काम करेगा। ज्यादा हल्की और घातक मिसाइलों के उत्पादन के साथ ही हम यह तय करेंगे कि इनको कहां पर डिप्लॉय किया जाए। अधिकांस रूसी मिसाइलें परमाणु हथियारों से लैस होने में सक्षम हैं। पुतिन के इस बयान के बाद यूरोप में खलबली मचना स्वाभाविक थी। इस बयान के बाद  ही अमेरिका द्वारा जर्मनी में मिसाइलों को तैनात करने की बात की गई थी।

एजेंसी ने रयाबकोव के हवाले से कहा कि अमेरीका लगातार उकसावे वाले काम करता रहता है। हम उन लोगों को रूसी सीमा से बहुत दूर घकेलने के प्रयास में लगे हुए हैं। रूस का पश्चिमी क्षेत्र कलिनिनग्राद कोई अपवाद नहीं है कि वह यह भ्रम पास बैंठे कि हम इसके बारे में कुछ नहीं करेंगे। अमेरिका या कोई अन्य देश इसके ऊपर नजर भी उठा कर देखेगा तो हमारे लिए सभी विकल्प खुले हुए हैं। हम हर तरीके से अपनी सीमाओं की रक्षा करेंगे।

2019 में टूट चुकी है रूस और अमेरिका के बीच की संधि

रूस और अमेरिकी जिन मिसाइलों को तैनात करने पर विचार कर रहे हैं वे लंबी और मध्यम दूरी के जमीन आधारित हथियार है। इन हथियारों को प्रतिबंधित करने के लिए रूस और अमेरिका के बीच 1987 में संधि हूई थी लेकिन 2019 में अमेरिका ने रूस पर आरोप लगाते हुए इस संधि से खुद को अलग कर लिया था। सुरक्षा विशेषज्ञों के अनुसार यह मिसाइलों की तैनाती हथियारों की दौड़ का हिस्सा है जो यूक्रेन में युद्ध को लेकर पहले से ही बढ़े हुए खतरे को और अधिक बढ़ाएगी।



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