Thursday, June 26, 2025
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Top Indian diplomat meets Taliban foreign minister Amir Khan Muttaqi in Kabul why Pakistan in tension – India Hindi News


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विदेश मंत्रालय के संयुक्त सचिव जेपी सिंह ने गुरुवार को अफगानिस्तान की राजधानी काबुल में तालिबान के विदेश मंत्री अमीर खान मुत्ताकी से मुलाकात की है। सिंह के नेतृत्व में एक शिष्टमंडल भी वहां गया है। इस दौरान दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय संबंधों और आर्थिक सहयोग को बढ़ावा देने पर चर्चा हुई। जेपी सिंह विदेश मंत्रालय में संयुक्त सचिव हैं और पाकिस्तान-अफगानिस्तान-ईरान विभाग के प्रभारी हैं।

अन्य देशों की तरह भारत भी अफगानिस्तान में तालिबान शासन को औपचारिक रूप से मान्यता नहीं देता है। बावजूद इसके दो साल के अंदर तालिबान नेता के साथ जेपी सिंह और भारतीय दल की यह दूसरी और नवीनतम मुलाकात है। इससे पहले जून 2022 में भी सिंह ने काबुल में वहां के विदेश मंत्री से मुलाकात की थी। 

इस बैठक के बारे में विदेश मंत्रालय की ओर से कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है। अगस्त 2021, यानी जब से तालिबान ने अफगानिस्तान पर कब्जा किया है, तब से भारतीय राजनयिक अफगानिस्तानी पक्ष से दोहा जैसे स्थानों पर मुलाकात करते रहे हैं। इनमें से अधिकांश प्रयासों का नेतृत्व सिंह ने ही किया है, जो विदेश मंत्री के कार्यालय में संयुक्त सचिव भी हैं।

तालिबान के एक प्रवक्ता ने दावा किया है कि मुत्ताकी और सिंह की बैठक के दौरान अफगानिस्तान-भारत संबंधों, आर्थिक मामलों, इस्लामिक स्टेट से लड़ने और भ्रष्टाचार से निपटने पर चर्चा की गई। इस दौरान अफगानिस्तान ने मानवीय सहायता के लिए भारत को धन्यवाद दिया है। तालिबानी विदेश मंत्री मुत्ताकी ने कहा कि तालिबान ‘संतुलित विदेश नीति’ के तहत क्षेत्र में भारत को एक अहम साझीदार के रूप में देखता है और भारत के साथ राजनीतिक और आर्थिक संबंधों को मजबूत करना चाहता है।

मुत्ताकी ने अफगान व्यवसायियों, चिकित्सा रोगियों और छात्रों को वीजा जारी करने की सुविधा देने करने के लिए जेपी सिंह को अधिकृत किया है। तालिबान के प्रवक्ता ने सिंह को कोट करते हुए कहा कि भारत अफगानिस्तान के साथ राजनीतिक और आर्थिक सहयोग बढ़ाने और ईरान के चाबहार बंदरगाह के माध्यम से व्यापार बढ़ाने में रुचि रखता है।

बता दें कि भारत ने हाल के महीनों में अफगानिस्तान को करीब 50,000 टन गेहूं, दवाएं, कोविड-19 की वैक्सीन और अन्य राहत सामग्री की आपूर्ति की है। हालाँकि, भारत ने अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे से पहले शुरू की गई बुनियादी ढांचा परियोजनाओं पर फिर से काम शुरू नहीं किया है। 2021 में अशरफ गनी सरकार के पतन से पहले, भारत ने अफगानिस्तान के लिए 3 अरब डॉलर से अधिक की मदद का वादा किया था लेकिन तालिबान शासन आने के बाद भारत ने उस मदद को रोक दिया। हालांकि, पिछले महीने पेश 2024-25 के बजट में विदेशों के लिए आवंटित परिव्यय में अफगानिस्तान के लिए 200 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है।

टेंशन में क्यों पाकिस्तान

भारत-अफगानिस्तान के मधुर रिश्तों से पड़ोसी देश पाकिस्तान को मिर्ची लगनी तय है क्योंकि अफगानिस्तान और पाकिस्तान के बीच रिश्ते हमेशा से तनावपूर्ण रहे हैं। इन दोनों पड़ोसियों के बीच विवाद की एक प्रमुख वज़ह डूरंड लाइन है, जो पश्तून बहुल आदिवासी क्षेत्रों से होकर गुजरती है। पहले से ही दोनों देशों के बीच जारी तनाव तब और बढ़ गया जब साल 2021 के आकिरी हफ़्तों में पाकिस्तानी सेना ने अफगानी सीमा के अंदर 15 किलोमीटर तक चहार बुर्ज़क ज़िले तक जमीन हथिया कर बाड़ लगाने की कोशिश की थी, जिसे तालिबान ने नाकाम कर दिया था। इससे पहले नंगहर इलाक़े में भी ऐसी कोशिश हुई थी। अब जब भारत और अफागनिस्तान का तालिबान शासन करीब आ रहे हैं तो पाकिस्तान की बौखलाहट बढ़नी लाजिमी है।



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