भारत की खेती में अगर किसी फसल ने किसानों की तकदीर बदली है, तो वह है प्याज. खासकर महाराष्ट्र के नासिक जिले में उगने वाला लाल प्याज जो न केवल देशभर में मशहूर है, बल्कि विदेशों तक अपनी पहचान बना चुका है. यह प्याज स्वाद, रंग, टिकाऊपन और उत्पादन के लिहाज से सबसे बेहतरीन माना जाता है.
नासिक की मिट्टी में एक खास किस्म की उपजाऊ ताकत है. यहां की जलवायु गर्म दिन और ठंडी रातें प्याज की खेती के लिए एकदम सही मानी जाती है. यहीं पर उगता है वो लाल प्याज, जो पूरे देश की रसोई का जरूरी हिस्सा बन चुका है. नासिक के किसान इसे “लाल सोना” कहते हैं, क्योंकि यही प्याज उनकी आमदनी और आत्मनिर्भरता की रीढ़ बन गया है.
कैसे की जाती है खेती?
रिपोर्ट्स के अनुसार नासिक के किसान प्याज की खेती को बेहद मेहनत और तकनीकी समझ के साथ करते हैं. बीज बोने से लेकर सिंचाई, खाद देने और समय पर खुदाई करने तक हर कदम में बारीकी होती है. इस क्षेत्र में ड्रिप इरिगेशन, जैविक खाद और उन्नत बीजों का प्रयोग तेजी से बढ़ रहा है, जिससे पैदावार भी अच्छी हो रही है और लागत भी घट रही है.
साल में तीन बार फसल
नासिक में प्याज की खेती खरीफ (जुलाई-अगस्त), रबी (दिसंबर-जनवरी) और गर्मी (मार्च-अप्रैल) में होती है. रबी की फसल को सबसे बेहतरीन माना जाता है क्योंकि यह सबसे लंबे समय तक स्टोर की जा सकती है. यही प्याज सालभर मंडियों में भेजा जाता है.
क्यों है यह प्याज सबसे बेहतर?
रंग: इसका गहरा लाल रंग इसे आकर्षक बनाता है.
स्वाद: तीखा लेकिन हल्की मिठास लिए होता है, जो हर डिश में जान डाल देता है.
भंडारण क्षमता: यह जल्दी खराब नहीं होता, जिससे व्यापारी और किसान दोनों को फायदा होता है.
मांग: देश की लगभग हर बड़ी मंडी में इसकी सबसे ज्यादा मांग रहती है.
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