Wednesday, November 19, 2025
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जज साहब! बाप-बेटे मेरी प्राइवेट लाइफ पर रख रहे नजर…आरोपियों ने भी कबूला ‘गुनाह’, फिर क्‍यों मिली कोर्ट से राहत?


नई दिल्‍ली. हिमाचल प्रदेश की रहने वाली एक महिला ने पड़ोस में रहने वाले एक परिवार के पिता और उसके दो बेटों पर आरोप लगाया कि सीसीटीवी कैमरे की मदद से हर वक्‍त उसपर निगरानी की जाती है और उसका पीछा किया जाता है. महिला की शिकायत के आधार पर पुलिस ने एफआईआर भी दर्ज कर दी. अब इस मामले में हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट ने एक अहम फैसला सुनाया है. कोर्ट ने परिवार के पक्ष में फैसला सुनाते हुए एफआईआर से पीछा करने और सबूत मिटाने से जुड़ी धाराओं को हटा दिया है. हालांकि महिला के अन्‍य आरोपों को बरकरार रखा गया है.

पेश मामले में एक व्‍यक्ति और उसके दो बेटों के खिलाफ आईपीसी की धारा-354डी (पीछा करना) के अलावा धारा-201 (सबूत मिटाना),  धारा- 504 (शांति भंग करने के इरादे से जानबूझकर अपमान), 506 (आपराधिक धमकी) और 509 (शब्द, इशारा या किसी महिला की गरिमा का अपमान करने का इरादा) के तहत मामला दर्ज किया गया था. हाई कोर्ट ने कहा अन्‍य धाराओं को बरकरार रखते हुए कहा कि ट्रायल कोर्ट इनपर फैसला लेगी.

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अपराध तभी बनता है…
महिला का कहना था कि उनके पड़ोसी ने अपनी प्रॉपर्टी पर लगे सीसीटीवी कैमरे के माध्यम से उसे देखने का आरोप लगाया था. न्यायमूर्ति राकेश कैंथला ने निष्कर्ष निकाला कि इस बात का कोई सबूत नहीं है कि सीसीटीवी कैमरा महिला पर नजर रखने के लिए लगाया गया था. जज ने उसकी शिकायत को महज संदेह बताया. भारतीय दंड संहिता की धारा- 354डी (पीछा करना) का विश्लेषण करने के बाद, अदालत ने कहा कि अपराध तभी बनता है जब कोई व्यक्ति किसी महिला का पीछा करता है या उसकी अरुचि के बावजूद व्यक्तिगत संपर्क को बढ़ावा देने के लिए उससे अनुबंध करता है या उसके इंटरनेट के उपयोग की निगरानी करता है.

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कोर्ट ने किस आधार पर दी राहत?
अदालत ने पाया कि पेश मामले में यह दिखाने के लिए कोई सबूत नहीं है कि आरोपी ने उसके साथ व्यक्तिगत संबंध बनाने के लिए संपर्क किया था. कोर्ट ने कहा, “सूचनाकर्ता ने यह नहीं बताया कि वह इंटरनेट, ई-मेल या इलेक्ट्रॉनिक संचार के किसी अन्य रूप का उपयोग कर रही थी और याचिकाकर्ता नंबर-1 ऐसी गतिविधि की निगरानी कर रहा था. इसलिए, एफआईआर की सामग्री आईपीसी की धारा 354डी की सामग्री को संतुष्ट नहीं करती है.”

जज साहब! बाप-बेटे मेरी प्राइवेट लाइफ पर रख रहे नजर…आरोपियों ने भी कबूला 'गुनाह', फिर क्‍यों मिली कोर्ट से राहत?

पिता-पुत्र ने निगरानी की बात कबूली 
पेश मामले में पिता-पुत्र का कहना था कि उनका और महिला पक्ष का प्रॉपर्टी को लेकर सिविल केस चल रहा है. अपने घर की पांच मंजिला इमारत से पड़ोसी के घर की तरफ सीसीटीवी कैमरे इसलिए लगाए गए हैं ताकि वो उनके पीछे से यहां निर्माण ना कर लें. कहा गया कि वो इस प्रॉपर्टी पर कम रहते हैं. उनका एक दूसरा घर है, जहां पूरा परिवार रहता है. इस कैमरे की मदद से वो घर बैठे-बैठे पड़ोसी पर नजर रखते हैं.

Tags: Court, Himachal pradesh news, Himachal Pradesh News Today



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